किसान नेता डल्लेवाल की तबीयत को लेकर नई Update, सरवन पंधेर ने बताई आगे की रणनीति
punjabkesari.in Monday, Dec 02, 2024 - 01:46 PM (IST)
पंजाब डेस्क : किसानों की मांगों को लेकर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल 7वें दिन भी जारी है। जानकारी के मुताबिक, इस दौरान जहां उनका वजन 5 किलो कम हो गया है वहीं चलने के समय उनकी सांस भी फूलती है। इस संबंधी किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि डल्लेवाल की तबीयत लगातार बिगड़ रही है। उन्होंने कैसर की दवाई भी लेनी बंद कर दी है।
गत दिन रविवार को किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रैंस की। इस दौरान उन्होंने बताया कि मरजीवड़े जत्था 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करेगा। उन्होंने कहा कि ये वह जत्था है, जो जिंदगी और मौत की परवाह किए बिना आगे बढ़ेगा। उन्होंने ये भी जानकारी दी है कि, सरकार को 10 दिन का समय दिया था। बातचीत के लिए सरकार के पास 5 दिसंबर तक का ही समय बचा है। इसके बाद 6 दिसंबर को किसान दिल्ली कूच करेंगे।
सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसानों पर आरोप लगाए गए कि वे ट्रेक्टर ट्रालियां लेकर दिल्ली जाएंगे। इससे लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति खराब होगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हैं, किसान 6 दिसंबर को दिल्ली पैदल जाएंगे। मरजीवड़े जत्था के लिए हरियाणा में 4 पढ़ाव और 5वां पड़ाव दिल्ली होगा। किसान पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ेंगे। इसके लिए पहले जत्था जग्गी सिटी अंबाला में रुकेगा, फिर मोहड़ा मंडी, खानपुर, जट्टा के और पीपली में जत्था पहुंचेगा। जत्थे के आगे बढ़ने का समय सुबह 9 से शाम 5 बजे का रहेगा। वहीं किसान रात सड़कों पर ही गुजारेंगे। सरवन सिंह पंधेर ने आगे कहा कि केंद्र सरकरा ने उनसे 18 फरवरी के बाद से बातचीत बंद की गई है। भाजपा प्रवक्ता सिर्फ मीडिया में ही बातें करते हैं। इसी वजह से उन्हें ये कदम उठाना पड़ा। हम सिर्फ MSP कानून की बात कर रहे हैं।
आपको बता दें कि, भूख हड़ताल पर बैठने से पहले ही किसान नेता डल्लेवाल को पुलिस हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर से हिरासत में ले लिया। अस्पताल में भी उनका मरणवर्त जारी रहा। किसानों अस्पताल के बाहर भी काफी हंगामा किया। इसके बाद पुलिस ने छोड़ दिया। अब डल्लेवाल की सुरक्षा खुद किसानों ने संभाल ली है। किसान नेता डल्लेवाल के पास किसान 4-4 घंटे की शिफ्ट में पहरा दे रहे हैं। आपको बता दें कि किसान अपनी 13 मांगों को लेकर 13 फरवरी 2024 से शंभू बार्डर व खनौरी बार्डर पर डटे हुए हैं। इन 10 महीनों में कई किसानों की जान भी चली गई।
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