नगर निगम चुनाव: टीम आशू पर आए संकट के बाद अब कौन संभालेगा शहर में कांग्रेस की कमान

punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 11:37 AM (IST)

लुधियाना(मोहिनी): कहते हैं आदमी नहीं समय बड़ा होता है। समय की धार के आगे कोई टिक नहीं पाता। पंजाब में राजनीति भी समय की धाक पर ही चलती है। चुनावों में जीत हार के लिए किस्मत का होना बहुत बड़ी बात है। आगामी कुछ माह में ही पंजाब में कई शहरों में कार्पोरेशन चुनावों का बिगुल बजने वाला है, जिसमें लुधियाना का नगर निगम भी शामिल है। वर्तमान में कांग्रेस के मेयर बलकार सिंह संधू मेयर पद पर आसीन है, क्योंकि साल 2018 में कांग्रेस ने एक बड़ी जीत के साथ नगर निगम चुनावों में अपना परचम लहराया था और विपक्षी पार्टियों में अकाली-भाजपा गठजोड़ को मुंह की खानी पड़ी थी। क्योंकि शहर में पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू की टीम ने कई सीटें जितवाने का दावा किया था और अपना दबदबा भी कायम रखा था और कहा जाता है कि तब आशू की तूती बोलती थी। लेकिन अब शहर में चर्चा है कि आशू ग्रुप के एक तरह से बिखरने के बाद अब कांग्रेस को कौन-सा चेहरा नेतृत्व देगा जो फिर से कांग्रेस का मेयर बनाने का दावा कर सके। क्योंकि तब कांग्रेस की लहर भी थी और दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके भारत भूषण का साथ भी, लेकिन अब न तो कांग्रेस की कोई लहर है। और तो और टीम आशू के प्रमुख भारत भूशण आशु खुद जेल मे बंद हैं और उनकी टीम के कई साथियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के तहत मामले चल रहे हैं और आशू के कई करीबी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं, जिनकी भगौड़े घोषित होने की कार्रवाईयां भी चल रही हैं। यह सारे समीकरण कांग्रेस की फिर से जीत के रथ के पहिये को निकाय चुनावों में रोक सकती है, जिससे यह सवाल बार-बार खड़ा हो रहा है कि इस कथित संकट की घड़ी में कांग्रेस को निगम चुनावों के लिए लामबंद कौन करेगा, क्योंकि बताया जाता है कि मौजूदा समय में कांग्रेस अपनी-अपनी टीमों के साथ ही गुटों में बंटी दिखाई दे रही है।

पिछली बार कांग्रेसी जीते थे 62 सीटें, अब स्थिति काफी उलटफेर वाली

स्थिति अब भी किसके पक्ष में है यह साफ नहीं है। पंजाब की सत्ता में बेशक आम आदमी पार्टी है, लेकिन आगामी जनवरी फरवरी में जनता का मूड कैसा होगा, इस पर किसी पार्टी को कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है। लेकिन आंकड़े बोलते हैं कि कांग्रेस पिछली बार सबसे सफल पार्टी रही थी, जिसने 95 वार्डों में हुए चुनावों में 62 सीटों पर जीत दर्ज करके अपना मेयर बनाया था। इसमें 31 महिला उम्मीदवारों ने भी सीटें जीतकर कांग्रेस की झोली में डाली थीं, लेकिन अब न तो पंजाब में कांग्रेस की सरकार है और सत्ताधारी आम आदमी पार्टी भी इस बार पूरे जोर शोर से उतरेगी। इन परिस्थितियों के बाद कांग्रेस को अपनी जीत को रिपीट करने के लिए काफी पसीना बहाना पड़ेगा। क्योंकि भाजपा भी अकाली दल से अलग होकर हिंदू वोटों पर अच्छा खासा प्रभाव डाल रही है, जो अगर निकाय चुनावों में भी कायम रहा तो नतीजे बढ़े उलटफेर वाले साबित होंगे।

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Content Writer

Sunita sarangal

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