विजय ज्वैलर में लूट का मामला : ऑटो वाले से दोस्ती कर ली हेरोइन और फिर... हुए बड़े खुलासे
punjabkesari.in Wednesday, Nov 05, 2025 - 11:09 AM (IST)
जालंधर (वरुण) : भार्गव कैम्प में विजय ज्वैलर्स में लूट करने वाले तीनों आरोपियों ने फगवाड़ा में बस से उतर कर जालंधर लौटने का मन बना लिया था। वह जालंधर की बस में बैठ भी गए लेकिन लुटेरे गगन का मोबाइल ऑन होने के कारण बस्तियात के एक चर्चित गैंग के बदमाश ने उसे फोन करके अलर्ट किया और बता दिया कि उन तीनों का नाम सामने आ चुका है, लेकिन कहीं भाग जाएं। जालंधर पहुंचने से पहले ही आरोपी रास्ते में उतर गए और सीधा लुधियाना की बस में बैठ गए। लुधियाना में उन्होंने एक ऑटो वाले से दोस्ती की और उसे 10 हजार रुपए देकर हैरोइन लाने को कहा। ऑटो चालक ने उनके साथ हैरोइन पी और उसी रात उन्हें लुधियाना रेलवे स्टेशन से अजमेर की ट्रेन पर चढ़ा किया।
दरअसल जालंधर पुलिस आरोपियों को ट्रेस करने के लिए भार्गव कैंप से सी.सी.टी.वी. कैमरों की फुटेज चैक करते हुए पहले डॉ. भीमराव अंबेडकर भवन वाली गली पहुंची जिसके बाद डेढ़ दिन की मशक्कत के बाद तीनों लुटेरों का रूट ब्रेक करके जालंधर बस स्टैंड पहुंच गई। जालंधर बस स्टैंड से उन्होंने फगवाड़ा की बस पकड़ी। बस का नंबर सी.सी.टी.वी. कैमरे में कैद हो गया और जब पुलिस ने उस बस के कंडक्टर से बात की तो पता लगा कि तीनों काफी घबराए हुए थे और फगवाड़ा बस स्टैंड के बाहर ही उतर कर दूसरी साइड जाकर खड़े हो गए।
उधर कुश और कुशल का मानना था कि गगन को कोई पहचान नहीं सकता इसलिए उन्होंने वारदात के दिन ही उसका 3 से 4 घंटे तक मोबाइल ऑन रखा। कोई फोन नहीं आया तो तीनों ने वापिस जालंधर जाने के मन बना लिया। फगवाड़ा से उन्होंने जालंधर की बस पकड़ ली लेकिन रास्ते में ही बस्तियात के एक गैंग ने गगन के मोबाइल पर फोन करके उनकी पहचान होने की जानकारी दी और सलाह दी कि वह कहीं दूर भाग जाएं। फोन आने के बाद तीनों रास्ते में ही उतर गए। वह बस पकड़ कर लुधियाना पहुंचे और एक ऑटो में बैठ गए। ऑटो वाला खुद नशेड़ी थी जिसके साथ दोस्ती करके तीनों ने ऑटो वाले को 10 हजार की हैरोइन लाने को कहा। ऑटो में ही चारों ने हैरोइन पी। तब तक गगन ने अपना मोबाइल कर लिया था। पुलिस भी आरोपियों को रूट ब्रेक करके ऑटो वाले तक पहुंच गई। ऑटो के अंदर बैठने की एक फुटेज एक सी.सी.टी.वी. कैमरे में आ चुकी थी, जिसकी पहचान करके उससे पूछताछ की तो ऑटो वाले ने पुलिस को बता दिया कि उसने तीनों को लुधियाना रेलवे स्टेशन से देर रात अजमेर की ट्रेन पर चढ़ाया है।
जैसे ही अजमेर का नाम सामने आया तो जालंधर पुलिस के दिमाग में एक ही नाम आया जो गौरव था। गौरव भार्गव कैंप इलाके के एक बाबा को काफी मानता है और भार्गव कैंप के लोग अगर अजमेर जाते है तो गौरव ही उन्हें आश्रम में रुकवाता है। ऐसे जालंधर पुलिस की टीम देर रात ही अजमेर के लिए रवाना हो गई और तीनों को गिरफ्तार कर लिया। चर्चा है कि तीनों लुटेरों को इनपुट देने और उन्हें भागने की सलाह देने वाले गैंग के बदमाश खिलाफ भी पुलिस एक्शन ले सकती है।
बता दें कि वीरवार सुबह दस बजे गगन, करण और कुशल तीनों निवासी भार्गव कैंप ने गन प्वाइंट पर भार्गव कैंप में मौजूद विजय ज्वैलर में से गोल्ड और कैश लूट लिया था। पुलिस ने तीनों को पनाह देने वाले अजमेर के पुष्कर निवासी गौरव को भी गिरफ्तार कर लिया था जिन्हें जालंधर लाकर पुलिस ने रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी थी।
रामामंडी के शामा ने वारदात वाले दिन दिया था पिस्टल, उसी दिन लौटा दिया : पुलिस की जांच में पता लगा कि लुटेरों ने वारदात के लिए रामामंडी के शामा से अवैध पिस्टल लिया था। वारदात के बाद वह पिस्टल उसी को वापस कर दिया। फिलहाल शामा को अभी नामजद नहीं किया गया है लेकिन जल्द ही उसकी गिरफ्तारी भी हो सकती है। वारदात में इस्तेमाल हुआ पिस्टल अभी भी बरामद नहीं हो पाया है।
अभी तक 200 ग्राम सोना ही बरामद हुआ
लुटेरों से अभी तक 200 ग्राम सोना ही बरामद हुआ है। दुकानदार और लुटेरों की गोल्ड की मात्रा को लेकर अभी भी रहस्य बना हुआ है। लुटेरे 200 ग्राम सोना और 23 हजार रुपए लूटने की बात कर रहे है तो दुकानदार ने बयानों में 850 ग्राम सोना और सवा 2 लाख रुपए लिखवा रखे हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस अगर अजमेर जाने के लिए लेट होती तो तीनों बदमाश मुंबई भागने की फिराक में थे। उन्होंने मुंबई जाने की टिकटें भी बुक करवा ली थी।
पुष्कर में स्कूल मालिक है गौरव
गौरव को पता था कि तीनों आरोपी जालंधर में लूट की वारदात को अंजाम देकर आए हैं। गौरव पुष्कर में स्कूल चलाता है और खुद भी टीचर है। बताया जा रहा है कि भार्गव कैंप में एक बाबा ने गौरव की बहन का इलाज करके उसे दूसरा जन्म दिया था। गौरव पिछले 15 सालों से भार्गव कैंप में आता जाता रहा है। गौरव ने पूछताछ में बताया कि बहन को नया जीवन मिलने पर अगर भार्गव कैंप से कोई भी व्यक्ति अजमेर आता था तो वह उन्हें आश्रम में ही रुकवाता था।
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