कैदियों से भी बदतर हालातों में रहते हैं नशा छुड़ाने आए मरीज

punjabkesari.in Tuesday, Nov 08, 2022 - 12:49 PM (IST)

मलोट: पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद जहां विरोधी पार्टियों के नेताओं दवारा कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं इन 6 महीनों में उन असामाजिक तत्वों ने भी फिर पैर पसार लिए हैं जिनका गलत काम पिछली सरकार ने बंद कर दिया था। सीमावर्ती जिले श्री मुक्तसर साहिब और सीमा से सटे राजस्थान के गांवों में एक बार फिर अनाधिकृत नशा मुक्ति केंद्रों का धंधा पूरी तरह से फल-फूल चुका है। 15 दिन पूर्व जिला श्री मुक्तसर साहिब की पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मलोट के पास ऐसे अवैध नशा मुक्ति केंद्र का भंडाफोड़ कर वहां से कैदियों से भी बदतर हालत में रहे डेढ़ दर्जन युवकों को रिहा कर दिया, लेकिन बावजूद इसके इस गैर कानूनी धंधे पर रोक नहीं लग सकी।

जानकारी के मुताबिक, पिछली सरकार ने नशा उन्मूलन के लिए शहरों और कस्बों में नशामुक्ति केंद्रों को मंजूरी दी थी। यहां नशे की लत से पीड़ित युवा अपना इलाज करा सकते हैं, लेकिन इसके समानांतर कुछ लोगों ने श्री मुक्तसर साहिब जिले और राजस्थान की मंडी सांग्रियां के बाहरी इलाकों में ऐसे नशामुक्ति केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां मरीजों को इलाज के नाम पर कैदियों की तरह रखा जा रहा है और नशा छोड़ने के लिए इलाज की बजाए प्रताड़ित किया जाता है। इसके बदले में उनके माता-पिता से 20 हजार रुपए प्रति माह तक वसूल किए जाते हैं। ऐसे केंद्र पर आए एक युवक ने बताया कि गर्मी और सर्दी में उसे एक ही हॉल में दिन रात रहना, सोना, नहाना और खाने का इंतजाम खुद करना पड़ता है। एक मरीज दूसरे साथी से बात नहीं कर सकता और कोई भी मरीज 2 घंटे से पहले बाथरूम नहीं जा सकता। इन पर नजर रखी जाती है और उल्लंघन करने वालों को कड़ी सजा दी जाती है।

इस संबंध में जानकारों का कहना है कि पंजाब में ऐसे केंद्रों की मंजूरी नहीं है, अगर राजस्थान में किसी सोसायटी के नाम से केंद्र चल रहे हैं तो वहां भी मरीजों को कैदियों की तरह नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि मलोट के पास एक गांव में पुलिस ने भंडाफोड़ कर केंद्र से हथियार, ड्रग्स और मरीजों को बरामद किया था। उसने इस मामले का सच लोगों के सामने रख दिया था। उन्होंने मांग की कि जिले एवं उसके आस-पास चल रहे ऐसे केन्द्रों को बंद किया जाए। वहीं राजस्थान पुलिस के उच्चाधिकारियों से बात कर जुल्म सहने वाले मरीजों को रिहा कराया जाए, क्योंकि इन केन्द्रों में 90 प्रतिशत से अधिक युवा पंजाब के मालवा के गांवों के हैं।

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Content Writer

Sunita sarangal

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