डी.जी.पी. पंजाब ने सरकार को भेजी रिपोर्ट, जांच के बाद राजजीत को लेकर हुआ यह खुलासा
punjabkesari.in Friday, Apr 21, 2023 - 10:18 AM (IST)

चंडीगढ़ : ड्रग्स मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर नौकरी से बर्खास्त किए गए पूर्व एस.एस.पी. मोगा एवं ए.आई.जी. राजजीत सिंह हुंदल के अलावा और किसी भी अधिकारी ने बर्खास्त इंस्पैक्टर (असल में कांस्टेबल) इंद्रजीत सिंह की पोस्टिंग अपने साथ करने की मांग नहीं की थी। इंद्रजीत सिंह की आऊट ऑफ टर्न डबल प्रोमोशन भी ए.आई.जी. राजजीत सिंह हुंदल के कहने पर ही हुई थी। खास बात यह है कि यह सब पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी के आशीर्वाद व सहमति से होता रहा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान के आदेश के बाद राज्य के गृह विभाग ने पूर्व एस.एस.पी. व मौजूदा समय में ए.आई.जी. के तौर पर बर्खास्त किए गए राजजीत सिंह के संबंध में डी.जी.पी. को पत्र लिखा था। डी.जी.पी. को कहा गया था कि राजजीत सिंह के मामले को ध्यान में रखते हुए 3 दिन में यह रिपोर्ट सौंपी जाए कि बर्खास्त इंस्पैक्टर इंद्रजीत सिंह को विभिन्न जिलों में प्रमुख पदों पर आसीन करने के लिए कौन-कौन से पी.पी.एस. व आई.पी.एस. अधिकारी सिफारिश करते रहे थे ताकि पता चल सके कि ड्रग्स के धंधे के जरिए कमाई करने वाले बर्खास्त इंस्पैक्टर इंद्रजीत सिंह को किस-किस अधिकारी का समर्थन हासिल था।
3 दिन के तय समय में डी.जी.पी. कार्यालय द्वारा भेजी गई रिपोर्ट
3 दिन के तय समय में ही डी.जी.पी. कार्यालय द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि रिकार्ड की जांच करने के बाद पता चला है कि बर्खास्त इंस्पैक्टर इंद्रजीत सिंह को विभिन्न जिलों में अपने अधीन तैनात करने के लिए बर्खास्त किए गए राजजीत सिंह हुंदल द्वारा ही आग्रह किया जाता रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल रूप से पुलिस कांस्टेबल इंद्रजीत सिंह को डबल प्रोमोशन देने का आग्रह भी ड्रग्स मामले में फरार चल रहे राजजीत सिंह ने ही किया था, जिस पर पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी द्वारा 9 जून, 2014 को अपनी सहमति दे दी गई थी। इसी तरह 12 अगस्त, 2014 को राजजीत सिंह के ही आग्रह पर तत्कालीन डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी द्वारा इंद्रजीत सिंह को राजजीत सिंह के अधीन होशियारपुर में ट्रांसफर किया गया था।
ध्यान रहे कि लोगों के खिलाफ नशा तस्करी में पुलिस कर्मियों के भी शामिल होने के आरोपों संबंधी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा एस.आई.टी. गठित की गई थी। पूर्व डी.जी.पी. सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय, स्पैशल डी.जी.पी. प्रबोध कुमार व पूर्व आई.जी. कुंवर विजय प्रताप पर आधारित 3 सदस्यीय एस.आई.टी. द्वारा तथ्यों की जांच के बाद सीलबंद रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी गई थी। कई वर्ष तक सीलबंद रहने के बाद हाल ही में उक्त रिपोर्ट को खोला गया था और पंजाब सरकार को रिपोर्ट मिलने के बाद उस पर तुरंत एक्शन शुरू हुआ और मुख्यमंत्री भगवंत मान की सहमति व निर्देश मिलने के बाद ए.आई.जी. राजजीत सिंह हुंदल को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया गया था, तभी से राजजीत सिंह रूहपोश हैं।
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