Photos: पंजाब के जाबाज बेटे की शहादत पर गांव में पसरा मातम.. दिल को झंझोड़ देगी ये खबर

punjabkesari.in Thursday, Sep 14, 2023 - 04:00 PM (IST)

नयागांव: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह (41) भी शहीद हो गए। शहादत का जाम पीने वाला यह जाबाज न्यू चंडीगढ़ के भड़ौजिया गांव का रहने वाला था। कर्नल मनप्रीत सिंह की शहादत का पता चलते ही पूरे गांव में मातम पसर गया है।

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कर्नल मनप्रीत सिंह की तैनाती 19 राष्ट्रीय राइफल्स में थी और वह कमांडिंग ऑफिसर थे। 2020 के बाद से वह जम्मू-कश्मीर में थे। कर्नल मनप्रीत सिंह के भाई संदीप सिंह और दोस्त तलविंद्र सिंह ने बताया कि मनप्रीत की पत्नी जगमीत कौर टीचर हैं और आजकल उनकी तैनाती मोरनी पंचकूला में हैं और उनका 7 साल का एक बेटा और अढ़ाई साल की बेटी है, जो इस समय पंचकूला में रहते हैं, क्योंकि जगमीत कौर का वहां पर मायका है। भडौजिया गांव में इस समय उनकी मां मनजीत कौर रहती हैं और उनके पिता का देहांत हो चुका है। संदीप सिंह और तलविंद्र सिंह ने बताया कि उनकी मां को अभी मनप्रीत के शहीद होने की जानकारी नहीं दी गई है पर पूरा गांव गमगीन है, क्योंकि उन्होंने एक ऑफिसर के साथ-साथ लाडला बेटा भी खो दिया।

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4 महीने पहले आया था गांव
गमगीन माहौल में संदीप सिंह और तलविंद्र सिंह यादों को ताजा करते हुए कहते हैं कि मनप्रीत पढ़ने में काफी होशियार था और उनके पिता जो आर्मी में थे तो उन्होंने उनकी पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय में करवाई। मनप्रीत 12वीं कक्षा मुल्लापुर गरीबदास में स्थित केंद्रीय विद्यालय में पढ़ा और उसके बाद गैजुएशन करने के बाद 2003 में आर्मी ज्वाइन कर ली। भाई संदीप सिंह के आंसू छलक जाते हैं और वह कहते है कि मनप्रीत 4 माह पहले गांव आए थे और वह सभी के लाडले थे। मनप्रीत मिलनसार थे और सभी को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे।

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क्रिकेट खेलने का था क्रेज, युवाओं को करते थे मोटिवेट
भतीजे कर्णदीप सिंह ने कहा कि चाचा मनप्रीत हमेशा सभी युवाओं को आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट थे। मनप्रीत ने एस.डी. कॉलेज सेक्टर-32 चंडीगढ़ से ग्रैजुएशन की थी और वह वहाँ पर भी टॉपर रहे थे। कर्णदीप ने बताया कि चाचा को क्रिकेट खेलने का काफी क्रेज था और वह जब भी छुट्टी आते थे तो युवकों के साथ क्रिकेट खेलते थे। वह हमेशा युवकों को नशे से दूर और फिट रहने के साथ आर्मी ज्वाइन करने के लिए प्रेरित करते थे।

छल्लू अब आएगा नहीं पर गर्व से सिर किया ऊंचा
गांववासियों ने कहा कि मनप्रीत को प्यार से छल्लू के नाम  से पुकारते थे, जो उनका निक नेम था। वह कहते हैं कि उनका छल्लू अब गांव वापस नहीं आएगा पर उसने जो काम किया है, उससे उनका सिर ऊंचा हुआ है। उनकी मां को अभी पता नहीं है। वह बुजुर्ग हैं और उनकी पत्नी पंचकूला में हैं, क्योंकि यहां से उनकी नौकरी दूर पड़ती है।


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Vatika

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