कांग्रेस के दुश्मन बने बैठे कैप्टन व जाखड़ को एक तरफ करवाकर ही चुप बैठेंगे: बाजवा

punjabkesari.in Sunday, Aug 09, 2020 - 09:31 AM (IST)

गुरदासपुर : जहरीली शराब से करीब 100 से अधिक लोगों की मृत्यु के चलते कैप्टन सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व  राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा तथा शमशेर सिंह दूलो ने पूरे पंजाब की राजनीति को गर्मा दिया है। इसके तहत प्रताप सिंह बाजवा ने पुन: न सिर्फ कैप्टन अमरेंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किए हैं बल्कि उन्होंने पंजाब कांगे्रस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के विरुद्ध भी सख्त टिप्पणियां करते हुए यह घोषणा की है कि जब तक कांग्रेस का नुक्सान कर रहे कैप्टन व जाखड़ को एक तरफ नहीं किया जाता तब तक वह चुप से नहीं बैठेंगे। पेश हैं पंजाब केसरी के संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी को दिए गए इंटरव्यू के मुख्य अंश।


मैं न बोलता तो कैप्टन की कुंभकर्णी नींद नहीं थी टूटनी
पंजाब केसरी से बातचीत करते हुए बाजवा ने कहा कि जहरीली शराब की दुखद घटना के बावजूद कैप्टन अमरेन्द्र सिंह व सुनील जाखड़ सहित पंजाब के मुख्य सचिव, डी.जी.पी. सहित अन्य सीनियर प्रतिनिधि घरों से नहीं निकले। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पिछले 5 माह से कुंभकर्णी नींद में हैं, यदि वह अभी भी रा’यपाल को मिलकर यह मामला न उठाते तो कैप्टन ने अब भी घर से बाहर नहीं निकलना था। उन्होंने जहरीली शराब के साथ मारे गए पीड़ित परिवारों के लिए 10-10 लाख रुपए मुआवजे की मांग की थी, इसी कारण पहले मात्र 2-2 लाख रुपए देने की घोषणा कर चुके कैप्टन को यह राशि बढ़ा कर 5-5 लाख रुपए करनी पड़ी।

अब तक बेअसर रही पंजाब सरकार द्वारा करवाई जांच
बाजवा ने कहा कि 2 वर्ष पूर्व अमृतसर में घटित रेलवे दुर्घटना दौरान करीब 60 लोगों की मृत्यु के बाद भी कैप्टन सरकार ने एक सिट का गठन किया था लेकिन उसकी जांच कमेटी ने भी इस मामले में सही रिपोर्ट नहीं दी। इसी तरह गत वर्ष बटाला में पटाखा फैक्टरी दौरान विस्फोट कारण भी जांच के लिए सिट का गठन किया गया था लेकिन यह सिट भी बेअसर रही है। अब जब पुन: पंजाब में जहरीली शराब कारण इतना बड़ा दुखांत हुआ है तो कैप्टन सरकार ने पुन: डिवीजनल कमिश्नर के नेतृत्व में सिट बनाकर पल्ला झाड़ लिया है लेकिन वह पूछना चाहते हैं कि क्या एक डिवीजनल कमिश्रर के पास इतनी ताकत है कि वह सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचकर निष्पक्ष जांच कर सके? उन्होंने कहा कि आबकारी विभाग सीधा मुख्यमंत्री के अधीन है, इसलिए इस बात की कोई उम्मीद नहीं की जा सकती कि एक डिवीजनल कमिश्रर इस दुखांत की निष्पक्ष जांच कर सकेगा।


मुझे मुख्यमंत्री पर ऐतबार नहीं
2700 करोड़ रैवेन्यू कम हो चुका है, इतनी बड़ी गिनती में लोगों की मृत्यु हुई और पंजाब में अवैध शराब की बिक्री के मामले भी उजागर हो रहे हैं, इसलिए वह मुख्यमंत्री पर ऐतबार नहीं कर सकते। यह किस तरह हो सकता है कि रा’य में चल रही अवैध डिस्टिलरियां सरकार की शह व मर्जी के बिना चलती हों?

4 वर्षों में न रुके नशे व न माफिया पर लगा अंकुश
बाजवा ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री रा’यसभा के सदस्यों के पत्रों का जवाब नहीं देता तो पंजाब के अन्य नेताओं व वर्करों की सुनवाई किस तरह होती होगी। इतिहास गवाह है कि ताकतवर लोगों की ’यादतियों के विरुद्ध पहले कुछ ही लोग आवाज बुलंद करते हैं लेकिन बाद में अन्य लोग भी खड़े हो जाते हैं। हमारी लड़ाई यह है कि कैप्टन ने चुनाव से पूर्व 4 सप्ताह में नशा समाप्त करने की शपथ ली थी लेकिन अब 4 वर्ष गुजर चुके हैं। इस दौरान नशे भी बंद नहीं हुए और रेत माफिया, शराब माफिया, ट्रांसपोर्ट भी बेखौफ कार्य कर रहा है।

जाखड़ कौन होता है हमें बाहर निकालने वाला
जाखड़ द्वारा बाजवा व दूलो के विरुद्ध कार्रवाई के लिए हाईकमान को लिखे पत्र संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए बाजवा ने कहा कि जाखड़ कौन होता है जो उन्हें पार्टी से निकालने की बात करे। जाखड़ को तो स्वयं ही 12 अप्रैल को मुख्यमंत्री की सुरक्षा ने बाहर निकाल दिया था और यदि जाखड़ में कोई स्वाभिमान होता तो वह त्यागपत्र देकर अपने गांव चले जाते। जाखड़ में एक नेता वाले गुण ही नहीं हैं और जब पंजाब में आतंकवाद का काला दौर था तो जाखड़ परिवार तो भाग कर राजस्थान चला गया था। इसी कारण इसे पंजाब के लोग पसंद नहीं करते जिसका उदाहरण यही है कि भाजपा के एक कौंसलर रह चुके नेता से भी जाखड़ हार गया। उन्होंने जाखड़ को कैप्टन का तोता कह दिया जो कैप्टन द्वारा मिली चूरी कारण ही बोलता है। 


अब पार्टी को निर्णय लेना होगा
 प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि अब समय आ गया है कि हाईकमान को निर्णय करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कैप्टन व उसके समर्थक कांग्रेस का जनाजा निकालना चाहते हैं लेकिन वह कांग्रेस के वफादार नेता हैं, इसलिए वह अब कैप्टन व जाखड़ को एक तरफ करवाकर ही चुप बैठेंगे। उन्होंने कहा कि जाखड़ लंबे समय से कांग्रेस भवन में नहीं गया और न ही कभी उन्होंने जिलों में मीटिंग की। आज पंजाब में 75 प्रतिशत चेयरमैनशिप के पद सेवामुक्त अफसरशाही को दिए गए हैं। जिस कारण कांग्रेस के नेता व वर्कर निराश हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पिता शहीद हुए और हम भी पार्टी के लिए कुर्बानी देते आ रहे हैं। इसलिए कांग्रेस का नुक्साननहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी लीडरशिप द्वारा कांग्रेस का जो भी वफादार, सीनियर व काबिल नेता हो उन्हें नेता बनाया जाएगा वह उसे ही नेता मानेंगे। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Vatika

Recommended News

Related News