पंजाब के इस गांव में बड़ा बदलाव, पराली को लेकर तोड़े रिकॉर्ड, क्या आप भी बनेंगे मिसाल?

punjabkesari.in Monday, Nov 24, 2025 - 10:59 AM (IST)

मोगा (पंजाब): पंजाब के मोगा जिले का रणसिंह कलां गांव अब पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में एक मिसाल बन गया है। इस गांव के किसानों ने पिछले 6 सालों से पराली जलाना पूरी तरह से बंद कर दिया है। 2019 में पंचायत द्वारा पराली जलाने पर बैन लगाने के बाद से 150 किसानों ने 1301 एकड़ में खड़ी पराली को जलाए बिना खेतों की मिट्टी में मिला दिया। सरपंच मिंटू सिंह बताते हैं कि यह फैसला प्रदूषण को कम करने और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए लिया गया था। नतीजा यह है कि खेतों की मिट्टी अब और ज्यादा उपजाऊ हो गई है, और रासायनिक खाद की जरूरत 30% तक घट चुकी है।

नई दिशा में बदलाव

गांव के किसानों ने पराली को जलाने की बजाय इसे खेतों में मिलाना शुरू कर दिया है। लगभग 60% किसान अब हैप्पी सीडर, सुपर सीडर जैसी मशीनों का इस्तेमाल कर पराली को मिट्टी में मिलाते हैं, जिससे पर्यावरण को भी लाभ हो रहा है। बाकी 40% किसान पराली को बेचते या उठवा देते हैं। इसके अलावा, किसान अपनी मदद से कृषि सोसायटी चला रहे हैं, जिसके द्वारा पराली को खेतों में मिलाने के लिए जरूरी उपकरण खरीदे गए हैं।

पड़ोसी गांवों की पहल

रणसिंह कलां के इस उदाहरण से प्रेरित होकर अब नजदीकी गांव निहालसिंह वाला, नंगल, बीड राउके और धूडकोट रणसिंह के किसानों ने भी पराली जलाने का फैसला छोड़ दिया है। ये युवा अब पराली से बायोफ्यूल, गत्ता, खाद, और मशरूम जैसे उत्पाद बनाने की योजना बना रहे हैं।

सरकार से मदद की उम्मीद

गांव के सरपंच मिंटू सिंह का कहना है कि अगर सरकार मशीनरी और प्रशिक्षण उपलब्ध कराए, तो यहां के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिल सकते हैं। पंचायत ने इस मुद्दे पर हाल ही में डिप्टी कमिश्नर और कृषि अधिकारियों से मुलाकात की है।

मिट्टी की सेहत पर असर

जिला कृषि अधिकारी डॉ. गुरप्रीत सिंह के अनुसार, पराली जलाने से जहां प्रदूषण बढ़ता है, वहीं मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट होते हैं। लेकिन जब पराली को खेतों में मिलाया जाता है, तो यह मिट्टी में जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा बढ़ाता है, जिससे फसलों की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

गांव का सम्मान

रणसिंह कलां को इसके पर्यावरणीय योगदान के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार, पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार और राज्य स्तर पर तीन बार अवार्ड शामिल हैं। 23 सितंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गांव को "बेस्ट पॉड अवॉर्ड" से नवाजा।

किसान सहयोग और मदद

पंचायत ने 2019 में फैसला किया था कि जो किसान पराली नहीं जलाएंगे, उन्हें हर सीजन के अंत में 500 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। अब यह राशि बढ़ाकर 2500 रुपये कर दी गई है। इसके साथ ही, लकी ड्रा के तहत किसान को साइकिल भी दी जाएगी।

समुदाय की शक्ति

गांव के विकास में किसानों और एनआरआईज का योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा है। 80% आर्थिक सहायता गांववासियों और विदेश में बसे पंजाबी परिवारों से मिलती है, जबकि 20% सरकारी ग्रांट से आता है। सरपंच मिंटू सिंह का कहना है कि पारदर्शिता और सही तरीके से काम करने की वजह से आज तक गांव में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार या गड़बड़ी नहीं हुई है।

विकास कार्यों में पारदर्शिता

गांव में हाल ही में एक जल उपचार प्लांट और दो झीलें बनाई गई हैं, जो बरसाती पानी की बर्बादी को रोकने में मदद करती हैं। इन परियोजनाओं में कुल 1.1 करोड़ रुपये का खर्च आया है। इन कार्यों का पूरा खर्च गांव की 51 सदस्यीय ग्राम विकास कमेटी द्वारा किया जाता है, जो सभी निर्णय सामूहिक रूप से लेती है।

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News Editor

Urmila

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