School में बच्चों को पीटने वाले Teacher पर शिक्षा विभाग का बड़ा Action

punjabkesari.in Tuesday, Dec 12, 2023 - 08:39 AM (IST)

चंडीगढ़: पंजाब के सरकारी स्कूलों में बच्चों की पिटाई के मामले सामने आ रहे हैं। पंजाब बाल राज्य अधिकार संरक्षण आयोग के आंकड़ों की मानें तो हर महीने स्कूली बच्चों की पिटाई की दो शिकायतें आयोग को मिल रही हैं। मामला संगरूर जिले के भुट्टीवाल कला के सरकारी स्कूल का है। स्कूल के शिक्षक जसप्रीत सिंह द्वारा 12वीं कक्षा के तीन बच्चों को बेरहमी से पीटने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मामले में जांच के लिए पंजाब स्कूल शिक्षा विभाग आदेश जारी कर चुका है। बच्चों को पीटने वाले शिक्षक को 70 किलोमीटर दूर लहल कला स्कूल में स्थानांतरित कर दिया और तीन सदस्यीय पैनल का जांच के लिए गठन कर दिया गया है। पंजाब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिक्षक के खिलाफ नियमों के तहत केस दर्ज करने के निर्देश जारी किए।
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जारी किए स्थानांतरण के आदेश
 शिक्षा विभाग के डी.पी.आई. संजीव शर्मा का कहना है कि स्कूलों में बच्चों के साथ शिक्षकों के ऐसे व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। स्कूल में पढऩा बच्चों का मौलिक अधिकार है। स्कूलों में बच्चों को पीटने की बजाए शिक्षक उन्हें प्यार से समझाएं। इसके लिए बाकायदा स्कूल शिक्षकों को विभाग द्बारा विशेष प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा। संगरूर स्कूल के शिक्षक को 70 किलोमीटर दूर लहल कला स्कूल में जांच पूरी होने तक ट्रांसफर करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।  जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी में तीन प्रिंसिपल को शामिल किया है। इनमें प्रिंसिपल रविंदर कौर, प्रिंसिपल प्रवीण मनचंदा, बालियां स्कूल के प्रिंसिपल राजीव को शामिल किया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि मामला सामने आने पर शिक्षक को अस्थाई तौर पर स्थानांतरित कर दिया गया है। तीन सदस्यीय कमेटी की जांच पूरी होने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। 

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बच्चा शरारत करता है तो काऊंसलिंग करें
पंजाब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के डिप्टी डायरैक्टर राजविंद्र सिंह गिल ने कहा कि संगरूर के सरकारी स्कूल में बच्चों की पिटाई करने वालेशिक्षक द्वारा ऐसा कहा जा रहा है कि बच्चे स्कूल में शरारतें कर रहे थे और दो अर्थी बातें कर रहे थे तो बच्चों की काऊंसलिंग की जानी चाहिए थी। अगर बच्चे दो मतलब वाली बातें करते हैं तो जिला बाल संरक्षण अधिकारी को बच्चों की काऊंसलिंग की जिम्मेदारी भी दी जानी चाहिए। शिक्षा का अधिकार भी को शिक्षा देने की बात करता है, वहां कहीं भी बच्चों की पिटाई को लेकर नहीं कहा गया है। गिल का कहना है कि स्कूलों में बच्चों की पिटाई से संबंधित आयोग को हर महीने में शिकायतें मिल ही जाती हैं और उसके बाद आयोग मामले का अध्ययन करता है और बच्चे या शिक्षक जिसकी वजह से भी विवाद उत्पन्न हुआ होता है उनसे बातचीत करसुलझाने का काम करते हैं।

शिक्षक नहीं कर सकता बच्चों की पिटाई
पंजाब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष कंवरदीप सिंह का कहना है कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की 75 ए के अंतर्गत शिक्षक के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की जानी चाहिए। अभिभावक बच्चों को स्कूल में पढऩे के लिए भेजते हैं ना कि पिटाई करवाने। अगर बच्चे कोई शरारत कर रहे हैं या पढ़ाई में व्यवधान डाल रहे हैं तो बच्चों की काऊंसलिंग की जानी चाहिए। प्यार से बच्चों को समझाया जाना चाहिए था। बच्चों की बेहरहमी से पिटाई करना बिल्कुल अनुचित है। 


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Vatika

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