Covid 19 से लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी तो स्कूल खोलने की हालत में नहीं है पंजाब सरकार

punjabkesari.in Thursday, Sep 17, 2020 - 10:31 AM (IST)

जालंधर(सूरज ठाकुर): आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी पंजाब में आने जाने वाली सरकारें शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत नहीं कर पाई हैं। हालात यह हैं कि सूबे स्कूलों में माकूल सुविधाएं ही नहीं हैं। कोरोनावायरस के चलते स्कूली बच्चों का पहले ही पढ़ाई में बहुत ज्यादा नुकसान हो चुका है। इस महामारी से अगर लंबी लड़ाई लड़ने पड़ी तो सरकार अपने स्कूलों को खोलने की हालत में बिलकुल नहीं है। कोरोना से लड़ने के लिए हैंडवाश को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सबसे बड़ा हथियार बताया है जबकि सूबे के स्कूलों में न तो पर्याप्त पानी की व्यवस्था है और न ही साबुन और हैंडवाश स्टैंड हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 1600 से ज्यादा स्कूलों के शौचालयों की हालत इतनी खस्ता है कि हाल ही में शिक्षा विभाग ने इनकी मरम्मत के लिए 8.43 करोड़ रुपए की राशि जारी की है। कोरोनाकाल के बीच ही सरकार आनन फानन में स्कूल खोलने का कोई फरमान भी जारी करती है तो घर-घर में करोना पहुंचने में देर नहीं लगेगी। 

कोरोनावायरस ने दिलाई सफाई व्यवस्था याद
पंजाब में सरकार चाहे अकाली-भाजपा गठबंधन की रही हो या फिर कांग्रेस की लेकिन शिक्षा के ढांचे को मजबूत करने में दोनों ही सरकारें संजीदा नहीं रही हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का आधारभूत ढांचे और मूलभूत सुविधाओं के आभाव के कारण स्कूलों में पढ़ने के साथ-साथ छात्र कोरोनावायरस से लड़ने में सक्षम नहीं हैं। कई स्कूलों के भवन खस्ता हाल हैं, बैठने तक की भी संतोषजनक सुविधा नहीं हैं। अब पूरे सूबे का हर जिला जब कोरोना की चपेट में है तो शिक्षा विभाग ने स्कूलों की सफाई व्यवस्था और शोचालयों पर ध्यान देना शुरू किया है। विभाग ने शोचालयों 8.43 करोड़ रुपए की राशि जारी करते हुए इनके निर्माण और मरम्मत कार्यों को कोरोनाकाल के दौरान ही पूरा करने के आदेश जारी किए हैं। 

लगेंगी इंग्लिश सीट, हर स्कूल को मिलेंगे 50 हजार 
शिक्षा विभाग के फरमान के बाद ग्रामीण और शहरी स्कूलों के शौचालयों के फर्श टाइलों के साथ चमकते नजर आएंगे। इंग्लिश सीट्स लगाई जाएंगी। सफाई व्यवस्था को एकदम दुरूस्त कर दिया जाएगा। हर स्कूल को शौचालय निर्मित करने के लिए 50 हजार रुपए की राशि का प्रावधान किया गया है। स्कूल के प्रधानाचार्य या प्रशासन को शौचालयों के निर्माण पर खर्च की गई राशि का ब्यौरा भी शिक्षा विभाग को देना होगा। सूत्रों की माने तो शिक्षा विभाग की यह मेहरबानी कोरोनावायरस के चलते ही हुई है। इस महामारी के प्रकोप ने कई सरकारी महकमों की पोल भी खोली है और अधिकारियों को लोगों की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के लिए विवश भी किया किया है। बहरहाल सरकार कोरोनावायरस के अंत होने का इंतजार कर रही है और तब तक स्कूलों को डब्ल्यू.एच.ओ. की गाइड लाइन के तहत तैयार कर रही है।   

विश्व भर के 43 फीसदी स्कूलों में हैंडवाश की सुविधा नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक स्टडी के मुताबिक दुनिया के करीब 43 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों के लिए साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है। दुनिया के करीब 24 प्रतिशत स्कूलों में हाथ धोने के लिए न पानी उपलब्ध है और न ही साबुन। स्टडी यह भी कहती है कि दुनिया के 42 प्रतिशत स्केंडरी और 56 प्रतिशत प्राइमरी स्कूलों में हाथ धोने की उचित सुविधा नहीं है। कोरोना के चलते पूरी दुनिया में स्कूलों को बंद करना पड़ा है। जिससे 190 देशों में 150 करोड़ से ज़्यादा छात्र प्रभावित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के मुताबिक अगर हाथ धोने की उचित व्यवस्था किये बिना स्कूल दोबारा खोल दिये गये तो इससे दुनियाभर में करीब 82 करोड़ बच्चों के कोरोना महामारी से संक्रमित होने का खतरा है।


जिलों में शौचालयों पर खर्च

जिला---- शौचालय
जालंधर- 80
पटियाला-92
अमृतसर- 91
बरनाला-70
बठिंडा-89
फरीदकोट- 69
फतेहगढ़ साहिब- 68
फाजिल्का- 83
फिरोजपुर-76
गुरदासपुर-91
होशियारपुर-75
कपूरथला- 63
लुधियाना- 78
मानसा- 90
मोगा-73
मुक्तसर साहिब-75
पठानकोट-70
रूप नगर-68
एसबीएस नगर-67
संगरूर- 80
एसएस नगर-67
तरनतारन- 71


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