विधान सभा मतदानः राजनीतिक गलियारों में छिपा स्पष्ट बहुमत का राज

punjabkesari.in Monday, Mar 07, 2022 - 12:47 PM (IST)

मोहाली (प्रदीप): पंजाब विधान सभा मतदान गुजरी 20 फरवरी को मुकम्मल हो चुकी हैं और अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों की किस्मत ई.वी.एम. मशीनों में बंद पड़ी है परन्तु राजनीतिक पंडितों की यह स्पष्ट राय है कि पंजाब में कोई भी राजनीतिक पार्टी यह स्थिति में नहीं होगी कि वह अकेले अपनी सरकार बना सके और इसी कारण ही नेताओं ने अपने-अपने स्तर पर बयानबाजी भी शुरू कर दी है। कांग्रेस की तरफ से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर कांग्रेसी नेता बीबी राजिन्दर कौर भट्ठल की तरफ से यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि कांग्रेस ‘आप’ के साथ मिल कर सरकार बना सकती है। बीबी भट्ठल के इस बयान से यह पता लगता है कि पंजाब में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत में नहीं आएगी परन्तु इस के साथ ही भाजपा के सीनियर नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से शिरोमणि अकाली दल सम्बन्धित कहा गया कि भाजपा ने अकाली दल के साथ रिश्ते खत्म नहीं किेए, बेशक अकाली दल की तरफ से खत्म किए जा चुके हैं। अमित शाह ने साथ ही यह भी दोहराया कि पंजाब में भाजपा बेशक अकेले सरकार नहीं बनाने जा रही परन्तु पहले के मुकाबले भाजपा पंजाब में मजबूत जरूर हो निपटेगी।

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पंजाब के चयन नतीजों से अच्छी खबर की आशा में अलग-अलग नेता अपनी श्रद्धा अनुसार अलग-अलग ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिब, मंदिरों, चर्चें और मस्जिदों में अपने पारिवारिक और झलर समिति सदस्यों के साथ नतमस्तक हो रहे हैं और कई नेताओं की तरफ से अपनी पुरानी रिवायत मुताबिक डेरों में जाकर धार्मिक शख्सियतों के पास से आशीर्वाद प्राप्त किया जा रहा। दूसरी तरफ आज भी पंजाब में बहुत-सी उम्मीदवारों की टेक पंडितों की तरफ लगी हुई है। सम्बन्धित पंडितों की तरफ से बताए गए उपाय पर अमल करते पंजाब के अलावा हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश बीच वाले कई धार्मिक स्थानों पर भी नेता डटे हुए हैं। पंडितों की तरफ से जब उम्मीदवार विशेष को हवन वाली जगह पर खुद रात समय पर उपस्थित होने के लिए भी कहा जाता है तो उम्मीदवार की तरफ से बिना किसी सवाल के अपनी जीत के संभावी चित्र को सामने रखते सम्बन्धित जरूरी धार्मिक प्रक्रिया को पूरी श्रद्धा के साथ सिरे चढ़ाया जा रहा है।

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झूठा प्रचार करने वाले नेताओं के बीच वाला गठजोड़ नहीं होगा अनैतिक!
पंजाब में कांग्रेस, ‘आप’, शिरोमणि अकाली दल-बसपा गठजोड़ और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच मुख्य मुकाबला हुआ और सभी पार्टियों के उम्मीदवारों की तरफ से एक-दूसरे खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप किए गए और समय-समय पर उनकी तरफ से की गई ज्यादतियों सम्बन्धित पूरी पोल-खोल रणनीति भी एक-दूसरे के विरुद्ध अपनाई गई परन्तु क्या अब 10 मार्च को आने वाले नतीजों के बाद सिर्फ और सिर्फ सत्ता प्राप्ति के लिए होने वाले संभावी गठजोड़ को नैतिक माना जाएगा? क्या ऐसे गठजोड़ अनैतिकता की हद पार नहीं करेंगे? क्या राज्य आगुओं की तरफ से वोटरों के जजबातों के साथ खिलवाड़ नहीं होगा? इस संभावी राजनीतिक स्थिति सम्बन्धित सामाजिक चिंतकों का एक ही जवाब है क्या ऐसे अनैतिक गठजोड़ की जगह पर उम्मीदवारों की तरफ से या राजनीतिक पार्टियों की हाईकमान के नेताओं की तरफ से भविष्य सम्बन्धित चिंतन या मंथन पहले ही नहीं कर लेना चाहिए था या सिर्फ लोगों को ही गुमराह करना था?

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यूक्रेन में फंसे पंजाबी: किसी की तरफ से भी नहीं हुई सर्व पार्टी मीटिंग बुलाने की अपील
किसे भी राजनीतिक पार्टी की तरफ से अभी तक यूक्रेन में पंजाब के फंसे नौजवानों सम्बन्धित कोई तसल्लीबख्श बयान सामने नहीं आया और न ही किसी की तरफ से इस सम्बन्धित कोई सर्व पार्टी मीटिंग की ही अपील की गई है। सभी नेता सिर्फ और सिर्फ पंजाब में कुर्सी खातिर जोर-आजमाइश में लगे हुए हैं। 

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News Editor

Urmila

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