हिमाचल में कांग्रेस की वापसी और एम.सी.डी. में ‘आप’ की जीत, पंजाब में लोकसभा चुनाव लड़ना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती

punjabkesari.in Friday, Dec 09, 2022 - 10:46 AM (IST)

पठानकोट  (शारदा): गुजरात में आजादी के बाद सबसे अधिक 156 सीटों पर बड़ी जीत प्राप्त करके भाजपा ने एक नया इतिहास रच दिया है और पी.एम. मोदी का डंका सारे भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में भी बज रहा है। ऐसी परिस्थितियों में 14 माह बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रभावशाली ढंग से तीसरी बार जीत प्राप्त करने के लिए अपना प्लेटफार्म बनाने में सफल रही है।

लोगों में आशा है कि लोकसभा चुनावों में एक बार पुन: मोदी सत्ता में आएंगे। चाहे हिमाचल प्रदेश में भाजपा सत्ता में नहीं आई और मात्र 26 सीटों पर ही उसे संतोष करना पड़ा परंतु फिर भी 43 प्रतिशत वोट लेकर भाजपा ने साबित कर दिया है कि लोकसभा में वह प्रभावशाली प्रदर्शन करेगी। ऐसी ही स्थिति दिल्ली में भी देखने को मिली है। चाहे आम आदमी पार्टी एम.सी.डी. को जीतने में सफल हुई है परंतु फिर भी भाजपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है।

इनके मद्देनजर क्या पंजाब में भाजपा ऐसी परिस्थितियों का फायदा ले पाएगी और लोकसभा में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का मुकाबला करते हुए कुछ सीटें जीतने में सफल होगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। 
प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने अपनी नई टीम की घोषणा की है जिसमें कांग्रेस से आए सभी दिग्गज नेताओं को एडजस्ट किया गया है। पार्टी पहले मात्र 23 विधानसभा सीटों पर और 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ती थी। अब पार्टी 117 सीटों और 13 लोकसभा चुनावों के लिए तैयारी कर रही है, इसलिए उसे उसी प्रकार के नेता और कार्यकर्ता जो स्थापित पार्टियों का मुकाबला कर सकें, सक्रिय करने होंगे।

पंजाब में भाजपा को और फायदा होता अगर एम.सी.डी. का चुनाव आम आदमी पार्टी के हाथों से निकलकर भाजपा के हाथों में आ जाता परंतु फिर भी भाजपा की इज्जत दिल्ली में काफी हद तक बच गई क्योंकि मुकाबला एकतरफा नहीं हुआ। आने वाले 6 माह पार्टी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं और पार्टी नेतृत्व राजस्थान और मध्य प्रदेश में व्यस्त होने के चलते पंजाब में अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहता है। हाईकमान यह चाहता है कि पंजाब से यह आवाज आनी चाहिए कि पंजाब में पार्टी पूरी तरह से मुकाबले में है और लोकसभा की कुछ सीटें जीतने की स्थिति में है। प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा के कंधों पर यह जिम्मेदारी है कि पार्टी ने 2024 के चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ने के संकेत दिए हैं, ऐसी स्थिति में उन्हें भी कोई करिश्मा दिखाने की जरूरत है।

हर बूथ और हर गांव में पार्टी स्थापित हो उसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी क्योंकि विधानसभा चुनाव हारने के बाद पंजाब में कांग्रेस पार्टी में मायूसी छाई हुई थी और संगरूर लोकसभा चुनावों के बाद आम आदमी पार्टी भी थोड़ी-सी राजनीतिक रूप से पिछड़ रही थी परंतु अब परिस्थितियां बदली हैं, हिमाचल की जीत ने कांग्रेस को नई उम्मीद दी है और एम.सी.डी. दिल्ली के चुनावों से आम आदमी पार्टी उत्साहित है। भाजपा को त्रिकोणीय मुकाबले में आने के लिए रात-दिन एक करना होगा अन्यथा वह अवसर उनके हाथ से निकल जाएगा क्योंकि अभी विधानसभा में उनके मात्र 2 ही विधायक हैं।

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News Editor

Urmila

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