कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हुए सुनील जाखड़ के साथ पंजाब केसरी की खास बातचीत

punjabkesari.in Friday, Jun 10, 2022 - 11:29 AM (IST)

जालंधर : सुनील जाखड़ करीब 3 हफ्ते पहले कांग्रेस को अलविदा कहकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। उसके बाद से वह चर्चा में बने हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा चंडीगढ़ दौरे के दौरान उनके पंचकूला आवास पर जाने से उनका कद और बढ़ा। कांग्रेस के कई नेता उनके संपर्क में हैं जो उनके जरिए पाला बदलने की तैयारी में हैं। 

पंजाब के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य, कांग्रेस, भाजपा आदि के बारे में उनसे बातचीत की पंजाब केसरी से हरिश्चंद्र ने। उस बातचीत के प्रमुख अंश :-

आपने सक्रिय राजनीति छोड़ने की बात कही थी, गत विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ा?
जिस तरह के हालात तब बने थे, वह सभी के ध्यान में है। बिल्कुल मैंने राजनीति से अलग होने का फैसला लिया था क्योंकि जिस तरह का माहौल कांग्रेस में उस समय बन गया था, जिस तरह की नीतियां चल रही थीं कि यदि सुनील या किसी हिंदू को सी.एम. बनाया तो पंजाब में आग लग जाएगी।
उस समय मैंने यही बेहतर समझा कि राजनीति के ऐसे माहौल से खुद को दूर रखूं। यह मसला शायद तय भी था। मेरे भतीजे संदीप जाखड़ ने मेरे अबोहर हलके से चुनाव लड़ा और लोगों ने उसे खूब प्यार-सत्कार देकर जिताया। 

ऐसी चर्चा है कि कुछ और सांसद-विधायक व सीनियर कांग्रेस नेता भी भाजपा में शामिल होने वाले हैं?
देखिए, मैं ज्योतिषी या भविष्य वक्ता तो हूं नहीं, मगर इतना कह सकता हूं कि जो हालात इस समय कांग्रेस के बने हुए हैं उसमें कई पार्टी नेता निराश, हताश महसूस कर रहे हैं। इनमें सांसद-विधायक भी हैं और कई वरिष्ठ नेता भी।

फिर आखिर राजनीति में दोबारा से सक्रिय होने की कोई खास वजह?
मैंने आहत महसूस किया, मेरी 3 पीढ़ियों की कांग्रेस के प्रति निष्ठा की तौहीन की है। क्योंकि यह बात मुझसे बुलाकर भी पूछी जा सकती थी। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी या राहुल-प्रियंका ही नहीं, वेणुगोपाल या पार्टी का कोई अन्य वरिष्ठ नेता मुझसे इस बारे बात कर सकता था कि क्या कारण रहे, क्या बात हुई। लेकिन नोटिस के जरिए कि जैसे कहते हैं-

क्या चोर हैं जो हमको दरबान तुम्हारा रोके,
कह दो कि हम तो जाने-पहचाने आदमी हैं।

हमारी जान-पहचान तो 3 पीढ़ियों से थी, 50 साल से थी और मुझे नोटिस दिया जा रहा है एक अपराधी के तौर पर। मेरे स्वाभिमान, आत्म सम्मान को इससे ठेस पहुंची। दूसरा पार्टी के हित में निजी बातों को दूर किया जा सकता था। मगर जिस बात की मैं लड़ाई लड़ा रहा था और जिस नेता के खिलाफ लड़ाई लड़ा रहा था उसी ने हिंदू-सिख भाईचारे में दरार डालने की कोशिश की, लेकिन हाईकमान ने मुझे नोटिस थमा दिया।

मतलब हाईकमान ने उक्त नेता की बात को स्वीकार किया कि किसी हिंदू के सी.एम. बनने से पंजाब में आग लग जाएगी। ऐसे बयान देकर उस नेता ने न केवल पंजाबियत को बदनाम किया, सिखी को बदनाम किया, बल्कि कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष छवि को भी ठेस पहुंचाई। इसके चलते ही मुझे पार्टी से अलग होने का ख्याल आया। अलग तो खैर क्या, जब उन्होंने नोटिस दे दिया था तभी मेरा उनसे संबंध विच्छेद हो गया था क्योंकि 50 साल का यदि रिश्ता भी ऐसा है कि वह बात तक नहीं कर रहे। मगर इस भूमिका में भी यदि देखें तो घर बैठना और घर बिठाया जाना इसमें बड़ा फर्क है। पंजाबियत, पंजाब की भाईचारक सांझ में मैं किसी तरह योगदान डाल सकूं इसलिए दोबारा से सक्रिय राजनीति में लौटा हूं।

आपके पास दो विकल्प थे, फिर भाजपा को ही अपनी नई पारी के लिए क्यों चुना?
50 साल का संबंध तोड़कर नए किसी भी घर में जाना आसान नहीं होता। मेरे जीवन में ऐसे मौके कम ही आए हैं जब इस तरह के कड़े फैसले लेने पड़े। मैं नहीं चाहता कि किसी के भी जीवन में या राजनीतिक जीवन में इस तरह के मौके आएं जब आप इतने लंबे संबंध तोड़कर नई धारा के साथ जुड़ते हैं। राष्ट्रीय संदर्भ में पंजाब के लिए खास तौर पर, पंजाब की जरूरत को ध्यान में रखकर भाजपा में जाने का फैसला लिया। 

यदि सत्ता के संबंध में या निजी हित में फैसला लेता तो राजनीतिक नेता के तौर पर देखता कि आम आदमी पार्टी की सरकार के करीब 5 साल पड़े हैं, अबोहर जिले के अंदर और उस पूरे इलाके में भी इनके किसी नेता का आधार नहीं है। 

अगर राजनीतिक वर्चस्व के लिए जाता तो आप में जाना बेहतर राजनीतिक फैसला होता। पंजाब की बेहतरी के लिए, देश की बेहतरी के लिए, पंजाबियत की भावना को भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी में अच्छे से पेश करने में अपनी भूमिका अदा कर सकता हूं। मेरा कोई निजी स्वार्थ नहीं था।

आपके भाजपा में शामिल होने और अब कुछ कांग्रेसियों के पार्टी छोड़ भाजपा में जाने पर पंजाब कांग्रेस प्रधान राजा वड़िंग ने तंज कसे थे। आप क्या कहेंगे?
कहते हैं कि जब आदमी की परछाई उससे बड़ी हो जाए तो समझिए कि सूरज अस्त होने वाला है और यदि किसी आदमी की जुबान उसकी हैसियत से बड़ी हो जाए तो समझो कि वह अस्त होने वाला है। आज जिस तरह की कांग्रेस लीडरशिप है उससे कुछ बेहतर होने की उम्मीद हो भी नहीं सकती। 

आज का ही इनका ड्रामा देखिए, सी.एम. के आवास पर पहले भी धरने-प्रदर्शन होते रहे हैं लेकिन इन्होंने ऐसा हुड़दंग मचाया जैसे कालेज के लड़के हों। राजनीतिक परिपक्वता की कमी इन नेताओं में साफ दिखती है।

अभी हाल ही में कांग्रेस के 4 पूर्व मंत्री भी भाजपा में शामिल हुए हैं, इसमें आपकी भी भूमिका रही? चुनाव अभी दूर हैं तो यह लोग क्यों कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं?
यह तो घर-घर की कहानी है। यह केवल सुनील जाखड़ की नहीं कि उसके साथ इस तरीके का व्यवहार हुआ। बहुत सारे कांग्रेस के शीर्ष नेता थे जो किसी न किसी वजह से आहत महसूस कर रहे थे। उन्होंने इस बात को समझा, निजी संबंध होने के नाते उन्होंने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। 

उन्होंने देखा कि मैंने भाजपा ज्वाइन की तो उनका दर्द भी छलका। मेरे कुछ पार्टी कुलीग मिलने आए तो बातचीत दौरान मैंने कहा था कि पंजाब में जो स्थिति है चाहे वह कानून-व्यवस्था की, वित्तीय या किसानी की, वह सबके सामने है। 

पंजाब ने देश के लिए बहुत कुछ किया, कुर्बानियां दीं, देश का पेट भरा, लेकिन आज पंजाब की बाजू पकडऩे वाला चाहिए। पंजाब की यह जरूरत है कि जैसा केंद्र का पंजाब के प्रति रुख है, उसमें भाजपा के साथ जुडऩा बेहतर है। पूरा फोकस है मोदी सरकार का पंजाब पर।

ऐसी चर्चा है कि कुछ और सांसद-विधायक व सीनियर कांग्रेस नेता भी भाजपा में शामिल होने वाले हैं?
देखिए, मैं ज्योतिषी या भविष्य वक्ता तो हूं नहीं, मगर इतना कह सकता हूं कि जो हालात इस समय कांग्रेस के बने हुए हैं उसमें कई पार्टी नेता निराश, हताश महसूस कर रहे हैं। इनमें सांसद-विधायक भी हैं और कई वरिष्ठ नेता भी।

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News Editor

Kalash

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