भविष्य में अपनी औलाद पैदा करने के लिए स्पर्म सुरक्षित रखने का बढ़ा रुझान
punjabkesari.in Monday, May 08, 2023 - 08:33 PM (IST)

जालंधर (नरेन्द्र मोहन): पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा राज्य में अब ऐसे लोगों की संख्या बढ़ने लगी है, जो अपने ही ‘स्पर्म’ अपनी औलाद पैदा करने के लिए सुरक्षित रखने लगे हैं। ऐसे लोगों में कैंसर पीड़ित और सैनिक, अर्ध-सैनिक बलों के लोग भी शामिल हैं। भारत के सबसे पहले आईवीएफ की शुरूआत करने वाले विशिष्ट सेवा मैडल प्राप्त बिरला आईवीएफ के प्रोफेसर कर्नल पंकज तलवार ने एक मुलाकात में बताया कि छह दम्पत्तियो में से एक दंपत्ति शुक्राणु रोग से पीड़ित है। परन्तु साथ उन्होंने यह भी कहा कि इसका अर्थ ये नहीं कि सभी को औलाद पैदा करने के लिए टेस्ट ट्यूब बेबी (आईवीएफ) यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन की जरूरत होती है, बल्कि ऐसे मामले तो एक अथवा दो प्रतिशत ही होते हैं, शेष छोटे-छोटे उपचार से ही ठीक हो जाते हैं।
आज चंडीगढ़ एक कार्यक्रम में आईवीएफ के प्रोफेसर कर्नल पंकज तलवार ने बताया कि निसंतान दम्पत्तियो में ऐसी धारणा है कि औलाद के लिए टेस्ट टयूब तकनीक ही जरूरी है। भारत में 28 मिलियन दंपतियों को प्रजनन संबंधी कोई ना कोई समस्या है। लगभग डब्ल्यूएचओ के अनुसार छह में से एक कपल को प्रजनन संबंधी कोई न कोई परेशानी है लेकिन मेडिकल परामर्श लेने के लिए सिर्फ 1% से भी कम लोग गायना क्लोजेस्ट के पास पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि अब तो ऐसी तकनीक भी आ चुकी है कि अगर किसी को कैंसर है तो भी वह बच्चा पैदा कर सकते हैं। ऐसे लोग अपने स्पर्म और एग को सुरक्षित करवा सकते हैं। उन्होंने बताया कि दूर-दूर ड्यूटी पर जाने वाले और परिवार से दूर रहने वाले लोग इसी तकनीक का सहारा ले रहे हैं, जिनमे फौजी, अर्द्ध सैनिक भी शामिल हैं और कैंसर पीड़ित लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि इसका डाटा देना संभव नहीं है कि कितने प्रतिशत लोग अपने स्पर्म सुरक्षित रखवा रहे हैं, क्योंकि सभी बैंक भारत सरकार से रजिस्टर्ड है और ये मामले गुप्त हैं और केंद्र सरकार की गाइडलाइन भी है, परन्तु ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी हैं।