Punjab: राजनीति में बड़ा भूचाल! कांग्रेस में फूट ने खोली पार्टी की पोल, अंदरूनी कलह आया सामने

punjabkesari.in Wednesday, Nov 19, 2025 - 06:45 PM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): आठ महीने बाद बुलाई गई जालंधर नगर निगम की हाउस मीटिंग  ने कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी राजनीति को पूरी तरह से उजागर कर दिया। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को घेरने की व्यापक तैयारी की गई थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी अपनी बिखरी हुई ताकतों को एकजुट करने में नाकाम रही। जिला कांग्रेस शहरी अध्यक्ष राजिंदर बेरी ने व्यापक रणनीति बनाई, बैठकें बुलाईं और मुद्दों को अंतिम रूप दिया, लेकिन पार्षदों की अनुपस्थिति ने सारा खेल बिगाड़ दिया।

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निगम बैठक से पहले, कांग्रेस भवन में जिला अध्यक्ष राजिंदर बेरी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसका स्पष्ट उद्देश्य निगम की कमियों, कुप्रबंधन और अत्यधिक खर्चों के बारे में मेयर और नगर निगम अधिकारियों को घेरना था। हालाँकि, बैठक में 23 कांग्रेस पार्षदों में से केवल 8-9 ही शामिल हुए। बाकी पूरी तरह से अनुपस्थित रहे। बैठक में केवल पार्षद डॉ. जसलीन सेठी, पार्षद पवन कुमार, पार्षद गुरविंदर सिंह बंटी नीलकंठ, पार्षद बलराज ठाकुर, पार्षद नीरज जस्सल, पार्षद विकास तलवार, पार्षद मधु शर्मा, पार्षद पति महिंदर सिंह 'गुल्लू' और पार्षद-पति दविंदर शर्मा सहित 1-2 अन्य पार्षद ही उपस्थित रहे। इनके अलावा सभी पार्षद अनुपस्थित रहे, जिससे कांग्रेस पार्टी में व्याप्त असंतोष और गुटबाजी उजागर हुई है।

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सूत्रों के अनुसार, बैठक में उपस्थित पार्षदों ने जिला अध्यक्ष को अपनी शिकायतें बताईं। कई पार्षदों ने साफ कहा कि विपक्ष के नेता की घोषणा न करके पार्टी ने कांग्रेसी पार्षदों को सेनापति विहीन कर दिया है। इससे निगम सदन में पार्टी की आवाज कमजोर हो रही है। पार्षदों ने इस मुद्दे पर अपना रोष व्यक्त किया और जिला अध्यक्ष राजिंदर बेरी को आश्वासन देना पड़ा कि जल्द ही हाईकमान द्वारा विपक्ष के नेता के नाम की घोषणा की जाएगी। बहरहाल, तमाम चर्चाओं और नाराजगी के बीच, कांग्रेस केवल बर्ल्टन पार्क स्पोर्ट्स हब के उद्घाटन समारोह पर हुए 1.75 करोड़ रुपये के खर्च की जाँच और शहर की बदहाली के लिए निगम को फटकार लगाने पर ही एकमत हो पाई।

मीटिंग के दौरान बताया गया कि स्पोर्ट्स हब के उद्घाटन समारोह पर 1.75 करोड़ रुपये से ज़्यादा खर्च किए गए, जो पूरी तरह से फिजूलखर्ची है। बहरहाल, रणनीति चाहे कितनी भी मज़बूत क्यों न हो, जब योद्धा ही बँटे हुए हों, तो लड़ाई कैसे लड़ी जा सकती है? कांग्रेस पार्टी का यही रुख़ था। बैठक से पहले जो बात साफ़ थी, वही सदन की बैठक में भी दिखाई दी। कई कांग्रेसी पार्षदों ने सदन की बैठक के दौरान भी दूरी बनाए रखी। यह स्थिति पार्टी के लिए किसी झटके से कम नहीं है। ज़िला अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई एक अहम बैठक में इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेसी पार्षदों की अनुपस्थिति एक राजनीतिक संदेश देती है कि पार्टी आंतरिक रूप से विभाजित और नेतृत्व से असंतुष्ट है।

कई पार्षदों ने साफ़ किया कि जब तक विपक्ष का नेता मनोनीत नहीं हो जाता और संगठन आंतरिक मतभेदों को सुलझा नहीं लेता, तब तक निगम में कांग्रेस की आवाज़ कमज़ोर ही रहेगी। जालंधर नगर निगम में 23 पार्षदों के साथ कांग्रेस एक मज़बूत विपक्षी दल हो सकती है, लेकिन पार्षदों की यह खुली उदासीनता दर्शाती है कि पार्टी के भीतर अनुशासन और सामंजस्य दोनों ही संकट में हैं।

कांग्रेसी पार्षदों का मीटिंग से दूर रहना पार्टी के भीतर गहरे असंतोष को दर्शाता है। कई पार्षद उपेक्षित महसूस कर रहे हैं, तो कुछ नेतृत्व की कार्यशैली से नाखुश हैं। कुल मिलाकर, 8 महीने बाद हुई नगर निगम सदन की बैठक कांग्रेस पार्टी के लिए एक मजबूत विपक्षी दल की बजाय अंदरूनी फूट की एक गंभीर कहानी लेकर आई। 2027 के विधानसभा चुनावों में अब बस एक साल बाकी है, ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस उससे पहले एकजुट हो पाएगी, या निगम में उसकी आवाज कमज़ोर होती रहेगी?

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News Editor

Kamini

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