चुनावी शोर में दादा और परदादा: कैप्टन के दादा के 17 करोड़ के डिनर सैट की कहानी

punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2019 - 09:22 AM (IST)

इलैक्शन डैस्क (सूरज ठाकुर): पूरे देश में चुनावी माहौल चरम पर है। पी.एम. नरेंद्र मोदी की राजनीति जहां नेहरू और पटेल के इतिहास के इर्द-गिर्द घूमने लगती है वहीं इस तरह का रोग पंजाब के सियासतदानों को भी लग गया है। राज्य के सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर के बीच दादा और परदादा को लेकर ट्विटर पर जंग छिड़ हुई है। कैप्टन का आरोप है कि हरसिमरत के परदादा ने जनरल डायर को डिनर दिया था जबकि हरसिमरत ने ट्विटर पर एक फोटो शेयर कर दावा किया है कि कैप्टन के दादा इसमें जनरल डायर के साथ हैं। चलिए इसी चुनावी शोरगुल में बताते हैं कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह के दादा भूपिंद्र सिंह करीब 17 करोड़ रुपए के डिनर सैट में खाना खाते थे और वह खुद का एयरक्राफ्ट रखने वाले पहले भारतीय थे।

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17 करोड़ में नीलाम हुआ था सैट
दीवान जरमनी दास ने अपनी किताब ‘महाराजा’ में उनके शाही शौकों को बखूबी बयान किया है। भूपिंद्र सिंह का डिनर सैट चांदी की परत चढ़ा हुआ था। इस डिनर सैट में 1400 पीस थे। हालांकि यह डिनर सैट अब लंदन में 19.6 लाख पौंड (करीब 17 करोड़) में नीलाम हो चुका है। 
लंदन के क्रिस्टी नीलामी घर के मुताबिक यह डिनर सैट एक अज्ञात आदमी से 201& में खरीदा गया था। महाराजा भूपिंद्र सिंह ने इस डिनर सैट को लंदन की कंपनी गोल्डस्मिथ्स एंड सिल्वरस्मिथ्स कंपनी से बनवाया था। महाराजा की सम्पत्ति और वैभव का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अपना खुद का विमान रखने वाले भारत के पहले व्यक्ति थे।

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ये सब था डिनर सैट में 
इस डिनर सैट में 166 कांटे, डेजर्ट के 111 कांटे, 111 चम्मच, 21 बड़े चम्मच, सूप के लिए उपयोग में लाए जाने वाले 37 चम्मच, सलाद परोसने के 6 जोड़े बर्तन, चिमटों के 6 जोड़े, सब्जियां काटने वाली कैंचियों के 3 जोड़े, 107 स्टील ब्लेड चाकू, फल तथा अन्य कार्यों को करने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले 111 चाकू शामिल थे। 


युवावस्था में ही खरीद लिए थे 3 जहाज
वर्ष 1909 में जिन लोगों के पास अपने एरोप्लेन थे, उनमें ज्यादातर फ्रैंच, जर्मन, डच और इंगलिश ही शामिल थे। दीवान जरमनी दास ने अपनी पुस्तक ‘महाराजा’ में जिक्र किया है कि महाराजा भूपिंद्र सिंह ने युवावस्था में ही 3 जहाज खरीद लिए थे। वह भारत के पहले व्यक्ति थे जिनके पास अपने हवाई जहाज थे। जरमनी दास की पुस्तक के मुताबिक महाराजा ऑफ पटियाला एयरक्राफ्ट संबंधी विषयों में बहुत रुचि रखते थे। उन्होंने अपने चीफ इंजीनियर को इस संबंध में अध्ययन करने के लिए यूरोप भी भेजा था। इसके बाद उन्होंने फॉर मैन बाई प्लेन व मोनो प्लेन खरीदे थे। 
 


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