विजिलेंस विभाग ने गिरफ्तार किए 2 पंच, जानें क्या है पूरा मामला
punjabkesari.in Tuesday, Jun 21, 2022 - 05:40 PM (IST)
पटियाला: राजपुरा आई.टी. पार्क मुआवजा अनियमितता मामले में विजिलेंस ने दो पंचों को गिरफ्तार किया है। पंचों की पहचान अवतार सिंह और सुखविंदर सिंह लाडी निवासी आकड़ी के रूप में हुई है। सूत्रों के मुताबिक दोनों पंच देवीगढ़ रोड स्थित गांव भांखल में एक मीटिंग से लौट रहा था। इस दौरान विजिलेंस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सूत्रों के अनुसार इस मामले में आरोपी 5 गांवों के सरपंच-पंच ने पठानमाजरा के पास भांखल गांव में बैठक बुलाई थी क्योंकि विजिलेंस ने पहले ही सभी मामले दर्ज कर लिए गए थे इसलिए विजिलेंस इनकी गिरफ्तारी करने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही थी। इससे पहले पंचों-सरपंचों ने पटियाला जिला अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जिसके बाद अब आगे की रणनीति तैयार करने के लिए गुप्त मीटिंग बुलाई गई है।
विजिलेंस को इस गुप्त मीटिंग सूचना दी गई। 4 लोग मीटिंग के बाद कार में बैठ कर चले गए थे जिनमें से 2 को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया है परंतु एक सरपंच और उसका बेटा मौके से फरार होने में कामयाब रहे। गिरफ्तार दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। बता दें कि विजिलेंस इस मामले में अब तक 29 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर चुकी है परंतु गिरफ्तारी सिर्फ पांच लोगों की ही हुई है। इनमें से जे.ई. धर्मिंदर सिंह, शहरी गांव का सरपंच मंजीत सिंह के अलावा गांव आकड़ी का दर्शन सिंह शामिल थे। इसके साथ ही हाल ही में गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों की संख्या बढ़ गई है।
यहां ब्लाक समिति शंभु कलां को मिली ग्रांट में से इस प्रोजेक्ट अधीन आते गांव सेहरा, सेहड़ी, पावड़ा, आकड़ी, सी.एस.वीज अधीन आते 17 करोड़ 35 लाख ग्रांट घनौर ब्लाक के 84 गांवों को गलत तरीके से बांटने की जांच भी शुरू की गई है। जांच कमेटी द्वारा सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्लाक सिमित शंभु कलां ने विकस कार्य करवाने के लिए गांव पंचायत सेहड़ी, सेहरा, आकड़ी व पावड़ा से 68 करोड़ 53 लाख रुपए बतौर सी.एस. पर ब्लाक समिति ने यह ग्रांट 84 गांवों में बांट दी जोकि नियमों के बिल्कुल उलट है, इसिलए अब इन 84 गांवों की पंचायतों से भी जवाब मांगा जाए।
सूत्रों के अनुसार 84 गांवों में से कई पंचायतों ने इस संबंध में जिला पंचायत विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि यदि ब्लाक समिति ने उन्हें नियमों के विरुद्ध अनुदान दिया है तो इसमें पंचायत का कोई कसूर नहीं है। इसिलए उन्हें इस मामले में न घसीटा जाए। कुछ सरपंचों/पंचों ने तो यहां तक बताया है कि जब ब्लाक समिति ने यह पैसा उनकी पंचायतों में जमा कराए तो अगले दिन उन्हें एक कांग्रेसी नेता के नाम पर दस्तखत करवाकर पैसे वापिस करवा लिए, जिस कारण उन्हें अब यह समझ नहीं आ रही कि यह घोटाला किस स्तर पर हुआ है।
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