अंतर्राज्यीय जल विवाद प्रस्ताव वापस लिया जाए : सुखबीर

punjabkesari.in Tuesday, Aug 06, 2019 - 08:24 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): शिरोमणि अकाली दल ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह सेखावत को अवगत करवाया कि अंतर्राजीय जल विवाद संशोधन विधेयक 2019 को मौजूदा रूप में राज्यसभा में पारित करने से पंजाब के साथ बहुत बड़ी बेइंसाफी होगी। पार्टी ने विधेयक को तुरंत वापस लेने का आग्रह किया है। 

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को सौंपा मांगपत्र

पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री को नई दिल्ली में मांगपत्र देते हुए अवगत करवाया कि विधेयक की धारा 12 पंजाब के लोगों खासतौर पर देश की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले किसानों के लिए बहुत हानिकारक है। इंसाफ यह मांग करता है कि धारा 14 में संशोधन करने वाले विधेयक के क्लाज 12 को पूरी तरह हटा दिया जाए। उन्होंने कहा कि अंतर्राज्यीय जल विवाद एक्ट 1956 की धारा 3 के तहत पंजाब राज्य द्वारा 2003 में डाली अर्जी पर 16 साल से कोई सुनवाई नहीं हुई है।

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केंद्र सरकार करवाए निपटारा

सुखबीर ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा 1955 में रावी-ब्यास का 8 एम.ए.एफ. पानी गैररिपेरीयन राज्य राजस्थान को पानी देने का एकपक्षीय फैसला भी शामिल है। कांग्रेस सरकार द्वारा भाखड़ा और ब्यास दरिया का पानी बांटने का अधिकार केंद्र को देने के लिए रची साजिश के तहत 1966 में पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा 78 में संशोधन किया कि दोनों राज्यों में सहमति न हुई तो केंद्र सरकार निपटारा करवाएगी। 

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पास नहीं किया जाना चाहिए अंतर्राजीय जल विवाद संशोधन विधेयक 

सुखबीर ने कहा कि वर्ष 1981 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने पंजाब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री को धमकाकर सतलुज-यमुना लिंक परियोजना एक समय सीमा में मुकम्मल करवाने की वचनबद्धता ले ली। इसके अलावा प्रोजैक्ट संबंधी प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली पुरानी सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में डाले गए एतराजों को वापस ले लिया। यह कहते हुए कि सभी ऐतिहासिक गलतियां थी, बादल ने कहा कि ठीक करने की जरूरत है। अंतर्राजीय जल विवाद संशोधन विधेयक 2019 को मौजूदा रूप में पास नहीं किया जाना चाहिए। प्रतिनिधिमंडल में जत्थेदार तोता सिंह, प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, डा. दलजीत सिंह चीमा तथा  दरबारा सिंह गुरु भी शामिल थे।

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