‘खालिस्तान लिबरेशन फोर्स’ क्या पंजाब में अभी भी सक्रिय!
punjabkesari.in Monday, Jul 31, 2023 - 11:56 AM (IST)

जालंधर: हाल ही में पंजाब पुलिस ने दावा किया कि उसने खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (के.एल.एफ.) के 5 गुर्गों को गिरफ्तार कर पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज-इंटैलीजैंस (आई.एस.आई.) के एक बड़े मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है जो स्वतंत्रता दिवस पर पंजाब को दहलाने वाली घटनाओं को अंजाम देने वाला था। पंजाब पुलिस का दावा सही है तो यह अपने आप में बड़ा सवाल है कि 1986 में स्थापित यह सबसे घातक आतंकी संगठन क्या अभी भी पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में सक्रिय है? आतंकवाद के दौर में इस संगठन के आतंकियों ने 88 लोगों की बेरहमी से सामूहिक हत्याएं की थीं। यह भी बताया जाता है कि के.एल.एफ. ने गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और स्टूडैंट्स इस्लामिक मूवमैंट ऑफ इंडिया (सिमी) जैसे इस्लामी समूहों से संबंध विकसित किए हैं।
आई.एस.आई. ने के.एल.एफ. को किया है पुनर्जीवित
ऐसा माना जाता है कि यह संगठन 1995 में निष्क्रिय होने के कगार पर था लेकिन 2009 में के.एल.एफ. को आई.एस.आई. द्वारा मलेशिया में पुनर्जीवित किया गया था। भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित यह एक ऐसा संगठन है जो सशस्त्र हिंसा के दम पर पंजाब को भारत से अलग करके खालिस्तान की स्थापना करना चाहता है। इस संगठन ने अगर भारत में अपनी गतिविधियां शुरू कर दी हैं तो यह पंजाब सरकार और पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती है। के.एल.एफ. के नेतृत्व का वर्तमान में मानना है कि वह हमले करके समाज को सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकृत कर देगा और खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करेगा।
एनकाऊंटर में मारे गए थे पुराने मुखिया
साऊथ एशिया टैररिज्म पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 1986 में अरूर सिंह ने ऑल इंडिया सिख स्टूडैंट्स फैडरेशन (ए.आई.एस. एस.एफ.) के प्रैसिडियम गुट की सशस्त्र शाखा के रूप में के.एल.एफ. के बैनर तले माई भागो रैजीमैंट खड़ी की थी। के.एल.एफ. संस्थापक अरूर सिंह 1986 में एक मुठभेड़ में मारा गया था। बाद में 1987 में अवतार सिंह ब्रह्मा को संगठन का प्रमुख बनाया गया था। वह भी अगस्त 1988 में राजस्थान में एक मुठभेड़ में मारा गया था। इसके बाद गुरजंट सिंह बुध सिंहवाला ने संगठन की कमान संभाली थी, लेकिन उसकी भी 29 जुलाई 1992 को हत्या कर दी गई थी। गुरजंट सिंह के खात्मे के बाद अगला प्रमुख प्रीतम सिंह सेखों था जो 1992 में पाकिस्तान चला गया था जहां 2008 में उसकी मृत्यु हो गई थी।
के.एल.एफ. के बड़े हमले
-1 दिसम्बर 1992 को के.एल.एफ. के उग्रवादियों ने जालंधर के सिधवां में 16 बस यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
-30 नवंबर 1986 को के.एल.एफ. उग्रवादियों ने होशियारपुर के खुड्डा के पास 22 बस यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
-15 जून 1991 को लुधियाना जिले के बद्दोवाल गांव में एक ट्रेन में के.एल.एफ. के आतंकवादियों ने ट्रेन यात्रियों पर हमला कर दिया था जिसमें कम से कम 50 यात्री मारे गए थे और अन्य 30 लोग घायल हो गए थे। इस दौरान अपने हिंदू सह-यात्रियों को बचाने की कोशिश करने वाले कई सिख भी घायल हुए थे।
ब्रिटेन में मारा गया आतंकी खांडा देख रहा था संगठन
हरमीत सिंह पी.एच.डी. ने भारत से भागकर 2008 में पाकिस्तान के लाहौर के गुरुद्वारा बीबी नानकी में शरण ली थी और संगठन की कमान संभाली थी जहां से वह भारत पर परोक्ष रूप से हमलों की साजिश करता रहा। 2020 में लाहौर में उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद के.एल.एफ. अवतार सिंह खांडा ने संगठन का मोर्चा संभाला था लेकिन उसकी भी ब्रिटेन में बीते 15 जून को अस्पताल में संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गई। वह डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल के बहुत करीब था।
देश के इन इलाकों में सक्रिय थी के.एल.एफ.
1990 के दशक तक के.एल.एफ. पंजाब में पूरी तरह सक्रिय था। पंजाब में के.एल.एफ. के संचालन के मुख्य क्षेत्र तरनतारन, मजीठा, बटाला, लुधियाना, पटियाला, कपूरथला, फिरोजपुर और संगरूर थे। इसके सदस्य मुंबई, नासिक, इलाहाबाद, कोलकाता और वाराणसी में फैले हुए थे। के.एल.एफ. के निशाने पर हिंदू, सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) और अन्य सुरक्षा बल भी थे।
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