नाड़ को लगाई आग से जले एक दर्जन पेड़

punjabkesari.in Wednesday, May 16, 2018 - 01:50 PM (IST)

पठानकोट/भोआ (शारदा, अरुण): पंजाब में निरंतर बढ़ रहे प्रदूषण से जहां एक ओर पंजाब सरकार परेशान है, वहीं जिले में भी पर्यावरण प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। अगर यही स्थिति रही तो आगामी वर्षों में स्थिति घातक हो सकती है। दूसरी ओर राज्य सरकार व प्रशासन के लाख आगाह करने व सख्ती करने के बावजूद खेतों में नाड़ को जलाने का सिलसिला जारी है। प्रदूषण विभाग की भी प्रदूषण रोकने के लिए कार्रवाई नगण्य ही नजर आ रही है। बात अगर जिले की करें तो इस जिले का भोआ हलका ऐसा है जिसके सैंकड़ों गांव ऐसे हैं यहां किसान नाड़ को जलाकर प्रदूषण फैला रहे हैं। 


जानकारी के अनुसार जिले में करीब 6 दर्जन ईंट-भट्ठों व अन्य छोटे-बड़े कारखानों से ऊर्जा के लिए जलाने वाला पैट कोक भी प्रदूषण को बढ़ाने में बड़ा कारण बन रहा है। दूसरी ओर भोआ हलके के अधीन आते पठानकोट-अमृतसर हाईवे पर गांव कानवां के पास किसानों द्वारा गेहूं के अवशेषों को जलाने के लिए लगाई आग इस भयानक स्तर पर फैली कि हाईवे के किनारे सटे पेड़ों को चपेट में ले लिया। इससे दर्जन पेड़ अग्रिभेंट हो गए। 

जानकारी के अनुसार परमानंद-तारागढ़ मुख्य मार्ग पर किसी किसान ने नाड़ को जलाने के लिए खेतों में शेष रहे गेहूं की फसल के अवशेषों को आग लगा दी। इसके बाद खेत में लगे पॉपुलर के वृक्षों को आग लग गई। वहीं खेतों से मोटरों की ओर जाने वाली बिजली की तारें भी पूरी तरह से जल गईं। 

एक अन्य वाक्या में कोटली से सुंदरचक्क मार्ग पर किसानों द्वारा गेहूं की नाड़ को आग लगाने से श्मशानघाट के समीप किसी गरीब व्यक्ति द्वारा लगाए गए गोबर के ऊपले पूरी तरह से जल गए। इसके अतिरिक्त गांव जसवाली, सुंदरचक्क, गोबिन्दसर, तारागढ़, जानीचक्क, मदीनपुर, हैब्बत पिंडी, बकनौर, खोखर, ख्याला, माजरा आदि में नाड़ जलाने की सूचना है परन्तु संबंधित विभाग नाड़ को जलाने के लिए जो कार्रवाई करने के दावे कर रहा है वह महज ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। 

इस संबंध में जानकारी देते हुए किसान राजेश दूबे, मान सिंह, ठाकुर योध सिंह आदि ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से गेहूं के अवशेषों को खत्म करने के अलावा उनके पास आग के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर विभाग की ओर से उन्हें गेहूं के अवशेषों को गलाने-सड़ाने के लिए कोई विकल्प उपलब्ध करवाया जाता तो वे ऐसा न करते हैं परंतु उनके पास मात्र एक ही साधन है। 


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swetha

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