Punjab : पुराने सरकारी कॉलेजों को स्वायत्तता देने के मामले में सरकार की योजना पर उठे सवाल
punjabkesari.in Tuesday, Aug 20, 2024 - 08:19 PM (IST)
लुधियाना (विक्की) : पंजाब सरकार द्वारा राज्य के 8 प्रमुख सरकारी कॉलेजों को स्वायत्तता दर्जा देने के फैसले के विरोध में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में जयपाल सिंह (सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर और पूर्व अध्यक्ष एवं महासचिव, पी.बी. गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन), डा. मनमोहन सिंह (पूर्व सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, भारत सरकार), गुरपाल सिंह, करनैल सिंह (पूर्व डीपीआई, कॉलेज, पंजाब), इंद्रजीत गिल, डॉ. परमजीत सिंह, डा. बिकर सिंह, दर्शन सिंह गिल, महिंदर सिंह जस्सल, और संत सुरिंदरपाल सिंह जैसे प्रमुख शिक्षाविदों ने भाग लिया।
बैठक में चर्चा की गई कि जिन कॉलेजों को स्वायत्तता देने का प्रस्ताव है, उनमें लगभग 150 साल पहले 1875 में स्थापित गवर्नमेंट महिंद्रा कॉलेज, एस.सी.डी. गवर्नमेंट कॉलेज लुधियाना (1920), गवर्नमेंट कॉलेज मालेरकोटला (1926), गवर्नमेंट कॉलेज होशियारपुर (1927), एस.आर. गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वुमेन अमृतसर (1932), गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स पटियाला (1941), गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स लुधियाना (1943) और गवर्नमेंट कॉलेज मोहाली (1986) शामिल हैं। इन कॉलेजों ने युवाओं को अपेक्षाकृत कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में उत्कृष्ट भूमिका निभाई है। इन कॉलेजों ने वर्षों से युवाओं को अपेक्षाकृत कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की है। इनके पूर्व छात्र राजनीति, उद्योग, व्यापार, नौकरशाही, शिक्षाविद, रक्षा, कला, साहित्य, और खेल के विभिन्न क्षेत्रों में राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पदों पर आसीन हैं।
बैठक में यह चिंता व्यक्त की गई कि स्वायत्तता के बाद इन कॉलेजों में फीस में वृद्धि हो सकती है, जिससे शिक्षा महंगी हो जाएगी और प्रतिभाशाली गरीब छात्र अच्छे शैक्षिक अवसरों से वंचित हो सकते हैं। इसके अलावा, इससे शिक्षण, पुस्तकालय और प्रयोगशाला कर्मचारियों की भर्ती, पदोन्नति और सेवा शर्तों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। माइग्रेशन चाहने वाले छात्रों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, और इससे केंद्र सरकार का अनावश्यक हस्तक्षेप बढ़ सकता है।
स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए इन कॉलेजों को यूजीसी से प्रति कॉलेज 5 से 20 लाख रुपये का अतिरिक्त वार्षिक अनुदान मिल सकता है। इसके अतिरिक्त वर्तमान में इन और अन्य सरकारी कॉलेजों में 2348 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 157 नियमित शिक्षक कार्यरत हैं। पिछले 2-3 दशकों से अंशकालिक या गेस्ट फैकल्टी शिक्षकों की भर्ती कर अस्थायी व्यवस्था की जा रही है, जिससे स्वायत्तता की मांग बेतुकी प्रतीत होती है।इन तथ्यों और चिंताओं के मद्देनजर, शिक्षाविदों ने पंजाब के मुख्यमंत्री से इस प्रस्ताव की पुनः समीक्षा करने और इसे रद्द करने की अपील की। उन्होंने राज्य के सभी सरकारी कॉलेजों में नियमित शिक्षण और अन्य स्टाफ की नियुक्ति के लिए तत्काल कदम उठाने की भी मांग की।