तो क्या पंजाब में सिख चेहरे को आगे लाने की तैयारी कर रही है भाजपा?

punjabkesari.in Thursday, Apr 20, 2023 - 05:10 PM (IST)

गांवों में आधार बढ़ाने के लिए पार्टी बना रही है नई रणनीति

जालंधर (अनिल पाहवा) : पंजाब में भारतीय जनता पार्टी शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर कई सालों तक चुनाव लड़ती रही। इस दौरान पार्टी ने कई चुनाव जीते और कई हारे। इसके अलावा खास बात यह रही कि दोनों राजनीतिक दलों शिरोमणि अकाली दल तथा भाजपा के बीच समय-समय पर खींचतानी भी चलती रही। भाजपा के वर्कर तो यहां तक कहते रहे कि अकाली दल के कारण पंजाब में भाजपा सफलता हासिल करने में विफल हो रही है।

अब जब पंजाब में भाजपा का चेहरा मोहरा बदल रहा है तो ऐसे में राज्य में पार्टी की राजनीति के तौर-तरीके भी लगातार बदल रहे हैं। अभी तक पंजाब में भाजपा ने हिंदू चेहरों को ही आगे किया है। पार्टी की छवि हिंदुत्व के साथ जुड़ी रही है, लेकिन अब पार्टी पंजाब में अपनी रणनीति को बदलने पर विचार कर रही है। जानकारी मिली है कि पंजाब में अब भाजपा हिंदुत्व की जगह सिख चेहरों को आगे करने की रणनीति बना रही है।

कई सिख चेहरों को लाने की तैयारी
वैसे तो भाजपा के पास अपने कई पुराने सिख चेहरे हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए कई सालों तक काम किया है, लेकिन पिछली कुछ देर से भाजपा लगातार कई सिख चेहरों को इंपोर्ट कर रही है ताकि पंजाब में सफलता हासिल हो सके। जानकारी के अनुसार पिछले कुछ समय में भाजपा में पंजाब के कई बड़े सिख चेहरे शामिल हुए हैं, जिनमें कैप्टन अमरेंद्र सिंह, केवल ढिल्लों, फतेहजंग बाजवा तथा राणा गुरमीत सोढी जैसे नाम शामिल हैं। इन नेताओं को भाजपा में जाते ही पूरी वैल्यू दी गई और बकायदा सुरक्षा भी बढ़ा दी गई।

2027 से पहले 2024 के लिए बन रही रणनीति
खबर मिली है कि भाजपा पंजाब के लिए एक ऐसे सिख चेहरे की तलाश कर रही है, जिसे पार्टी की कमान सौंपी जा सके। अब इस बात को लेकर चर्चा तेज होती जा रही है कि पार्टी क्या उक्त 4 सिख चेहरों में से किसी को जिम्मेदारी देगी या फिर किसी अन्य सिख चेहरे को पार्टी में शामिल कर उसे कमान सौंपी जा सकती है। पंजाब में भाजपा अकाली दल के साथ 117 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी, जबकि लोकसभा में 13 में से 3 सीटों पर ही चुनाव लड़ती रही है। अब पार्टी 2022 में मैदान में उतरी थी, लेकिन कैप्टन अमरेंद्र सिंह की पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था। कैप्टन अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं और उनकी पार्टी का विलय हो चुका है और ऐसे में अब पार्टी 2027 के लिए सभी 117 सीटों पर उम्मीदवार उतारने के लिए कोशिशों में जुट गई है, जिसके लिए संगठन अहम भूमिका निभा रहा है। लेकिन इससे पहले 2024 में लोकसभा चुनाव आने हैं, जिसके लिए सभी 13 सीटों पर पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी।

गांवों में पार्टी कर रही जद्दोजहद
भाजपा को अभी तक जो सबसे बड़ी दिक्कत पेश आ रही है, वह है गांवों में पार्टी का जनाधार। दरअसल भाजपा शहरों में तो अपना मजबूत जनाधार रखती है, लेकिन गांवों में पार्टी की हालत कोई बहुत बढ़िया नहीं है। गांवों में आधार बनाने के लिए जहां संगठन काम कर रहा है, वहीं पंजाब में सिख चेहरों को आगे लाने की जो योजना है, वह भी गांवों में पार्टी को ऊपर उठाने की जद्दोजहद का एक हिस्सा है।


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Content Writer

Subhash Kapoor

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