35 साल पहले मासूम की हत्या कर बन गया साधू, पुलिस ने ऐसे जाल बिछा किया काबू

punjabkesari.in Wednesday, Apr 17, 2024 - 02:39 PM (IST)

चंडीगढ़ : कैंबवाला के जंगल में 1989 में बच्चे को अगवा कर उसकी हत्या करने के बाद फिर फरार हुए आरोपी को चंडीगढ़ पुलिस के पी.ओ. एंड समन सेल की टीम ने उत्तरप्रदेश के चित्रकुट के पास गंगा नदी से काबू किया। 35 वर्षों बाद पकड़े गए आरोपी की पहचान उतरप्रदेश के अलीगढ़ निवासी आनंद कुमार 60 के रूप में हुई। पुलिस से बचने के लिए आरोपी भेष बदलकर साधु बनकर रह रहा था। वह लगातार ठिकाने बदलता रहता था ताकि पुलिस उसे पकड़ न सके। आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस टीम के सदस्यों ने भी साधु का ही भेष धारण किया। पुलिस की टीम ने आनंद कुमार को दान देने के बहाने अपने पास बुलाया और जब वो पुलिस टीम के पास आया तो उसे गिरफ्तार किया गया। एस.एस.पी. कंवलदीप कौर ने बताया कि 11 वर्ष के बच्चे को अगवा कर हत्या कर दी गई थी। सूचना मिली थी कि आरोपी साधू का भेष धारण कर उत्तर प्रदेश में घूंम रहा है। 

उसे पकड़ने के लिए इंस्पेक्टर हरीओम के नेतृत्व में स्पेशल टीम बनाई थी। पुलिस टीम में ए.एस.आई. करण सिंह, कांस्टेबल वकील समेत अन्य जवानों को शामिल किया गया। जांच के लिए यू.पी. गई पुलिस को पता चला कि आरोपी आनंद के उत्तरप्रदेश के चित्रकूट जिले के गांव हरणपुर कलां में है और पुलिस वहां पहुंच गई। वहां पर पता चला कि आनंद साधु बनकर आश्रम में रह रहा है। हत्यारे को तलाश करने के लिए गई पुलिस की टीम लगातार 9 महीने तक साधु बनकर रही। इस बीच ये टीम चित्रकुट स्थित आश्रम में भी गई लेकिन पुलिस को यहां पता चला कि आनंद यहां से चला गया है। फिर पुलिस टीम ने साधु का भी भेष बनाकर फरुखाबाद, हाथरस के जंगली इलाके में तलाश की। हत्यारे आनंद को पकड़ने के लिए फिरोजाबाद, अलीगढ़, मैनपुरी, काशगंज आदि जगहों पर छापेमारी हुई। जांच में सामने आया कि आनंद काशगंज का आश्रम जंगल में छिपा हुआ है। इसकी पुष्टी के बाद टीम साधु के कपड़े पहनकर काशगंज स्थित आश्रम इंचार्ज से मिली। टीम ने बताया कि वह पूजा करवाने चाहते हैं और आनंद को दान देना चाहते हैं। आश्रम इंचार्ज ने पूजा करने के लिए आनंद को बुलाया। आनंद साधु के कपड़े पहनकर पहुंचा तो पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया। आरोपी ने अपने आधार कार्ड पर अपना नाम भी बदला दिया था। आरोपी गंगा किनारे बैठकर पूजा पाठ करता था।

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अलीगढ़ और पानीपत में भी रहकर मजदूरी की

जांच में पता चला कि बच्चे की हत्या कर आरोपी आनंद अलीगढ़ भागा था। वहां कई दिनों तक रुका और फैक्ट्री में मजदूरी की, फिर आगरा चला गया। वहां भी फैक्ट्री में मजदूरी का काम किया। आगरा से आनंद पानीपत आ गया और सात साल काम करता रहा। पानीपत में रुकने के बाद आनंदझारखंड भागा और हुई। वहीं से बाबा बनने की शुरुआत वहां वो बाबा के भेप में जंगलों में रहा। फिर वहां से चित्रकूट भाग आया और यहां अपनी पहचान छिपाकर आश्रमों में रुकता रहा।

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लूट के बाद विद्यावती के बेटे का अपहरण कर की थी हत्या

कैबवाला निवासी विद्यावती ने 1989 में पुलिस को शिकायत में बताया थाकि वह कै बवाला की तरफ से अपने 11 साल के बच्चे के साथजा रही थी। इसी बीच मनीमाजरा के जंगल के रास्ते में आनंद कुमार समेत 3 लोगों ने उसे घेरा और लूटपाट करके उस पर चाकू से हमला किया। इस हमने में उसने तो जैसे-तैसे अपनी जान बचाई, लेकिन इस बीच उसके बच्चे का अपहरण करके आरोपी साथ ले गए। बाद में उस बच्चे की लाश उसी जंगल में मिली थी। बच्चे का गला घोंटा गया था। सैक्टर 3 थाना पुलिस ने 18 जनवरी 1989 को पप्पू, जसवंत और आनंद कुमार के खिलाफ अपहरण, लूट, हत्या का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने पप्पू और जसंवत को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन आनंद कुमार पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था। जिला अदालत ने आनंद को 1990 में इसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था।

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News Editor

Kalash

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