हम दिल्ली की शांति भंग करने नहीं बल्कि इसकी सुरक्षा के लिए आए हैं: अमरेंदर

punjabkesari.in Wednesday, Nov 04, 2020 - 07:46 PM (IST)

चंडीगढ़(वार्ता): पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंदर सिंह ने कहा है कि वह दिल्ली में केंद्र के साथ टकराव नहीं बल्कि गरीब किसानों के लिए इन्साफ के लिए आए हैं जिनकी रोजी-रोटी केंद्रीय कृषि कानूनों के कारण खतरे में पड़ी हुई है। उन्होंने आज दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरने के दौरान कहा कि वे यहां शान्ति भंग करने नहीं बल्कि इसकी सुरक्षा के लिए आए हैं। उन्होंने कहा ‘हमें तथा पंजाब के विधायकों को दिल्ली में धरना देने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि राष्ट्रपति ने उन सभी से मिलने के लिए समय नहीं दिया और उनकी मुलाकात को इस आधार पर रद्द कर दिया कि राज्य के खेती संशोधन बिल अभी राज्यपाल के पास पड़े हैं।

उन्होंने बताया कि चाहे उनका पहला प्रोग्राम राजघाट में क्रमवार धरना देने का था लेकिन बाद में इसे जंतर-मंतर पर शिफ्ट करना पड़ा क्योंकि दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रपिता की समाधि राजघाट पर धारा 144 लगा दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जानते हैं कि राज्यपाल इसमें कुछ नहीं करेंगे। इस कारण वह राष्ट्रीय सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा संबंधी पंजाब की परेशानी से राष्ट्रपति को अवगत कराने के लिए मिलना चाहते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति पंजाब विधानसभा में पारित कृषि बिलों को लेकर सहमति दे देंगे।

कैप्टन ने कहा कि केंद्र सरकार पंजाबियों के बलिदानों को ध्यान में रखते हुए पंजाब की समस्याओं पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है। पंजाब सीमावर्ती राज्य होने के कारण कई तरह की परेशानी का सामना देश के लिए खुद करते हैं ताकि देश की सुरक्षा पर आंच न आए। पंजाब का कोई भी नागरिक किसी भी देश विरोधी गतिविधि में शामिल होने की सोच भी नहीं सकता। उन्होंने कहा ‘मैं देश के लिए अपना खून देने के लिए तैयार हूं जैसा कि पंजाबी सदा ही करते आए हैं।' यदि किसानों का मसला हल न हुआ तो बेचैनी बढ़ेगी और इसका लाभ उठाने की ताक में चीन और पाकिस्तान दोनों बैठे हैं।

उन्होंने केंद्र से अपील की कि छोटे और सीमांत किसानों की दुर्दशा को समझे। उन्होंने कहा कि उनके पास गृह विभाग का प्रभार भी है और वह सरहदों पर होने वाले खतरों से अवगत हैं जिसमें पाकिस्तान आतंकवादियों और गैंगस्टरों के लिए हर रोज ड्रोनों के जरिए नशे और हथियारों की तस्करी की जाती है। यदि पंजाब में मुश्किलें बढ़ीं तो पूरे देश की सुरक्षा दांव पर लग जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान कार्पोरेट के साथ लड़ रहे हैं इसी कारण वे निजी थर्मल प्लांटों को जाने वाली दोनों ट्रैकों को अवरूद्ध किए हैं और सरकारी बिजली संयंत्रों को जाने वाली ट्रैक वे खाली कर चुके हैं। अन्य सभी लाइनें खुली हुई हैं।

उन्होंने रेलवे मंत्री पीयूष गोयल को भरोसा भी दिलाया था कि मालगाड़ियों को जाने की अनुमति देने में पंजाब पुलिस की तरफ से आर.पी.एफ. को स्टेशनों और रेलगाड़ियों के साथ सुरक्षा बनाए रखने में सहायता की जाएगी। केंद्र की तरफ से पंजाब में ट्रेनें चलाने की अनुमति न देने के पीछे दिए गए तर्क पर सवाल उठाते हुए कैप्टन अमरेंद्र ने कहा कि यह फैसला पंजाब में जरूरी सप्लाई में रुकावट पैदा कर रहा है जिससे लद्दाख और कश्मीर में सशस्त्र बलों सहित दूसरे राज्यों में जरूरी आपूर्ति प्रभावित हो रही है। धरने को सांसद मनीष तिवारी और विधायक नवजोत सिंह सिद्धू, लोक इंसाफ पार्टी के सिमरनजीत सिंह बैंस, एकता पार्टी के सुखपाल खैहरा और शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) विधायक परमिन्दर सिंह ढींडसा ने भी संबोधित करते हुए केन्द्र की पंजाब और किसान विरोधी कार्यवाही की कड़ी निंदा की। श्री सिद्धू ने रेल यातायात के निलंबन को केन्द्र सरकार की ‘आर्थिक नाकाबंदी' करार दिया।


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Sunita sarangal

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