कैप्टन ने वायदे पूरे न किए तो बादलों से भी होगा बुरा हाल : बाजवा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 11, 2019 - 12:44 PM (IST)

जालंधरः पंजाब के पूर्व कांग्रेस प्रधान प्रताप सिंह बाजवा पंजाब के मुद्दे उठाते हुए कैप्टन सरकार पर जमकर बरसे। उनका कहना है कि सत्ता में आने से पहले चुनाव रैलियों में कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने जो गुटका साहिब हाथ में पकड़ कर पंजाबियों के सामने सौगंध खाई थी कि वह सत्ता में आने के बाद श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वाले दोषियों को हर हाल में सलाखों के पीछे डालेंगे, वह सौगंध अभी तक पूरी नहीं कर पाए हैं। सरकार के कार्यकाल को अढ़ाई साल बीत गए हैं अगर अब भी कैप्टन सरकार ने कुछ नहीं किया तो आने वाले समय में कांग्रेस का हाल बादलों से भी बुरा होगा। पंजाब केसरी व जग बाणी से विशेष इंटरव्यू में प्रतिनिधि रमनदीप सोढी ने उनसे कई राजनीतिक व पंजाब के मुद्दों पर बातचीत की। 

अढ़ाई साल में भी कांग्रेस के वायदे वफा नहीं हुए
इसका जवाब मुख्यमंत्री ही दे सकते हैं क्योंकि तलवंडी साबो में उन्होंने गुटका साहिब हाथ में पकड़ कर सौगंध उठाते हुए पंजाबियों खासकर सिखों को भरोसा दिलाया था कि अकाली राज में जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई है व कोटकपूरा गोलीकांड के जो दोषी हैं, पंजाब में मेरी सरकार बनते ही मैं उन आरोपियों को जेल भिजवाऊंगा। सरकार बनने के बाद भी एडवोकेट जनरल ने यह मामला सही ढंग से नहीं रखा। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल व पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सैनी के नाम सामने आ रहे थे। साथ ही इसमें बाकी टीम का भी पर्दाफाश होना था जो इस कांड में शामिल थी लेकिन अढ़ाई साल में इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।  

नशे के मुद्दे पर आरोपियों के नाम अभी तक नहीं आए सामने
पंजाब में नशे को लेकर ऊपर हाईकमान को बताने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। इस मामले में हाईकोर्ट की तरफ से स्पैशल इन्वैस्टीगेशन टीम ‘सिट’ बनाई थी जिसमें डी.जी.पी. स्तर के अधिकारी की ड्यूटी लगी थी। डेढ़ साल की जांच में इसमें जिन पुलिस अफसरों या राजनीतिक लोगों के नाम हो सकते हैं वह लिफाफा अभी तक खुला ही नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि अकाली सरेआम कह रहे हैं कि अगर कांग्रेसियों में दम है तो हम पर कार्रवाई करके दिखाएं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन ही इसका बेहतर तरीके से जवाब दे सकते हैं।

6 विधायकों को कैबिनेट रैंक देना सरकारी खजाने पर बोझ
गत दिवस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार ने जो 6 नए एडवाइजर बनाए हैं वह एक तरह से सरकारी खजाने पर बोझ हैं क्योंकि सरकार के पास पहले ही 14-15 ओ.एस.डी. हैं। स्पष्ट नजर आ रहा है कि सलाहकारों की इतनी बड़ी टीम होने के बावजूद पंजाब के रुष्ट विधायकों में सरकार के प्रति कुछ सुलग रहा था जिन्हें शांत करने के लिए सरकार को उन्हें कैबिनेट रैंक देना पड़ा। 

मैं भाजपा के सम्पर्क में नहीं था  
जब उनसे पूछा गया कि दूसरी बार भारी बहुमत से केंद्र की सत्ता में आई भाजपा के सम्पर्क में पंजाब के 15-20 कांग्रेसी विधायक थे जिनमें आप का भी नाम था तो उन्होंने कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। कांग्रेस इस समय पावर में है तो कोई विधायक उनसे सम्पर्क क्यों करेगा? पिछले दिनों केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने पर उन्होंने कहा कि हम आर्थिक स्तर पर पिछड़ रहे हैं। धारा 370 हटाने को लेकर केंद्र सरकार तभी सफल होगी जब कश्मीर में लोगों को जीने की आजादी मिलेगी, उन पर लगाई गई बंदिशें हटाई जाएंगी, लोगों में अमन-शांति होगी।

बटाला कांड पर जिम्मेदार अफसरों पर होनी चाहिए कार्रवाई
पिछले दिनों बटाला के रिहायशी इलाके में चल रही अवैध पटाखा फैक्टरी में 24 लोगों की मौत के जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए थी। डी.सी. से दुर्व्यवहार करने पर लुधियाना से विधायक सिमरजीत सिंह बैंस के खिलाफ मामला दर्ज करने संबंधी उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि एक रोल माडल होते हैं। लोगों की समस्याओं को अफसरों के आगे उठाना व इस संबंधी उन्हें कटघरे में खड़ा करना विधायकों का अधिकार है लेकिन उन्हें अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कैप्टन द्वारा बैंस पर केस दर्ज करने संबंधी दिए बयान पर बाजवा ने कहा कि जितनी तेजी से कैप्टन ने बैंस पर केस दर्ज करवाया है अगर उतनी तेजी से बटाला फैक्टरी कांड के आरोपियों पर कार्रवाई की होती तो पंजाब की जनता को संदेश कुछ और ही जाता कि सरकार इस मसले पर कितनी गम्भीर है। इस मामले में दोषी अफसरों पर केस दर्ज होना चाहिए था। मैंने सरकार से यह मांग भी की थी कि दीवाली से पहले पंजाब में जितनी भी पटाखा फैक्टरियां रिहायशी क्षेत्रों में चल रही हैं उन्हें बाहरी क्षेत्र में शिफ्ट किया जाए। 

2002 व आज वाले कैप्टन में काफी फर्क है
2002 में कैप्टन अमरेंद्र सिंह पंजाब के मुद्दों को जिस गम्भीरता से उठाते थे अब वह इन मामलों में उतने गम्भीर नहीं हैं। एक साक्षातकार में कैप्टन ने कहा था कि बादलों को जेल में डालना उनका काम नहीं है, लेकिन हम यह नहीं कह रहे कि कैप्टन खुद बादलों को अंदर करें उनका सिस्टम यह कार्रवाई कर सकता है। बहबल कलां व बरगाड़ी कांड पर अगर सरकार ने अफसरों से सही रिपोर्ट ली होती तो कम से कम गुनहगारों को सरकार कचहरी तक तो पहुंचा देती बाकी काम अदालत ने करना था।  

कैप्टन व बादलों में मैच फिक्सिंग
‘आप’ पार्टी के प्रधान भगवंत मान, सुखपाल खैहरा व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने कहा था कि मुख्यमंत्री कैप्टन व बादलों में मैच फिक्सिंग चल रही है। इसके जवाब में बाजवा ने कहा कि यह लोगों की विचारधारा बन गई है। इसका मुख्य कारण कांग्रेस सरकार द्वारा जनता से किए वायदे न निभाना है। स्पष्ट तौर पर चुनावों के दौरान कांग्रेस ने पंजाब में ट्रांसपोर्ट, ड्रग्स, केबल नैटवर्क व रेत माफिया पर कार्रवाई करने का वायदा किया था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ जिस कारण लोगों में यह विचारधारा बन गई है कि इनकी आपसी सैटिंग है।

वायदे पूरे न हुए तो 2022 में जनता कटघरे में खड़ा करेगी 
जब बाजवा से पूछा गया कि 2022 में आपको पंजाब की बागडोर संभालने का मौका मिलेगा तो क्या आप उसके लिए तैयार हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने से पहले जो जनता से वायदे किए हैं अगर उन्हें पूरा कर लेंगे तो 2022 में हम जनता के बीच जा पाएंगे। नहीं तो उस समय कांग्रेस को जनता की कचहरी में जवाब देने मुश्किल हो जाएंगे। मैंने पार्टी के लिए वफादारी से काम किया है, पार्टी को 10 साल बाद सत्ता में लाने व कैप्टन को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मुख्य रोल अदा किया है।  जब उनसे पूछा गया कि आप पंजाब के मुद्दों व कांग्रेस पार्टी के मसलों को लेकर आवाज उठा रहे हैं, क्या हाईकमान आपके साथ है? इस पर बाजवा ने कहा कि व्यक्ति को अपनी लड़ाई अपने दम पर ही लडनी चाहिए न कि किसी की सपोर्ट पर। 10 साल बाद पंजाबियों ने हमें बड़ा मान बख्शा है इसलिए हमें उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए। 

जाखड़ की कारगुजारी पर जवाब दे कैप्टन
पिछली बार गुरदासपुर उपचुनाव के दौरान कैप्टन ने कहा था कि कांग्रेस के अगले संभावी मुख्यमंत्री जाखड़ होंगे, इस बारे उन्होंने कहा कि इसका बेहतर जवाब कैप्टन ही दे सकते हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या आप नहीं चाहते कि पंजाब की बागडोर आपके हाथ में आए तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि 2022 आते समय उनकी उम्र 65 के करीब हो जाएगी जो रिटायर होने की उम्र है। अगर फिर भी वाहेगुरु ने मेहर की तो वह लोगों से किए वायदों को पूरा करने से पीछे नहीं हटेंगे। 

पिछले 3 सालों में कम किया 30 किलो भार 
बाजवा इन दिनों सेहत के प्रति बेहद सजग हैं। इन दिनों वह 1 से 2 घंटे जिम में लगा रहे हैं। उनका कहना है कि अगर इस उम्र में सेहत का ध्यान नहीं रखा गया तो आगे दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने पिछले 3 सालों में 25 से 30 किलो भार कम किया है। 

सिद्धू के बारे में मैं कुछ नहीं बोलूंगा 
अपनी बेबाक बोलने की प्रवृत्ति व सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू आज किस हाशिए पर हैं, यह किसी से छुपा नहीं है। इस पर बाजवा ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू के साथ जो हुआ उसका जवाब वही दे सकते हैं, मैं उनके बारे में कुछ नहीं बोलने वाला।  


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