CBI द्वारा की जा रही बरगाड़ी जांच में कोई भरोसा नहीं: अमरेन्द्र

punjabkesari.in Friday, Sep 27, 2019 - 11:33 AM (IST)

जालंधर(धवन): बरगाड़ी धार्मिक बेअदबी मामलों की सी.बी.आई. द्वारा जांच करने में राज्य का कोई भरोसा न होने की बात कहते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने ऐलान किया है कि सरकार किसी भी कीमत पर बादलों को पंजाब पुलिस से जांच का कार्य रोकने की अनुमति नहीं देगी। केन्द्र सरकार बादलों के दबाव में काम कर रही है, जो इस जांच कार्य में विघ्न पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने औपचारिक तौर पर सी.बी.आई. की विशेष जांच टीम को बरगाड़ी जांच का कार्य सौंपने का अदालत में विरोध किया हुआ है।
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सी.बी.आई. द्वारा अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दायर करने के 3 महीने बाद नई एस.आई.टी. को केस सौंपने से कई प्रकार की शंकाएं उत्पन्न हो गई हैं तथा यह कार्य वास्तव में राज्य सरकार के कामकाज में विघ्न डालने के बराबर है। कैप्टन ने कहा कि उनकी सरकार अदालत में सी.बी.आई. का विरोध करेगी तथा इस केस को राज्य के पास वापस ले जाने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ेगी। मुख्यमंत्री ने अकाली नेतृत्व विशेष रूप से हरसिमरत कौर बादल पर बरसते हुए कहा कि या तो वह केन्द्र सरकार को कहे कि यह मामला वापस राज्य को सौंपा जाए या फिर वह अपने पद से इस्तीफा दे। शिरोमणि अकाली दल सी.बी.आई. से केस वापस लिए जाने के मामले को लेकर विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में सहभागी थीं। अगर हरसिमरत स्वयं को सिख अधिकारों व भावनाओं की संरक्षक मानती है तो उन्हें केन्द्र सरकार से बरगाड़ी मामले को जांच के लिए वापस पंजाब पुलिस के पास ले जाने में सहयोग देना चाहिए। 
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सी.बी.आई. वास्तव में पूरी तरह से बादलों के प्रभाव में काम कर रही है, जिस कारण उससे निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस मामले में इन्साफ तभी मिल सकता है, जब राज्य पुलिस इसकी जांच करती है। पिछले 3 वर्षों में सी.बी.आई. के पास सभी शक्तियां व साधन होने के बावजूद वह इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकी जिसके बाद उसने क्लोजर रिपोर्ट अदालत में दायर की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने केस को वापस लेने का निर्णय लिया तो सी.बी.आई. ने पूरी तरह से यू-टर्न लेते हुए यह केस एक नई एस.आई.टी. के हवाले करने का फैसला ले लिया। इस सारे प्रकरण के पीछे बादलों का बचाव करना ही सी.बी.आई. का मंतव्य दिखाई दे रहा है। एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कहा कि राज्य द्वारा इस आधार पर सी.बी.आई. के फैसले का विरोध किया जा रहा है क्योंकि दिल्ली पुलिस इस्टैब्लिशमैंट एक्ट के सैक्शन 6 के तहत सी.बी.आई. ने पहले केस को वापस ले लिया था और उसके बाद दोबारा जांच शुरू करने का कोई अधिकार नहीं बनता है। विधानसभा के फैसले के अनुरूप उसे सभी पेपर पंजाब पुलिस की एस.आई.टी. के हवाले कर देने चाहिएं। अदालत में अब 30 अक्तूबर को सुनवाई होनी है। 


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