बेअदबी मामले की जांच भटकाने में सुखबीर की विशेष भूमिका: खेहरा

punjabkesari.in Sunday, Jul 28, 2019 - 09:29 PM (IST)

जालंधरः पंजाब एकता पार्टी के प्रधान और भुल्लथ से विधायक सुखपाल सिंह खेहरा ने रविवार को आरोप लगाया कि डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ बेअदबी मामले को कमजोर करने तथा जांच को भटकाने के लिए अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने विशेष भूमिका निभाई थी जिसके चलते रोष प्रदर्शन हुआ तथा कोटकपूरा और बहबलकलां में गोली चली। खेहरा ने यहां एसआईटी के चालान के तथ्यों को जारी करते हुए पत्रकारों से कहा कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो के हाल ही में पेश की गई क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करने वाले सुखबीर बादल दोहरे मापदंड अपना कर मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। 

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उन्होने कहा कि एस.आई.टी की जांच अनुसार बादल, जो कि गृह मंत्री रहे थे, ने तीस जनवरी 2012 के विधानसभा मतदान से ठीक पांच दिन पहले बठिंडा के थाना कोतवाली में दर्ज प्राथमिकी को खत्म और रद्द किया जाना सुनिष्चित बनाया। चालान बताता है कि इंटेलिजेंस प्रमुख का तबादला और उसके स्थान पर कनिष्ठ अधिकारी की तैनाती, बादल, पुलिस महा निदेशक और डेरा सच्चा सौदा के अधिकारियों की सोची समझी साजिश थी। खेहरा ने कहा कि चालान में बताया गया है कि साल 2007 में सलाबतपुर हादसा के बाद शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक समिति के तत्कालीन प्रधान अवतार सिंह मकड़ ने पंजाब भवन दिल्ली में एक मीटिंग बुलायी जहां यह फैसला किया गया कि डेरा प्रमुख को श्री अकाल तख्त से माफी मांगने के लिए प्रेरित करने के लिए अलग-अलग धर्म प्रमुखों का एक प्रतिनिधि मंडल सिरसा भेजा जाएगा। 

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उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद तिरलोचन सिंह ने एस.आई.टी को दिए बयान में कहा है कि स्वामी अग्निवेश और चार अन्य की तरफ से डेरा प्रमुख तक पहुंचाया गया माफीनामा उन्होंने ड्राफ्ट किया था। वह सभी डेरा प्रमुख के हस्ताक्षर लेने में कामयाब हो गए जिसको बाद में अमृतसर लाया गया परंतु उस समय के जत्थेदार श्री अकाल तख्त ज्ञानी जोगिन्द्र सिंह वेदांती ने इसको मंजूर करने से इन्कार कर दिया। खेहरा ने कहा कि दिलचस्प और दुखदायी पहलू यह है कि बाद में 24 सितंबर 2015 को स्वामी अग्निवेश की तरफ से सौंपी गई 2007 की पुरानी चिट्ठी के आधार पर ही जत्थेदार अकाल तख्त ज्ञानी गुरबचन सिंह ने दोषी डेरा प्रमुख को माफी दे दी। उन्होंने कहा कि ओर भी हैरानी की बात यह है कि एस.आई.टी को दिए अपने बयान में उस समय पर के जत्थेदार तख्त पटना साहब ज्ञानी इकबाल सिंह ने कहा है कि क्षमा का याचक शब्द माफी देने समय चिट्ठी में अकाल तख्त सािब में जोड़ा गया था। खेहरा ने कहा कि दूसरे शब्दों में सर्वोच्च धार्मिक कुर्सी पर बैठे ज्ञानी गुरबचन सिंह जत्थेदार अकाल तख्त साहब ने मर्यादा का उल्लंघन खुद ही किया। 

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उन्होने बताया कि चालान में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि 14 अक्टूबर 2015 को कोटकपूरा में धरने पर बैठे लोग किसी प्रकार भी भड़के हुए नहीं थे और शांतमयी प्रदर्शन करने वालों पर पुलिस की तरफ से की गई फायरिंग अनावश्यक थी। यह सभी तथ्य जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट में भी सामने आए हैं। सुखवीर बादल ने बहुत ही चतुरता के साथ बेअदबी घटना से ध्यान हटाने और असली दोषियों को बचाने के लिए दो भाइयों रुपिन्दर और जसविन्दर को थर्ड डिग्री टार्चर द्वारा झूठा फंसाने की कोशिश भी की। खेहरा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की भी सख्त शब्दों में आलोचना की जो बेअदबी और बहबल कलां फायरिंग की जांच में ढीला रूख अपना रहे हैं तथा बादल को बचाने के लिए एस.आई.टी के रास्ते में रुकावटें डाल रहे हैं। 


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Mohit

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