सरकार कोई भी बने, अफसरों को तैयार रहना होगा बोरी-बिस्तर बांध कर
punjabkesari.in Sunday, Mar 06, 2022 - 12:07 PM (IST)

अमृतसरः पंजाब में असेंबली मतदान का दौर 10 मार्च को मुकम्मल हो जाएगा। उस दिन नतीजे आ जाएंगे और हार-जीत का फैसला भी हो जाएगा। राज्यों में एक नई सरकार के गठन की तैयारी शुरू हो जाएगी। नई सरकार के बनने के साथ आम लोगों को कितना फर्क पड़ेगा, इस सम्बन्धित अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है परन्तु राज्यों की अफसरशाही को नई सरकार के गठन समय बड़ा फर्क पड़ने जा रहा है।
पंजाब में पहले कैप्टन अमरिन्दर सिंह की कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। कार्यकार के आखिरी 111 दिन राज्यों में चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने काम किया। 111 दिन में से और ज्यादा दिन तो सरकार को अपनी कदम-ताल मिलाने में ही लग गए। इस दौरान अफसरों के तबादलों का दौर जारी रहा। अब जब राज्यों में विधान सभा मतदान हो चुके हैं और 10 मार्च को आने वाले नतीजों के बाद नई सरकार सत्ता में आ जाएगी तो इस दौरान तबादलों का दौर फिर से शुरू हो जाएगा।
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अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो...
पंजाब में अगर कांग्रेस की सरकार दोहराई जाती है तो एक बार फिर तबादलों का दौर शुरू हो जाएगा। 111 दिन के लिए जब चन्नी सरकार रही थी तो उस दौर में सरकार नहीं चाहती थी कि अफसरों को और ज्यादा इधर-उधर किया जाए क्योंकि नए आदेशों को लागू करवाने के लिए सरकार के पास बहुत थोड़े दिन बाकी थे। पुलिस के आधिकारियों को अगर छोड़ दिया जाए तो पंजाब के दूसरे विभागों में कोई खास तबदीली नहीं हुई। अब कांग्रेस के फिर से सत्ता में आने पर तबादलों का दौर पुलिस विभाग से शुरू होगा। खाद्य और आपूर्ति विभाग, ट्रांसपोर्ट और स्थानीक सरकारी विभाग के साथ-साथ दूसरे सरकारी विभागों तक भी चलेगा।
अगर ‘आप’ की सरकार बनी तो...
पंजाब में अगर आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनती है तो अफसरशाही के लिए सब से कठिन दौर होगा। दिल्ली में 'आप' की सरकार बनने के बाद बड़ी संख्या में अफसरों को इध-उधर किया गया था। बेहद कम अहम पदों पर तैनात आधिकारियों को अहम पद दिए गए थे। मलाईदार पदों पर बैठे आधिकारियों को एक तरफ कर दिया गया था। पंजाब में भी ऐसा हो सकता है। अगर यहां आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो आधिकारियों को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। पूर्व सरकारों के दौर में किए गए कुछ कामों को आम आदमी पार्टी के नेता बेनकाब कर सकते हैं।
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अकाली-भाजपा की सरकार बनी तो...
पंजाब में यूं तो संभावना बहुत कम है परन्तु फिर भी अगर अकाली दल और भाजपा दरमियान आपस में गठजोड़ हो जाता है, भाजपा या अकाली दल अकेले भी सरकार बना लेते हैं तो आधिकारियों की दौड़ लगनी यकीनी है। पिछले 5 वर्षों से अकाली और भाजपा नेताओं के चहेते अधिकारी बिल्कुल एक तरफ बैठे हैं। उनको अहम पदों पर काम किए 5 वर्ष से भी अधिक का समय हो गया है। अगर अकाली दल या भाजपा में से किसी एक की सरकार बनी तो इन आधिकारियों की चांदी हो जाएगी।
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