Punjab : सरकारी खजाने को चपत, GST के नाम पर ऐसे लगाया जा रहा करोड़ों का चूना
punjabkesari.in Saturday, Jul 13, 2024 - 06:20 PM (IST)
बठिंडा (विजय): फर्जी बिलों के सहारे बठिंडा से रोजाना दो दर्जन से अधिक गाड़ियां स्क्रैप भरकर गोबिंदगढ़ को जा रही है। यह कारोबार अधिकारियों व उनके गन्नरों की मिलीभुगत से सरेआम चल रहा है। चूंकि गोबिंदगढ़ लोहे की बहुत बड़ी मंडी है, जहां रोजाना 1500 से अधिक गाड़ियों की खप्त की जा सकती है, फिर भी पूरे पंजाब से 500-700 गाड़ियां बिना टेक्स अदा किये फर्जी बिलों के सहारे वहां उतारी जा रही है। एक बड़ा नेटवर्क इस मामले से जुड़ा हुआ है जिसके तार हरियाणा, राजस्थान व पंजाब से जुड़े हुए है। हरियाणा की डबवाली मंडी की बिल्टी लगाकर इन गाड़ियों को दलालों के सहारे भेज दिया जाता है। विचौलियों का काम करने वाले दलाल प्रति गाड़ी 10 हजार रुपए वसूल करते है, जिनके संपर्क अधिकारियों व उनके सहायक स्टाफ के साथ बने हुए है। जीएसटी की चोरी कबाड़ियों द्वारा शहर व फैक्टरियों से इक्ट्ठा किया जा रहा स्क्रैप मुख्य स्त्रोत है। इस काम में जुड़े दलाल अपनी गाड़ियों पर स्क्रैप से भी गाड़ियों के आगे पीछे चलते है और उनका ‘सुरक्षा कवच’ बनते है। यह लोग रास्ते में कोई बाधा न आए हेतु अधिकारियों की लोकेशन उनके सोशल मीडिया से ट्रेस करते है ओर आगे चलते है। यहीं नहीं सूत्रों से पता चला है कि अधिकारियों के गन्नर व स्टाफ भी मिला हुआ है, जो पल-पल की खबर देते है। इन दलालों ने गन्नरों को जीपीएस भी मुहैया करवाए है ताकि उनकी लोकेशन पर नजर रखी जाए। स्क्रैप से भरी गाड़ियों को रास्ता भी दलाल ही बताते है कि किस रास्ते से गुजरना है। कई बार तो ऐसा होता है कि इन गाड़ियों के पास हरियाणा व राजस्थान के फर्जी बिल भी होते है जबकि ‘कोड वर्ड’ के रूप में हरियाणा के गणपति ट्रांस्पोर्ट की बिल्टी लगाई जाती है। फर्जी फर्मे बनाकर साफ्टवेयर से फर्जी बिल्टी तैयार की जाती है इनके पास कोई ई.वे बिल नहीं होता। ऐसे में सरकार को रोजाना कई करोड़ों का चूना केवल जीएसटी के माध्यम से लग रहा है। इन गाडिय़ों में 15 टन से लेकर 25 टन तक स्क्रैप भरा होता है जिस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है जिसकी सरेआम चोरी हो रही है।
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कैसे चलता है फर्जीवाडा
कबाड़ी दलाल से ई-वे बिल की जगह फर्जी बिल प्राप्त करते है जो गोबिंदगढ़ तक पहुंचाने की जिम्मेवारी लेते है। चालक जैसे ही गाड़ी भरकर चलता है तो उन्हें दलालों के नंबर दिये जाते है ताकि कोई विघन आये तो उनसे संपर्क कर सकते है। यह गंभीर मामला है जो अधिकारियों की मिलीभुगत के बिना नहीं चल सकता। अमूमन देखा गया है कि दर्जन दो दर्जन गाड़ियों का काफिला स्क्रैप भरकर निकलता है जिसके आगे पीछे पायलट का काम करने वाली दलालों की गाड़ियां होती है। यह सभी रास्ते में भवानीगढ़ में इक्ट्ठे होते है वहां से अधिकारियों की लोकेशन ट्रेस कर गोबिंदगढ़ पहुंचते है। कई गाडिय़ां तो बिना टोल के गांवों से गुजर जाती है लेकिन कई टोल से निकलती है जिनका डाटा वहां से मिल सकता है।
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