सुखबीर अक्सर बेतुकी बयानबाजी करते हैं और दोहरा मानक रखते हैं : कै. अमरेंद्र

punjabkesari.in Saturday, Jul 04, 2020 - 10:30 AM (IST)

चंडीगढ़/जालंधर(अश्वनी, धवन): पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल पर तीखा हमला बोला है। पंजाब में कांग्रेसियों पर राशन में गबन के लगाए आरोपों पर सुखबीर बादल का मजाक उड़ाते हुए कै. अमरेंद्र सिंह ने कहा कि अकाली दल के प्रधान की तरफ से तो पेश किए तथ्य पूरी तरह गलत हैं जो यह दर्शाते हैं वह हकीकत से पूरी तरह अंजान हैं।

 उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल प्रधान अक्सर बेतुकी बयानबाजी करते हैं और दोहरा मानक रखते हैं।तथ्य यह हैं कि पंजाब सरकार की तरफ से जून तक प्राप्त किए अनाज पदार्थों की मात्रा सुखबीर की तरफ से दिए आंकड़ों से अपेक्षा अधिक थी और इनमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बांटा जा चुका है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत राज्य को 212164 मीट्रिक टन गेहूं अलॉट किया गया, जिसमें से 199091 मीट्रिक टन गेहूं बांटा जा चुका है, जबकि 10800 मीट्रिक टन अलॉट दाल में से 10305 मीट्रिक टन की बांट हो चुकी है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत स्कीम के अंतर्गत गेहूं (प्रति व्यक्ति) और दाल (प्रति परिवार) 14.14 लाख व्यक्तियों को मुहैया करवाई गई और राज्य की तरफ से गेहूं का आटा तैयार करके, इसके साथ दाल शामिल करके इसको प्रति व्यक्ति एक किलो बनाया गया और राज्य की तरफ से अपने स्तर पर एक किलो चीनी इसमें डाली गई। 

राज्य सरकार ने 69 करोड़ खर्च करके 17 लाख खाद्य सामग्री के पैकेट प्रवासियों में बांटे
वास्तव में सरकार ने अपने फंडों में से प्रवासी कामगारों को 17 लाख खुराकी पैकेट बांटने के लिए 69 करोड़ रुपए खर्च किए जिनमें 10 किलो आटा, 2 किलो दाल और 2 किलो चीनी के पैकेट शामिल थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आंकड़े यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि खाद्य अनाज के वितरण संबंधी सुखबीर की तरफ से किए दावे और लगाए आरोप पूरी तरह निराधार और सबूत विहीन हैं। मुख्यमंत्री ने हाल ही में कृषि क्षेत्र संबंधी ऑर्डीनैंसों के मुद्दे पर पीछे हटने और इससे पहले सी.ए.ए. के मुद्दे पर अकालियों द्वारा अपनाए आप विरोधी स्टैंड की तरफ भी इशारा किया।

तेल कीमतों का इतना फिक्र है तो फिर केंद्रीय मंत्री की कुर्सी क्यों नहीं छोड़ते 
तेल पर वैट के मसले पर हरसिमरत बादल की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हरसिमरत तेल कीमतों के बढऩे से आम आदमी के प्रभावित होने पर इतनी ङ्क्षचतित है तो उसने केंद्र सरकार जिसमें वह कैबिनेट मंत्री है, पर डीजल और पैट्रोल कीमतों की कीमतों में बिना नियंत्रण के लगातार 22 दिन हुई वृद्धि पर काबू पाने के लिए दबाव क्यों नहीं डाला। मुख्यमंत्री ने कहा कि लगता है कि हरसिमरत को केंद्र सरकार की तरफ से तेल कीमतों में विस्तार करके 2 लाख करोड़ हासिल करने पर कोई समस्या नहीं, परंतु जब उसके अपने राज्य, जो कोविड महामारी के साथ जूझ रहा है और वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, की बात आती है तो उसे यह जन विरोधी लगता है। उन्होंने पूछा कि यदि बादल केंद्र की तरफ से तेल की कीमतों में की गई वृद्धि का विरोध करने में गंभीर हैं, तो वह केंद्र में एन.डी.ए. गठजोड़ क्यों नहीं छोड़ देते? हरसिमरत अभी तक केंद्रीय कैबिनेट में क्यों है?


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