CBSE की संभावित डेटशीट पर खड़े हुए सवाल, टेंशन में Students
punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 12:52 PM (IST)

लुधियाना (विक्की): सी.बी.एस.ई. की ओर बेशक छात्रों की सहूलियत के लिए करीब 5 महीने पहले ही बोर्ड एग्जाम की डेटशीट जारी कर दी है लेकिन बोर्ड की इस जल्दबाजी ने स्टूडैंट्स और पेरैंट्स की टैंशन बढ़ा दी है। कई छात्रों ने तो सी.बी.एस.ई. के सोशल मीडिया हैंडल पर सी.बी.एस.ई. और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को अपने एतराज टैग किए हैं।
छात्रों का कहना है कि बोर्ड ने इस बार टाइम टेबल बनाते समय बच्चों के तनाव और तैयारी के समय का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा। सोशल मीडिया पर हजारों संदेशों के जरिए छात्र अपनी आपत्ति दर्ज करवा रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि बोर्ड तुरंत डेटशीट पर दोबारा विचार करे।
डेटशीट पर सबसे ज्यादा एतराज कक्षा 10 वी के छात्रों को है। उनका कहना है कि 25 फरवरी को साइंस की परीक्षा है जबकि 24 फरवरी को लैंग्वेज परीक्षा (पंजाबी) रख दी गई है। छात्रों का कहना है कि इतने भारी सिलेबस वाले विषय के लिए कम से कम 2–3 दिन का समय मिलना चाहिए था। इसी तरह फ्रैंच पढ़ने वाले बच्चों ने भी कहा कि फ्रैंच और साइंस जैसे पेपर को सिर्फ एक दिन के अंतर से करवाना बेहद अन्यायपूर्ण है।
गणित से परीक्षा की शुरूआत पर विरोध
कई अभिभावकों ने लिखा है कि 10वीं बोर्ड की शुरुआत गणित जैसे कठिन विषय से करना छात्रों पर अतिरिक्त दबाव डालेगा। यह उनका पहला बोर्ड अनुभव है नए परीक्षा केंद्र होंगे और शुरुआत में ही गणित का डर उन पर भारी पड़ सकता है।
12वीं के छात्र भी नाराज
12वीं के छात्रों ने भी अपनी आपत्तियां दर्ज की हैं। उनका कहना है कि फिजिकल एजुकेशन और फिजिक्स की परीक्षा लगातार दिनों में रखी गई है। छात्रों के अनुसार, इतने बड़े और कठिन सिलेबस के लिए एक दिन की छुट्टी पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा अंग्रेज़ी और कैमिस्ट्री के बीच भी असंतुलन की शिकायत सामने आई है।
एक छात्र ने लिखा –
“No gap for Science on 25th Feb after Punjabi exam on 24th. Please give us preparatory holiday.”
दूसरे यूज़र ने कहा – “French और Science को एक दिन के अंतर पर रखना छात्रों के साथ नाइंसाफी है।”
एक और छात्रा ने लिखा –
“Physical Education के अगले ही दिन Physics… यह अनुचित है, कृपया डेटशीट संशोधित करें।
छात्रों की चेतावनी : रिज़ल्ट होगा प्रभावित
छात्रों और अभिभावकों की साझा राय है कि इस तरह के असंतुलित शैड्यूल से बच्चों की मेहनत पर असर पड़ेगा और उनके रिजल्ट पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वे साफ कह रहे हैं कि अगर अब भी उनकी बात नहीं सुनी गई, तो उन्हें मजबूर होकर और बड़े स्तर पर आवाज उठानी पड़ेगी। अब सवाल यही है कि क्या सी.बी.एस.ई. छात्रों की इस सामूहिक अपील को सुनेगा और डेटशीट में सुधार करेगा या फिर बच्चों को मानसिक दबाव के बीच परीक्षा देनी होगी।
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