स्मार्ट सिटी के LED स्ट्रीट लाइट स्कैंडल, एक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी से विजिलेंस की पूछताछ संभव
punjabkesari.in Sunday, Jun 18, 2023 - 11:36 AM (IST)

जालंधर (खुराना): जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी, उस समय स्मार्ट सिटी जालंधर में बैठे उच्च अधिकारियों ने किस प्रकार मनमानियां की और अपने चहेते ठेकेदारों को करोड़ों रुपए के काम अलॉट किए, इसके अब कई उदाहरण सामने आ रहे हैं। इस मामले में सबसे बड़ा उदाहरण एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट माना जा रहा है जिसकी लागत स्मार्ट सिटी के एक पूर्व सी.ई.ओ. ने अपनी मर्जी से ही 14 करोड़ रुपए बढ़ा दी और उसकी मंजूरी चंडीगढ़ बैठे किसी अधिकारी से नहीं ली। अब इसे लेकर स्मार्ट सिटी के मौजूदा अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है और वह कंपनी को पेमैंट इत्यादि करने और प्रोजैक्ट को क्लियर करने का रास्ता तक नहीं ढूंढ पा रहे। चूंकि पंजाब सरकार ने जालंधर स्मार्ट सिटी के सभी कामों की जांच का जिम्मा विजिलैंस ब्यूरो को सौंप रखा है इसलिए माना जा रहा है कि विजिलैंस अधिकारियों द्वारा एल.ई.डी स्ट्रीट लाइट स्कैंडल में जल्द ही एक रिटायर्ड आई.ए.एस अधिकारी को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।
विजिलैंस अधिकारियों ने अब तक की गई जांच दौरान पाया है कि जब एल.ई.डी. प्रोजैक्ट का टैंडर 49.44 करोड़ में लगाया गया था तो दिल्ली की कंपनी ने 11 प्रतिशत से ज्यादा डिस्काउंट भरकर यह टैंडर करीब 44 करोड़ में हासिल कर लिया था। उसके बाद स्मार्ट सिटी में रहे अधिकारियों ने अपने कांग्रेसी आकाओं को खुश करने की नियत से उनके विधानसभा क्षेत्रों और वार्डों में ज्यादा लाइटें लगानी शुरू कर दीं। तब जो काम 44 करोड़ रुपए में निपट जाना चाहिए था, वह 58 करोड़ तक पहुंचा दिया गया। टेंडर में साफ लिखा था कि पुरानी लाइटों को उतारकर नया लगाना है। तब शहर में 43 हजार के करीब पुरानी लाइटें उतरी, इनके स्थान पर 72 हजार से ज्यादा नई लाइटें लगा दी गई।
नियमों के मुताबिक टैंडर की राशि 14 करोड़ रुपए बढ़ाने के लिए स्मार्ट सिटी के अफसरों ने चंडीगढ़ में बैठी स्टेट लेवल टेक्निकल कमेटी से इसकी मंजूरी लेनी थी परंतु तब स्मार्ट सिटी के सी.ई.ओ. और अन्य अधिकारियों ने इसकी परवाह नहीं की और स्टेट लैवल टेक्निकल कमेटी से इस बढ़ौतरी की मंजूरी ही नहीं ली गई। गौरतलब है कि स्टेट लैवल टेक्निकल कमेटी में लोकल बॉडीज के तीनों चीफ इंजीनियर, पी.डब्ल्यू.डी. के चीफ इंजीनियर, बिजली बोर्ड के आला अधिकारी, पी.एम.आई.डी.सी. के जनरल मैनेजर और सीवरेज बोर्ड के इंजीनियर इन चीफ मैंबर हैं।
सभी शिकायतों को भी रद्दी की टोकरी में फैंक दिया
कांग्रेस की सरकार दौरान यह प्रोजैक्ट सी.ई.ओ. करनेश शर्मा की देखरेख में सिरे चढ़ा और प्रोजैक्ट के टैक्निकल एक्सपर्ट लखविंद्र सिंह थे जो जालंधर नगर निगम से रिटायर्ड एस.ई. थे। उस दौरान इस प्रोजैक्ट को लेकर सभी कांग्रेसी विधायकों (तत्कालीन विधायक बावा हैनरी को छोड़कर, क्योंकि करनेश शर्मा हैनरी परिवार के खासमखास थे), मेयर राजा और सभी दलों के पार्षदों ने कई बार शिकायतें दीं, घोटाले के आरोप लगाए, हाऊस की विशेष बैठकें कीं परंतु सभी शिकायतों को रद्दी की टोकरी में फैंक दिया गया। उस समय पंजाब सरकार ने इस प्रोजैक्ट की थर्ड पार्टी एजैंसी से जांच भी करवाई परंतु सी.ई.ओ. और प्रोजैक्ट एक्सपर्ट ने उस रिपोर्ट पर भी कोई एक्शन नहीं लिया। अब पूछताछ में इसी को आधार बनाया जा सकता है कि समय रहते एल.ई.डी. कंपनी पर कार्यवाही का दबाव क्यों नहीं बनाया गया और कंपनी को मनमर्जी करने की छूट क्यों दी गई।
प्रोजैक्ट स्मार्ट सिटी का था परंतु काम का तरीका बिलकुल देसी था
- प्रोजैक्ट चाहे स्मार्ट सिटी ने बनाया और पैसे भी दिए परंतु कंपनी ने देसी तरीके से काम किया । कई जगह लाईटों को क्लम्प तक न लगाए गए।
- सिस्टम को पूरे तरीके से ‘अर्थ' नहीं किया गया जबकि यह कांट्रैक्ट में शामिल था ।
- पुरानी लाइटों को ऐसे ठेकेदार के हवाले कर दिया गया जिसके पास टैंडर ही नहीं था ।
- स्मार्ट सिटी ने कंपनी को फालतू पेमेंट कर दी जिसे पंजाब सरकार ब्याज समेत वापस मांग रही है।
- गांवों में कम वाट की लाईटें लगाकर टैंडर की शर्तों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया गया।
सुशील रिंकू भी कर सकते हैं एक्शन की सिफारिश
एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट प्रोजैक्ट में सारा घोटाला कांग्रेस सरकार दौरान हुआ क्योंकि तब कांग्रेसी न तो निगम और न ही स्मार्ट सिटी के अफसरों को कंट्रोल कर सके। तब अफसरों ने पूरी मनमर्जी की, पार्षदों को पूछा तक नहीं, दो-दो सौ लाइटें देकर उनके मुंह बंद कर दिए। पार्षद और मेयर इस मामले पर हाऊस की बैठकें ही करते रह गए परंतु उनसे हुआ कुछ नहीं। अब उन्ही कांग्रेसियों को स्ट्रीट लाइटें बंद रहने से परेशानी आने लगी है।
खास बात यह है कि जब यह सारा घोटाला हुआ, तब सुशील रिंकू कांग्रेस के विधायक थे। उस समय के निगम कमिश्नर और स्मार्ट सिटी के चीफ करनेश शर्मा थे, जो हैनरी परिवार के नजदीकी थे। रिंकू और हैनरी की आपस में बनती नहीं थी, इसलिए करनेश शर्मा कभी भी रिंकू की गुड बुक्स में नहीं रहे। अब सुशील रिंकू के पास आम आदमी पार्टी के राज में भी पॉवर आ गई है। अगर वह चाहें तो एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट स्कैंडल की जांच का काम तेज करवा सकते हैं और जल्द आरोपियों पर एक्शन लेने संबंधी सिफारिश भी कर सकते हैं।
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