रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नं.-1 पर शताब्दी एक्सप्रैस का कब्जा, यात्रियों के लिए बनी परेशानी
punjabkesari.in Thursday, Jun 29, 2023 - 12:26 PM (IST)

अमृतसर : गुरु की नगरी के रेलवे स्टेशन को एक मॉडल स्टेशन की संज्ञा दी जाती है। इसके अलावा रेल मंत्रालय भी इस स्टेशन को देश के सबसे पहले दस बड़े व अति-आधुनिक रेलवे स्टेशन की शृंखला में लाने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा है, परंतु दूसरा पहलू यह है कि स्टेशन के प्रशासनिक अधिकारी अभी भी अपनी हठ छोड़ नहीं रहे हैं। इससे उनकी कार्यशैली पर तो प्रश्नचिन्ह अंकित होते ही है, किंतु इस सबका खमिआजा रेल मुसाफिरों को भुगतना पड़ रहा है।
ऐसा ही एक और मामला सामने आया है, जिसकी अगर जांच की जाए तो कई भ्रष्ट अधिकारी सामने आ सकते हैं। ये सारा मामला रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्मों पर आने-जाने वाली रेलगाड़ियों के प्लेटफार्मों को खड़ी करने का है। कई रेल मुसाफिरों ने पंजाब केसरी से सपंर्क करते हुए ये सारी समस्या बताई तो विगत दो दिन इस संवादाता ने वहां जाकर जांचा तो कई हैरानीजनक पहलू सामने निकल कर आए।
उत्तर भारत की धार्मिक रेलगाड़ी कहलाए जाने वाली फूलों की रेलगाड़ी (अमृतसर-देहरादून) विगत दो दिनों से प्लेटफार्म नंबर-1 से न चलाकर प्लेटफार्म नंबर-5 से चलाई गई। ये रेलगाड़ी काफी महत्तवपूर्ण है और इसमें ज्यादातर यात्री ज्यादा उम्र के या फिर वृद्ध लोग होते हैं। ऐसे में मुसाफिरों को प्लेटफार्म नंबर-5 तक जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हद तो तब हो गई जब मंगलवार को पाया कि उक्त रेलगाड़ी के तीन यात्री कोच प्लेटफार्म के एरिये से आगे लगा दिए, जिससे रेल यात्रियों को उक्त डिब्बों में चढ़ने को काफी परेशानी आई और वहां पर रोशनी का भी पर्याप्त प्रबंध नहीं था। इसके चलते उन्हें सीटों पर बैठने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बुधवार को भी ये महत्वपूर्ण रेलगाड़ी प्लेटफार्म नंबर-5 से ही अपने गत्तव्य की ओर रवाना की गई।
जानकारी के अनुसार बुधवार को प्रात: सुबह को जाने वाली रेलगाड़ियां जनसेवा, ब्रौनी, संचखंड, सुपरफास्ट न्यू दिल्ली, डीलक्स रेलगाड़ी, जनशताब्दी, दादर मुंबई सहित कुल 10-12 रेलगाड़ियां चलती हैं। इनमें से एक भी रेलगाड़ी प्लेटफार्म नंबर-1 से नहीं चलाई गई, जबकि अगर प्लेटफार्म नंबर-1 की बात करे तो यहां से सुबह शताब्दी रेलगाड़ी चलती है और जब दिल्ली से शताब्दी रेलगाड़ी दोपहर अमृतसर स्टेशन पहुंचती है तो उसको फिर वहीं पर रखा जाता है और फिर वो जब शाम को दिल्ली जाती है तो फिर वहां से रात को पहुंची शताब्दी रेलगाड़ी को फिर से प्लेटफार्म नंबर-1 पर स्टापेज दे दिया जाता है और फिर सुबह तड़के अगले दिन यहीं से ही दिल्ली की ओर रवाना किया जाता है।
इसके अलावा अन्य रेलगाड़ियों की बात करें तो गोल्डन टैंपल रेगाड़ी व पठानकोट दिल्ली रेलगाड़ी के अलावा कुछ ही अन्य रेलगाड़ियों को प्लेटफार्म नंबर-1 से चलाया जाता है। कुछेक सूत्रों ने बताया कि रेलगाड़ियों को अन्य प्लेटफार्मो में चलाने के भीतर भी अंदरखाते काफी बड़ा खेल है, जिसकी अगर जांच की जाए तो काफी कुछ सामने आ सकता है।
रेलवे स्टेशन से होता है प्रतिदिन 106 रेलगाड़ियों का आवागमन
गौरतलब है कि पहले स्टेशन पर केवल 4 प्लेटफार्म होते थे, जो अति व्यस्त रहते थे। इसके बाद अब समय रहते अमृतसर रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन 106 के लगभग रेलगाड़ियों का आवागमन होता है। इसके चलते स्टेशन पर अन्य दो नए प्लेटफार्मों का निर्माण किया गया है। इन दो नए प्लेटफार्मों 5 व 6 पर रेल मुसाफिरों के लिए सुविधओं के नाम पर कुछ नहीं है।
नए प्लेटफार्मों पर न तो पंखों व न ही पीने वाले पानी का प्रबंध
इसके अलावा दोनों नए प्लेटफार्मों को आऊटर एरिया से जोड़ने के लिए केवल दो पौड़ियां वाले पुल हैं। इन नए प्लेटफार्मों पर न तो अभी पर्याप्त रूप से पंखें लगाए हैं और न ही पीने वाले पानी का कोई उचित प्रबंध है। इसके बावजूद स्टेशन प्रशासन अधिकांश रेलगाड़ियों को इन्हीं दो नए प्लेटफार्मों से चला रहे हैं, जो रेलवे की कार्यप्रणाली पर कई प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहा है।
रेल मुसाफिरों के लिए परेशानियों का अंबार
वहीं आने वाली रेलगाड़ियों को भी यहां पर ही स्टापेज दिया जा रहा है। इससे एक तो रेल मुसाफिरों के लिए परेशानियों का अंबार लग गया है और दूसरा स्टेशन का सबसे महत्वपूर्ण व हरदम व्यस्त रहने वाले प्लेटपार्म नंबर 1 पूरी तरह से सुनसान व वीरान ही दिखता है। प्लेटफार्म नंबर-1 पर ही कई रेलवे अधिकारियों के कार्यालय है और यहां पर यात्रियों के लिए खाने-पीने के स्टालों के अलावा बैठने व पीने वाले पानी का भी उचित प्रबंध है।
खास बात यह है कि पहले अधिकांश रेलगाड़ियों का अस्थान-प्रस्थान प्लेटफार्म नंबर-1 से ही होता था। इसके चलते महिलाओं, बच्चों व अंगहीन व वृद्ध लोगों को रेलगाड़ी से उतरने पर स्टेशन के आऊटर क्षेत्र में जाने के लिए कोई भी मुश्किल दरपेश नहीं आती थी।
अन्य रेलगाड़ियों का ठहराव होता है अधिकतर 2 नए व अन्य प्लेटफार्मों पर
वहीं अन्य रेलगाड़ियों का ठहराव अधिकतर दो नए व अन्य प्लेटफार्मों पर होने से वहां से महिलाओं, बच्चों व वृद्व लोगों को केवल पैदल पौड़ियों वाले पुल के माध्यम से आना पड़ता है, जो उनके लिए नामुमकिन-सा ही साबित होता है। इसके अलावा यात्रियों को अपना भारी सामान इतनी दूर ले जाने में भी काफी दिक्कतें दरपेश आती हैं। स्टेशन पर लगा एक्सलेटर भी अक्सर बंद रहता है और स्टेशन पर लगी लिफ्ट में अधिकांश रेल मुसाफिर जाने से डरते है।
लेटफार्म नंबर-1 पर इक्का-दुक्का रेलगाड़ियों का हो होता है प्रस्थान
वहीं इसके कारण अन्य प्लेटफार्मों पर हर वर्ष रेलवे को मोटी राशि भरने वाले वैंडर भी खाली हाथ बैठे दिखते हैं यानि कि उनके खाने-पीने की ब्रिकी न ही के समान हो रही है। कुछेक का कहना है कि प्लेटफार्म पर दिन भर में से 12 घंटे तक अधिकतकर वी.वी.आई.पी. कहलाए जाने वाली शताब्दी रेलगाड़ी का ही कब्जा रहता है। इसके बाद नाम के तौर पर प्लेटफार्म नंबर-1 से इक्का-दुक्का रेलगाड़ियों का प्रस्थान करवा दिया जाता है। वहीं नए बने प्लेटफार्मों के अलावा अन्य प्लेटफार्म भी अति रहते हैं।
प्लेटफार्म-1 से शतब्दी रेलगाड़ी का कब्जा हटाने की मांग
रेल मुसाफिरों ने मांग की है कि प्लेटफार्म नंबर 1 से शतब्दी रेलगाड़ी का कब्जा हटाकर वहां पर अन्य रेलगाड़ियों का आवागमन करवाया जाए। यात्रियों ने कहा कि सभी सुविधाओं के सुज्जित प्लेटफार्म नंबर-1 क्या वी.वी.आई. रेलगाड़ी के मुसाफिरों के लिए ही बनाया गया है। क्या इन सुविधाओं का लुत्फ अन्य आम मुसाफिर नहीं ले सकते?
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