त्योहारी सीजन में हरियाणा से पंजाब आए वाहन ने उड़ाए सबके होश, जानें पूरा मामला
punjabkesari.in Sunday, Oct 05, 2025 - 10:44 PM (IST)

लुधियाना (सहगल): जिला स्वास्थ्य विभाग की फूड सेफ्टी टीम ने सीआईए स्टाफ जगराओं की सहायता से संयुक्त कार्रवाई करते हुए 189 किलो पनीर जब्त कर उसके सैंपल जांच के लिए भेज दिए। सिविल सर्जन डॉ. रमनदीप कौर ने बताया कि जांच के दौरान एक वाहन को गांव रांगढ़ भुल्लर, सिधवां बेट रोड, जगराओं के पास रोका गया। वाहन से 189 किलोग्राम पनीर बरामद हुआ।
सिविल सर्जन के अनुसार, प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह पनीर निरवाणा (हरियाणा) से ₹210 प्रति किलो की दर से खरीदा गया था और इसे जगराओं से नकोदर के बीच स्थित फास्ट फूड विक्रेताओं और ढाबों में सप्लाई किया जाना था।
फूड सेफ्टी टीम ने मौके पर ही पनीर के नमूने एकत्र कर जांच के लिए स्टेट लैब में भेजे। पूरी कार्रवाई भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के दिशा-निर्देशों के तहत की गई, जिनमें डेयरी उत्पादों के निर्माण, भंडारण और परिवहन के दौरान स्वच्छता, तापमान नियंत्रण और गुणवत्ता मानकों का पालन अनिवार्य है। शेष पनीर को मौके पर ही नष्ट कर दिया गया, ताकि यह संदिग्ध खाद्य सामग्री बाजार में न पहुंच सके।
सिविल सर्जन डॉ. रमनदीप कौर ने कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि जनस्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए ऐसी सख्त निगरानी जारी रहेगी। उन्होंने खाद्य व्यवसाय संचालकों से अपील की कि वे फूड सेफ्टी एक्ट के सभी मानकों का पालन करें, ताकि उपभोक्ताओं तक मिलावटी या असुरक्षित खाद्य सामग्री न पहुंचे। डॉ. संदीप सिंह ने बताया कि जिले में नियमित और आकस्मिक निरीक्षण अभियान जारी रहेंगे, ताकि मिलावटी और निम्न गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पादों की आपूर्ति पर रोक लगाई जा सके।
हलवाइयों की व्यापक जांच की जरूरत
लोगों का कहना है कि त्योहारों के दिनों में खाने-पीने की वस्तुओं की व्यापक जांच जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग को निरंतर सक्रिय रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हलवाइयों की नियमित जांच जरूरी है, ताकि यह पता चल सके कि कौन सा हलवाई कैसी मिठाइयां बना रहा है और दूध व दूध से बने पदार्थों की गुणवत्ता कैसी है। यह लोगों की सेहत से जुड़ा हुआ मामला है।
नाम करें उजागर, छुपाएं नहीं
लोगों का कहना है कि जब फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) बड़े फूड चेन ब्रांड्स के सैंपल फेल होने पर उनके नाम सार्वजनिक करती है, तो स्थानीय फूड विंग अधिकारियों को भी मिलावटखोरों के नाम उजागर करने चाहिए। उनके नाम छिपाना लोगों की सेहत से अधिक जरूरी नहीं हो सकता। यदि स्वास्थ्य विभाग ऐसा नहीं करता तो जनता उसे भी मिलावटखोरों के साथ शामिल समझ सकती है।
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