खतरे की घंटी! बदलते मौसम के कारण पंजाब वासियों के लिए खड़ी हो रही बड़ी मुसीबत
punjabkesari.in Wednesday, Mar 19, 2025 - 06:56 PM (IST)

टांडा उड़मुड़ (गुप्ता): बेमौसम बर्फबारी, कहीं बारिश और रेगिस्तान में जहां कभी बारिश नहीं हुई, वहां बाढ़ आना, ओलावृष्टि होना यह सब कुदरत से छेड़छाड़ का ही नतीजा है। इसकी चेतावनी कुदरत समय-समय पर देती रहती है पर इंसान इसे नजरअंदाज कर रहा है। अपनी सुविधाओं और बढ़ती यातायात समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकारें देशभर में सड़कों को चौड़ा कर रही हैं, जिससे पेड़ों की कटाई हो रही है, लेकिन नए पेड़ लगाने के लिए बहुत कम प्रयास किए जा रहे हैं। जो वायु प्रदूषण, बढ़ते तापमान और बदलते मौसम का वास्तविक कारण है।
कम समय में लंबी दूरी तय करने के लिए पहाड़ों में सुरंगें काटी जा रही हैं, जिससे भूस्खलन और पर्वतीय खिसकाव हो रहा है। दुनिया के रचयिता ने मनुष्य को धरती पर भेजने से पहले उसकी सुख-सुविधा के लिए इस धरती पर तरह-तरह के खजाने दिए थे, ताकि मनुष्य इन प्राकृतिक उपहारों का सही तरीके से उपयोग कर सके और जीवन के हर सुख को प्राप्त कर सके। परंतु मनुष्य ने अपने स्वार्थी स्वभाव से विवश होकर इन प्राकृतिक उपहारों का दुरुपयोग करके उन्हें नष्ट करना शुरू कर दिया है, जिसके कारण आज संसार का प्रत्येक व्यक्ति तरह-तरह की कठिनाइयों, समस्याओं और बीमारियों का शिकार बन रहा है।
इन समस्याओं को लेकर सेंट सोल्जर डिवाइन पब्लिक स्कूल टांडा के निदेशक इंद्र कुमार साहनी, कैटरर एंड वेडिंग प्लानर के एमडी संदीप समेत क्षेत्र के बुद्धिजीवियों व समाजसेवियों ने अपनी बात रखी। लखविंदर सिंह ने कहा कि दुनिया में हर व्यक्ति न चाहते हुए भी परमात्मा द्वारा दिए गए अमूल्य उपहारों का सही उपयोग न करते हुए, परमाणु परीक्षण सहित विभिन्न प्रकार की घातक गैसों का प्रयोग करके तथा वर्षा कराने के लिए रसायनों का प्रयोग करके वायु में प्रदूषण फैला रहा है। इस कारण मनुष्य को अनेक घातक बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है।
सेवानिवृत्त उपनिदेशक स्वास्थ्य डॉ. केवल सिंह काजल और लाइफ केयर अस्पताल के डॉ. करमजीत सिंह ने कहा कि मनुष्य डीजल-पेट्रोल वाहनों, घरों और दफ्तरों में एयर कंडीशनर का आदी हो गया है। कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग ने न केवल वायु को प्रदूषित किया है बल्कि सूर्य की पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी कमजोर किया है, जिसके कारण मानव को 2001-03 में सार्स वायरस तथा 2019-20 में कोरोना वायरस जैसी अनेक कठिनाइयों एवं महामारियों का सामना करना पड़ा है। यदि अब भी मानव अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और सरकार व विभिन्न सामाजिक संगठनों ने वृक्षारोपण में तेजी नहीं लाई तो आने वाली पीढ़ियों को इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
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