भाजपा में नहीं थम रहा गुटबाजी का दौर, टिकट के जुगाड़ियों में मची यह होड़

punjabkesari.in Sunday, Mar 05, 2023 - 01:33 PM (IST)

जालंधर: भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर अपने बढ़ रहे जनाधार का लाभ पंजाब में भी उठाने की फिराक में है, जिसके चलते इन दिनों बड़े स्तर पर अन्य पार्टियों से नेताओं, कार्यकर्त्ताओं तथा समाज सेवकों की भाजपा में शामिल होने की होड़ मची हुई है। गत वर्ष विधानसभा चुनावों में पूरी तरह से विफल रही भाजपा के लिए एकमात्र आशा की किरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्माई चेहरा तथा अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारियां ही हैं परंतु राज्य में भाजपा के बीच अभी भी गुटबाजी का दौर थम नहीं रहा है। इसी चक्कर में अपने ही नेता अपनों को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

वर्तमान में पंजाब भाजपा में आनन-फानन में हर एक पार्टी के नेता ज्वाइन कर रहे हैं। हाल ही में पार्टी में शामिल हो रहे अधिकांश नेताओं का लक्ष्य आगामी नगर निगम चुनावों में अपनी या अपने लोगों के लिए टिकट का जुगाड़ करना एकमात्र लग रहा है। वर्तमान में परिस्थितियां ऐसी बन रही है कि दूसरे राजनीति दलों से भाजपा में शामिल हुए नेताओं को अधिकतर भाजपा पदाधिकारी या कार्यकर्त्ता अपना नहीं रहे हैं। चर्चा यही समाप्त नहीं होती भाजपा का एक वर्ग दूसरे वर्ग को, दूसरा तीसरे को बर्दाश्त नही कर पा रहा है। ऐसी ही गुटबाजी के चलते भाजपा पंजाब विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारी थी। वहीं निगम चुनाव भी सिर पर हैं और गुटबाजी नहीं थमी तो पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है।

अपने चहेते ही दे गए पटखनी...

जालंधर की ही चर्चा करे तो आम आदमी पार्टी के दोनों विधायक भाजपा नेताओं के चहेते रहे हैं और उनके एक इशारे मात्र पर मर मिटने को तैयार रहते थे। फिर ऐसा क्या हो गया कि अपने चहेते ही एक बेहद संक्षिप्त अंतराल में पटखनी देकर वे अपने पहले ही चुनाव में विधायक बन बैठे। कौन किसे दबा रहा था और कौन उन्हें उकसा रहा था, यह किसी से छुपा नहीं है।

खुले दरवाजों में अपने नेताओं को विश्वास में नहीं लेना पड़ रहा है भारी

भाजपा की बुरी तरह हुई हार के बाद पार्टी संगठन व विचारक संगठनों में भारी फेरबदल की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया पर शीर्ष नेतृत्व ने इन चर्चाओं पर विराम लगते हुए एक बार फिर नया प्रयोग करते हुए प्रदेशाध्यक्ष के साथ-साथ जिला स्तर पर भी कोई ज्यादा बदलाव न करते हुए दूसरी राजनीतिक पार्टियों के लिए बिना किसी शर्त अपने सभी दरवाजे खोल दिए।

इस प्रक्रिया के दौरान वर्तमान पदाधिकारियों और भाजपा के अधिकतर टकसाली नेताओं को भी विश्वास में नहीं लिया गया। ऐसे में कुछ ऐसे नेताओं की भी भाजपा में एंट्री हो गई जो गम्भीर मामलों में सजा भी भुगत चुके हैं। इस मामले में प्रदेशाध्यक्ष का कहना है कि इसके बारे में जानकारी नहीं है और वह पता करवाएंगे, यानि मामला गया ठंडे बस्ते में।

बैठक दर बैठक- परिणाम शून्य

आगामी चुनावों की तैयारियों के नाम पर भाजपा की संगठनात्मक बैठकों के साथ-साथ जागरूकता बैठकों, प्रशासन के विरोध में धरना प्रदर्शनों का दौर जारी है। पर अफसोस भाजपा सीमित दायरे से बाहर नहीं निकल पाई है। हर बार वही चेहरे नज़र आते है जो अगली बार कुछ नया कर दिखाने का वायदा करके जाते हैं। साधारण शब्दों मे भाजपा सक्रिय कार्यकर्त्ताओं की बजाय छपास रोगियों की जमात में परिवर्तित होती नजर आ रही है। इसका ताजा प्रमाण है गत दिन जिला मुख्यालयों के बाहर दिए धरने में भाजपा नेता कार्यकर्त्ताओं को इनमें शामिल करवाने में बुरी तरह असफल रहे। ग्राऊंड लेवल पर देखे तो अधिकतर धरनों में भाजपा द्वारा घोषित अपने पूरे पदाधिकारियों जितने संख्या भी एकत्रित नहीं कर पा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा बनेगा तारणहार

प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और केंद्र की जनहितैषी नीतियों व योजनाओं के नाम भाजपा चुनाव जीतने की उम्मीदें लगाए हुए है, पर वास्तविकता उस कबूतर जैसी हैं, जो बिल्ली को देख कर आंखे बंद करके सोचता है कि बिल्ली भाग गई। सीमावर्ती क्षेत्र पंजाब में विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कहलवाने वाली भाजपा का यह रवैया काफी निराशाजनक जान पड़ता है। पंजाब के बिगड़ते हालात पंजाब वासियों के साथ-साथ देश विदेश में रहते भारतीयों के लिए गहरी चिंता का विषय बने हुए हैं।

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News Editor

Urmila

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