सावधान! पंजाब में कोरोना कम होते ही नई आफत, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की Advisory

punjabkesari.in Thursday, Jul 08, 2021 - 11:35 AM (IST)

लुधियाना(राज) :  पंजाब में कोरोना वायरस का कहर थोड़ा कम होते ही नई आफ़त शुरू हो गई है। इसके चलते सेहत विभाग ने शहरवासियों को अगाह करते हुए एडवाइजरी जारी है कि डेंगू का सीजन शुरू हो गया है। वैसे जुलाई शुरू से नवंबर तक का इसका डेंजर्स पीरियड माना जाता है। जब तक तापमान नीचे गिरकर 15-16 डिग्री तक नहीं आ जाता, तब तक इसका सीजन चलता रहता है। दिलचस्प बात यह है कि डेंगू एडीज अजैप्टि नामक मादा मच्छर से काटने से होता है, इसे टाइगर मच्छर भी कहा जाता है।

क्योंकि, इसके ऊपर टाइगर जैसी धारियां होती है। इसकी उम्र एक महीना तक ही होती है। लेकिन इस जीवन काल में वह 500 से लेकर 1000 तक मच्छर पैदा कर सकती है। यह मच्छर तीन फुट से ज्यादा ऊंची उड़ान नहीं भर सकता। इस कारण केवल लोयर लिंब्स पर ही इसका डंक चलता है। मादा मच्छर कूलर, गमलों, फ्लॉवर पॉट, छत पर पड़े पुराने बर्तनों व टायर इत्यादि में भरे पानी और आबादी के आसपास गड्डों में लंबे समय तक खड़े साफ पानी में अपने अंडे देती है। यह एक बार में 100 से लकर 300 तक अंडे देती है। अंडों से लारवा बनने में 2 से 7 दिन लगते हैं। लारवा के चार दिनों बाद यह पपा (मच्छर की शेप) बन जाता है और 2 दिन बाद उडऩे लायक बन जाता है, बल्कि यह चिकनगुनिया, येलो फीवर व जीका वायरस के लिए भ्भी एजेंट का काम करती है। इन बीमारियों का वायरस भी इसी मच्छर के माध्यम से एक इन्फेक्टेड इंसान से स्वस्थ व्यक्ति शरीर में प्रवेश करता है।

10 एमएल पानी में पैदा हो जाता है डेंगू का लारवा
विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू मच्छर को अपना लारवा पैदा करने के लिए 10 मिलीलिटर (एमएल) पानी ही काफी होता है। किसी बड़े पत्ते पर भी 48 से 72 घंटे के लिए पानी खड़ा रह जाए तो वहां भी लारवा पैदा किया जा सकता है। इसे मच्छर बनने के लिए 7 दिन का समय लगता है।

सुबह-शाम लगता है डेंगू का डंक
विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू का मच्छर केवल सुबह और शाम के समय ही काटता है। दोपहर और रात को यह घर के कोने, पर्दे के पीछे या नमी वाली जगह पर छुप जाता है। यह मच्छर ज्यादा ऊंची उड़ान नहीं भर सकता। इस कारण केवल पैरों से लेकर घुटनों तक ही काटता है। डेंगू की कंफर्मेंशन के लिए एनएस1 और एलाइजा टेस्ट किया जाता है। पांच दिन से कम समय तक फीवर होने पर एनएस1 और पांच दिन से ज्यादा बुखार होने पर एलाइजा टेस्ट किया जाता है।

डेंगू से बचने के लिए एडवाइजरी जारी
डेंगू के डंक से बचने के लिए शरीर को पूरी तरह ढंकने वाले कपड़े पहनने चाहिए। सोते समय मच्दरदानी, मच्छर भगाने वाले लोशन व तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। टूटे बर्तन, पुराने टायर व ड्रम इत्यादि को खुले में नहीं फेंके। घरों के कूलरों, फ्लावर पॉट, गमलों व टंकी में ज्यादा दिनों तक पानी खड़ा ना होने दें। बुखार होने पर पैरासिटामोल की टेबलेट लें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। तेज बुखार, सिरदर्द, मांस पेशियों में दर्द, स्किन पर लाल रंग के दाने निकलना, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जोड़ों में दर्द, सूजन आना, मसूड़ों व नाक से खून निकलना डेंगू के लक्ष्ण हो सकते है। ऐसा होने पर तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

सरकारी अस्पताल में करवा सकते है फ्री इलाज : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. किरण आहलूवालिया का कहना है कि डेंगू बुखार का इलाज सरकारी अस्पताल में फ्री होता है। अगर किसी व्यक्ति को डेंगू का शक हो तो वह एम.एस.एच. सैंटर (सिविल अस्पताल), खन्ना और जगराओं के सरकारी अस्पताल में जाकर टेस्ट करवा सकते है। पॉजिटिव पाये जाने पर फ्री इलाज करवा सकते है। इसके अलावा डॉ. आहलूवालिया ने लोगों को अपील की है कि घर में पानी ना खड़ा होने दें। कुलर, पूराने बर्तन, टायर और अन्य चीजे जिसमे पानी खड़ा हो सकता है, उसकी सफाई करें ताकि डेंगू के डंक से बचा जा सकें।


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Vatika

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