सरकार को दोनों तरफ से लग रहा चूना, अवैध निर्माणों का बड़े स्तर पर खेला जा रहा खेल

punjabkesari.in Tuesday, Jan 03, 2023 - 04:15 PM (IST)

जालंधर: नगर निगम के बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी बनती है कि वह शहर में हो रहे अवैध निर्माणों को सख्ती से रोकें और नक्शा पास होने के बाद ही कोई व्यक्ति वहां निर्माण कर सके, इसके लिए इन अधिकारियों को लाख-लाख रुपए वेतन मिलता है परंतु हालात यह बन गए हैं कि बिल्डिंग विभाग के अधिकारी अवैध निर्माणों को रोकने की बजाय उन्हें खुला संरक्षण देते हैं और जिन अवैध निर्माणों को रोकने के लिए सरकार उन्हें मोटा वेतन देती है, उन्हें पूरा करवा कर वह अपने वेतन से कई गुना ज्यादा कमाई कर लेते हैं।

इससे सरकार को दोनों तरफ चूना लग रहा है। जालंधर और पंजाब में पिछले 5 साल रही कांग्रेस की सरकार दौरान अवैध निर्माणों का यह खेल बड़े स्तर पर खेला गया। इसके चलते न केवल सरकार को फीसों के रूप में अरबों रुपए का चूना लगा बल्कि करोड़ों रुपए निगम के संबंधित अधिकारियों की जेब में भी चले गए। इसी कार्यकाल दौरान एक और खेल उभरकर सामने आ रहा है जिसके चलते शहर के कई प्रॉपर्टी डीलर और बिल्डर इत्यादि अवैध निर्माणों को चुपके-चुपके बेचकर भोले भाले लोगों को ठग रहे हैं।

कभी कभार जब निगम अवैध निर्माणों के मामले में शिकायतों के आधार पर सीलिंग या डिमोलिशन जैसी कोई कार्रवाई करता है तो निर्माण करने वालों की बजाय खरीदारों को उसका नतीजा भुगतना पड़ता है। ऐसे दर्जनों उदाहरण शहर में सामने आ चुके हैं परंतु ताजा उदाहरण ओल्ड होशियारपुर रोड पर स्थित गुलमोहर सिटी कॉलोनी के बाहर मेन सड़क का है जहां एक डीलर ने दर्जन भर से ज्यादा दुकानें काटकर न केवल उन्हें बेचने का सिलसिला शुरू कर रखा है बल्कि वहां एक बड़े हॉल का निर्माण भी जारी है।

इस बाबत निगम को शिकायतें पहुंच रही हैं। शिकायतकर्त्ता का कहना है कि एक-एक दुकान 10-10 लाख रुपए में बेची जा रही हैं और कुछ दुकानों का तो बयाना तक किया जा चुका है। इसके अलावा वहां अवैध रूप से बन रहे हाल को एक मेडिकल स्टोर वाले के पास बेचे जाने की योजना है। शिकायतकर्त्ता का कहना है कि अवैध निर्माण पूरा हो जाने के बाद जब खरीदार वहां कारोबार इत्यादि शुरू करेंगे तो उन्हें निगम की कार्रवाईयों का सामना करना पड़ेगा जबकि डीलर तो अपना सौदा बेचकर निकल जाएगा। गौरतलब है कि ऐसे उदाहरण मिशन कंपाऊंड में बनी मार्कीट और कई अवैध कॉलोनियों में भी देखने को मिल चुके हैं जहां खरीदार अभी तक पछता रहे हैं।

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News Editor

Urmila

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