Jalandhar: दवाइयां बेचने वाले दुकानदारों से जरा संभल कर, कहीं आपके साथ ना हो जाएं धोखा

punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 09:42 AM (IST)

जालंधर (रत्ता): दवाइयां बेचने वाले कुछ दुकानदारों को ड्रग्स विभाग के अधिकारियों के आदेशों की शायद जरा भी परवाह नहीं है और वह सरेआम ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के मुताबिक कोई भी दवाई बिना बिल के बेची नहीं जा सकती और दुकानदार को हर समय अपनी सेल परचेस का पूरा रिकॉर्ड मेनटेन रखना होता है ताकि किसी भी समय ड्रग कंट्रोल ऑफिसर आकर रिकॉर्ड चैक कर सके। हैरानी की बात यह है की कुछ दुकानदार ग्राहक को दवाइयां का बिल देने की बजाय एक सादे कागज पर पर्ची बना देते हैं। ऐसा करके वह न केवल ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धज्जियां उड़ाते हैं बल्कि सरकार को जी.एस.टी. का भी चूना लगाते हैं।

वैसे तो ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के मुताबिक दवाइयों की हर दुकान पर फार्मासिस्ट का मौजूद होना जरूरी होता है और उसकी अनुपस्थिति में कोई भी दवाई बेची नहीं जा सकती। हैरानी की बात यह है दवाइयों की अधिकांश दुकानों पर फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में ही दुकान का मालिक दवाइयां बेचता रहता है और ड्रग्स विभाग द्वारा ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई न किए जाने के कारण उनके हौसले बुलंद हो जाते हैं। गौरतलब है कि दवाइयां की किसी भी दुकान का लाइसैंस तब तक नहीं मिलता जब तक दुकान का मालिक फार्मासिस्ट का नियुक्ति पत्र एवं उसका फार्मेसी का सर्टीफिकेट फाइल में नहीं लगाता। बिना फार्मासिस्ट के दवाइयां बेचने वाले दुकानदार केमिस्ट शॉप का लाइसैंस लेने के वक्त विभाग की औपचारिकताएं तो पूरी कर देते हैं जबकि वास्तव में वह फार्मासिस्ट को नौकरी पर रखते ही नहीं। ऐसे दुकानदार फार्मासिस्ट को उसके सर्टीफिकेट के बदले में हर महीने एक निर्धारित राशि अदा कर देते हैं और फार्मासिस्ट कभी दुकान पर आता ही नहीं। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धज्जियां उड़ाने एवं सरकार को चूना लगाने वाले ऐसे दुकानदारों के खिलाफ क्या कभी कोई ठोस कार्रवाई करेगा।

जी.एस.टी. कम होने के बावजूद भी एम.आर.पी पर बेची जा रही हैं दवाइयां
पिछले 
दिनों केंद्र सरकार ने जी.एस.टी. की दरों पर संशोधन करते हुए दवाइयों पर भी जी.एस.टी. की दर को कम किया है और ऐसे में स्वाभाविक है कि दवाइयों पर लिखी एम.आर.पी. (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) भी कम होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर अगर पहले 100 रुपए की दवाई पर 12 प्रतिशत जी.एस.टी. लगता था तो दवाई की कीमत 112 रुपए हो जाती थी और अब 100 की दवाई पर अगर 5 प्रतिशत जी.एस.टी. लगे तो दवाई की कीमत 105 रुपए होनी चाहिए। हैरानी की बात है कि कुछ कैमिस्ट अभी भी ग्राहकों को एम.आर.पी. पर ही दवाइयां दे रहे हैं। क्या इस और भी संबंधित विभाग ध्यान देगा?


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Vatika

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