आखिर किस बात का है डर: जानें क्यों कोरोना की चपेट में आने के बाद भी बीमारी को छिपा रहे हैं लोग

punjabkesari.in Sunday, Sep 27, 2020 - 02:27 PM (IST)

होशियारपुर (अमरेन्द्र मिश्रा): होशियारपुर सहित समूचे देश में जांच के बाद कोरोना संक्रमण की चपेट में आने यानि पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद लोग बीमारी को छिपाते नजर आ रहें है। वहीं दूसरी तरफ देश के गृह मंत्री अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री नितीन गडकरी व पंजाब के उद्योग मंत्री सुंदरशाम अरोड़ा की ही तरह ऐसे अनेकों उदाहरण है जब कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद ट्वीट करके इसकी जानकारी सार्वजनिक कर अपने साथ संपर्क में रहे लोगों को भी अपनी कोरोना जांच करवाने की अपील कर समाज के सामने मिसालें कायम कर चुके हैं। ऐसी गलत सोच के कारण बहुत से मरीज नीम हकीमों के चक्कर में पड़ रहे हैं और जब हालत बिगड़ जाती है, तब जाकर कोरोना जांच के लिए तैयार होते हैं। 

संदिग्ध मरीजों की यही गलत धरणा है है परेशानी का सबब 
इसमें कोई शक नहीं कि सेहत विभाग कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन इसके बावजूद भी जहां संक्रमण बढ़ रहा है, वहीं संक्रमित कोरोना मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच रहे हैं। हाल यह है कि कोरोना को छिपाने के चलते उन्हें लेवल थ्री वाले अस्पतालों में भर्ती होना पड़ रहा है। हैरानी होती है कि इस तरह की बातें करने वाले मरीजों में ज्यादातर ऐसे मरीज होते हैं, जो शिक्षित होते हैं। संदिग्ध मरीजों की यही गलत धारणा उन्हें गंभीर स्थिति में ले जा रही है ।

सामाजिक भेदभाव के डर से बीमारी को छिपा रहे लोग
सिविल अस्पताल में तैनात मैडीकल एक्सपर्ट डॉक्टरों के अनुसार उनके पास रोजाना ऐसे बहुत से मरीज आते हैं, जिन्हें कोरोना के लक्षण होते हैं, लेकिन वह टेस्ट करवाने को तैयार नहीं होते। उन्हें इसके लिए बहुत समझाना पड़ता है। इनमें अच्छे परिवारों के लोग भी शामिल है। लोगों को डर है कि अगर सोसायटी में पता लग गया तो सामाजिक भेदभाव शुरू हो जाएगा। बीमारी से ठीक होने के बाद भी दोस्त, रिश्तेदार व पड़ोसी उनसे बात नहीं करेंगे। इस वजह से बहुत से मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच रहे हैं। उन्होंने लोगों से यही अपील है कि वह अपने जीवन की परवाह करें, दूसरे क्या सोचेंगे यह मत चिंता करें।

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शुरुआत में लोग मानने को तैयार नहीं होते कि उन्हें कोरोना हो सकता है: डॉ.बग्गा
रिटायर्ड सिविल सर्जन व सामाजिक कार्यकता डॉ.अजय बग्गा का कहना है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के गंभीर स्थिति में पहुंचने की सबसे बड़ी वजह यह है कि वह शुरुआत में यह मानने को तैयार ही नहीं होते है कि उन्हें कोरोना हो सकता है। बहुत से लोग अब भी कोरोना के लक्षणों को हल्के में ले रहे हैं। उनको लगता है कि उन्हें बुखार मौसम में बदलाव की वजह से, वायरल या थकान की वजह से बुखार हो सकता है। कोई भी शुरुआत में यह मानने को तैयार नहीं होता कि अगर बुखार, खांसी जैसे लक्षण आ रहे हैं, तो वह कोरोना भी हो सकता है। लोग कोरोना के लक्षणों को तब गंभीरता से लेते हैं, जब हल्के लक्षण गंभीर लक्षणों यानी सांस लेने में तकलीफ होना, बहुत ज्यादा खांसी होना में तब्दील हो जाते हैं। इसके बाद जाकर कोरोनो टेस्ट करवाते हैं। मगर तब तक जहां मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच चुका होता है।

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कोरोना के लक्षण नजर आएं तो तुरंत करवाएं कोरोना जांच: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ.जसबीर सिंह ने कहा कि अगर किसी को भी कोरोना के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत कोविड टेस्ट करवाएं। लक्ष्णों के पता लगाने और जांच के बीच वाला समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। मगर लोग लक्षण महसूस होने के बावजूद भी अपना टेस्ट नहीं करवाते। इस वजह से कई बार लोगों की सेहत ज्यादा बिगड़ जाती है। सरकारी केन्द्रों पर कोरोना टेस्ट मुफ्त हो रहे हैं। ऐसे में अगर किसी में लक्षण नजर आएं, तो बिना देर किए टेस्ट जरूर करवाएं। शहर में कोरोना से स्वस्थ होने वाले मरीजों का रिकवरी रेट ठीक है। लोग ना घबराएं और एहतियात जरूर बरतें।


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Tania pathak

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