मुफ्त बिजली बनी ‘आप’ की लाइफ-लाइन, आंधी में तिनके की तरह उड़े विपक्ष के मुद्दे

punjabkesari.in Monday, May 15, 2023 - 11:43 AM (IST)

अमृतसर: जालंधर के उप-चुनाव में विपक्ष के कई मुद्दों के बावजूद सत्ताधारी पार्टी द्वारा बिजली में रियायत का मुद्दा लोगों के मनों में इस प्रकार गहरा गया था कि चुनावी दंगल में सत्ताधारी पार्टी के प्रत्याशी के समक्ष सुरक्षा कवच बनते हुए विपक्ष द्वारा छोड़े कई अभेद्य अस्त्रों को निरस्त कर दिया। आम आदमी पार्टी के चार कोनों के मुकाबले में सत्ताधारी पार्टी के सामने तीन और बड़े दलों के उम्मीदवार थे, इसमें अकाली भाजपा और कांग्रेस के सशक्त प्रत्याशी सामने थे। सत्ताधारी पार्टी के सामने विपक्ष के कई मुद्दे पिछले एक वर्ष से गहराए हुए थे, जो मुफ्त बिजली के सामने ‘हवा में तिनके’ की तरह उड़ गए।

गर्म मुद्दों में मुख्य तौर पर कानून-व्यवस्था पर विपक्ष तो बार-बार प्रहार कर रहा था। यहां तक कि सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के पास भी इसका कोई प्रत्युत्तर नहीं मिल रहा था। पूरे पंजाब में जनता के बीच की जा रही नेताओं और मंत्रियों की सामान्य बैठकों और समारोहों के बीच जब जनता कानून-व्यवस्था के बारे में सवाल करती थी तो मेहमान नेता के पास चुप रहने के अलावा कोई चारा नहीं था। हिमाचल में चुनाव के हार के उपरांत भी विपक्षी दलों ने इसी बात पर फोकस रखा कि पंजाब में लॉ-एंड-ऑर्डर की स्थिति कमजोर होने के कारण हिमाचल के उन लोगों ने पंजाब में आना बंद कर दिया है, जो बराबर पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों से निरंतर सामान की खरीद करने आ रहे हैं। इसमें व्यापारी वर्ग के लोग ज्यादा उतावले हो रहे थे, जिनका प्रतिदिन आना-जाना लगा रहता था।

इसी प्रकार सत्ताधारी पार्टी की संगरूर में हार भी एक प्रकार से इन्हीं मुद्दों की प्रतिबिंब बन रही थी। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री एवं अकाली दल सुप्रीमो प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद बनी हमदर्दी की लहर से भी विभिन्न वर्गों के वोटर का रुझान अकाली दल प्रत्याशी की तरफ बना दिखाई देता था। इसे भी सत्ताधारी पार्टी पर खतरा जताया जा रहा था तो इन सबके चलते कुल मिलाकर उपचुनाव में ‘झाड़ू’ के ‘तिनके’ बिखरते दिखाई दे रहे।

परिणम के तौर पर राजनीतिक विश्लेषक लोगों की चर्चा के विपरीत यदि आम जनता की बात करें तो बिजली के बिल में आम आदमी पार्टी द्वारा दी गई रियायत भी कोई कम असरदार नहीं थी। इसमें गरीब वर्ग के साथ-साथ अन्य वर्गीय लोगों को भी बेहद लाभ पहुंचा है। वहीं मध्यम वर्ग के लोग तो हमेशा से इसी बात पर सरकारों से नाराज रहते थे कि उन्हें नजर अंदाज किया जाता है और पहली बार बिजली के खर्चे में कटौती का लाभ मध्यम और उच्च-वर्गीय लोगों को भी पहुंचा है। इससे भी बड़ी बात है कि पिछले वर्ष अक्तूबर से लेकर अप्रैल महीने तक आने वाले 6 महीनों में 3 बिजली के बिल 85 प्रतिशत लोगों के जीरो आए थे। इसका मुख्य कारण है कि सर्दियों में एयर कंडीशनर, कूलर, पंखें आदि बंद रहने का कारण आम लोगों के बिल 2 महीने का 600 यूनिट से कम ही आता है। वहीं चुनावी दिन तक भी लोगों को कई महीनों से भुगतान करने वाला इलैक्ट्रिसिटी बिल अभी तक नहीं आया था, जो अभी आने वाले जून महीने में प्रस्तावित था।

आम जनता पर बिजली खर्चे की इस कटौती और रियायत का ताजा असर सत्ताधारी उम्मीदवार के पक्ष में आंधी की तरह आया। विपरीत परिस्थितियों के बीच विपक्ष के सत्ताधारियों पर दर्जनों आरोपों के ‘शस्त्र’ जनता के फैसले के बने ‘सुरक्षा-कवच’ के समक्ष निरस्त हो गए और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी की जीत हुई।

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News Editor

Urmila

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