शिरोमणि कमेटी द्वारा RSS प्रमुख को पत्र लिखे जाने पर प्रो. सरचंद की टिप्पणी

punjabkesari.in Wednesday, Nov 16, 2022 - 03:37 PM (IST)

अमृतसर: भारतीय जनता पार्टी के सिख नेता प्रो. सरचंद सिंह ख्याला ने कहा कि अकाली नेता अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए भाजपा के खिलाफ झूठे बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अकाली नेताओं को भाजपा को बदनाम करने के बजाय आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि वे कहां गलत हैं और शिरोमणि कमेटी के सदस्य उन्हें क्यों छोड़ रहे हैं।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव द्वारा आर.एस.एस. प्रमुख श्री मोहन भागवत को लिखे गए पत्र पर टिप्पणी करते हुए प्रोफेसर सरचंद सिंह ने इसे बादल दल की साम्प्रदायिक विचारधारा के तहत हिंदुओं और सिखों के बीच नफरत पैदा करने की एक साजिश करार दिया। सिख मामलों में भाजपा पर लग रहे आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जहां तक भाजपा के हस्तक्षेप की बात है तो यह सवाल ही नहीं उठता। वे हमेशा चाहते हैं कि शिरोमणि कमेटी मजबूत हो और स्वतंत्र व लोकतांत्रिक तरीके से काम करे। भाजपा के खिलाफ दुष्प्रचार कर राजनीतिक वजूद बहाल करने की बादलों की मंशा पूरी नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि बादलों के नेतृत्व में शिरोमणि कमेटी लंबे समय से सिखों का दिल दुखाने में लगी हुई है। श्री अकाल तख्त साहिब से माफी मांगे बिना सौदा साध को मुआफ करना, इसे पंथ के हित में दिखाने के लिए 90 लाख का विज्ञापन, बेअदबी के मामलों में पंथ के विपरीत जाना, इसके अलावा श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 328 रूपों के मामले में सिख पंथ को आज तक न्याय नहीं दिया, क्या ये पंथ परोपकारी हैं?

उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल श्री अकाल तख्त साहिब से वरोसाई गई सिखों की एक धार्मिक राजनीतिक पार्टी थी, जिसे बादलों ने फरवरी 1996 में मोगा में अकाली दल की 75वीं वर्षगांठ के सम्मेलन के दौरान अपने परिवार और व्यावसायिक हितों के लिए गैर-पन्थक पार्टी घोषित कर सिख कौम से राजनीतिक संगठन छीन लिया। साम्प्रदायिक मूल्यों को ठेस पहुंचाकर अकाली दल के स्वरूप और स्वभाव को बदलने का फैसला सिख कौम के साथ बड़ा विश्वासघात था। उन्होंने कहा कि आज अकाली दल अन्य पार्टियों की तरह एक राजनीतिक दल है। पंथक दल नहीं है। यह न केवल चुनाव आयोग के साथ एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत है। लेकिन दो संविधान रखने के कारण यह आज भी कटघरे में खड़ा है। क्या यह सच नहीं है कि अतीत में अकाली दल की "सौदेबाजी" पंथ की बजाय बादल और उनके परिवार के हितों पर निर्भर करती थी। हरियाणा कमेटी का गठन वहां के सिखों की लगातार अवेसलापन का परिणाम नहीं?

उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि बादाल दल को अपने गुनाहों पर कभी पश्चाताप नहीं हुआ, जिसके चलते सिख संगत भी उनसे दूर हो गई है। 2017, 22 विधानसभा चुनाव और संगरूर लोकसभा उपचुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा है। यही नहीं, सिख पंथ के साथ विश्वासघात के कारण बादल कुनबा अमेरिका, कनाडा या यूरोपीय देशों की सार्वजनिक यात्रा करने या वहां किसी गुरुद्वारे में किसी सभा को संबोधित करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। उन्होंने पंथ के व्यापक हितों के लिए शिरोमणि समिति पर राजनीतिक नेतृत्व के प्रभुत्व को समाप्त करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि शिरोमणि समिति केवल एक प्रशासनिक निकाय नहीं है। लेकिन यह एक वैश्विक लोकतांत्रिक धार्मिक मंच भी है। 

पंथ का धार्मिक मूल्यों, विरासत और धर्म की रक्षा के लिए लड़ने का एक लंबा इतिहास रहा है। लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कई सालों से शिरोमणि कमेटी और अकाली दल अपनी वैश्विक भूमिका खोते जा रहे हैं। कई कमजोरियों के बावजूद, शिरोमणि कमेटी सिख पंथ का सबसे अच्छा लोकतांत्रिक संगठन होने के नाते, इसे अकाली नेतृत्व की कठपुतली बनने के बजाय दुनिया भर में सिख चिंताओं के प्रति बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। इतने वर्षों में इस संस्था ने यह भूमिका निभाई है, अब जरूरत है कि इस भूमिका की दिशा में एक नई शुरुआत की जाए।

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Content Writer

Sunita sarangal

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