कहीं आप तो नहीं खा रहे नकली दवाई! लोगों की जान से हो रहा खिलवाड़
punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 05:38 PM (IST)

लुधियाना (डेविन): लुधियाना का सुन्दर नगर क्षेत्र में स्थित एक प्रतिष्ठित मेडिकल स्टोर पर आरोप है कि वह लंबे समय से दवाइयां बिना बिल जारी किए बेच रहा है। पहली नजर में यह मामला साधारण लग सकता है, लेकिन असलियत बेहद गंभीर है, क्योंकि बिना बिल बेची जाने वाली दवाइयां नकली भी हो सकती हैं और यह सीधे-सीधे लोगों की जान के साथ खिलवाड़ है।
जब कोई ग्राहक मेडिकल स्टोर से दवा खरीदता है, तो उसे बिल मिलना अनिवार्य है। यह बिल न सिर्फ खरीद का सबूत होता है बल्कि यह उपभोक्ता की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। लेकिन सुन्दर नगर में हो रही बिना बिल बिक्री यह सवाल उठाती है कि आखिर ऐसी दवाइयों की गुणवत्ता और असली होने की गारंटी कौन देगा?
इलाका निवासियों का कहना है कि उन्हें अक्सर दवाइयां बिना बिल ही थमाई जाती हैं। एक निवासी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया, “जब भी हम दवा लेने जाते हैं, दुकानदार बिल देने से साफ मना कर देता है। अगर जोर दो तो दवाई वाले लिफाफे को ही बिल बना कर उस पर राशि लिख देता है। हमें डर है कि कहीं ये दवाइयां नकली न हों?”
दवा कानून क्या कहते हैं?
भारत में दवाइयों की बिक्री ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 और फार्मेसी एक्ट, 1948 के तहत नियंत्रित होती है। इन कानूनों के मुताबिक प्रत्येक दवा की बिक्री का उचित बिल देना अनिवार्य है, मेडिकल स्टोर को लाइसेंस की शर्तों का पालन करना होता है, नकली, एक्सपायर्ड या बिना लेबल वाली दवाइयों की बिक्री पर कड़ी सजा का प्रावधान है। यदि कोई मेडिकल स्टोर इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है और मालिक पर जुर्माना व जेल की सजा भी हो सकती है।
नकली दवाओं का बड़ा बाजार
भारत में नकली दवाइयों का कारोबार करोड़ों रुपए का है। कई बार बड़ी कम्पनियों के नाम से मिलती-जुलती पैकिंग में नकली दवाइयां बेची जाती हैं। ये देखने में असली लगती हैं लेकिन इनमें असरदार तत्व या तो न के बराबर होते हैं या गलत मिश्रण होता है, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिना बिल बिकने वाली दवाइयां अक्सर इसी अवैध बाजार से आती हैं, ताकि कुछ दुकानदार ज्यादा मुनाफा कमा सके और पकड़े जाने पर कोई सबूत न बचे। इन सभी चीजों पर नकेल कसने के लिए सरकार द्वारा संबंधित विभाग बनाया गया है लेकिन लगता है कि शायद विभाग भी इनकी कठपुतली बना फिर रहा है जिस कारण वह भी इन पर नकेल कसने में विफल साबित हो रहा है।
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