विजिलेंस जांच में हो रही देरी, दबते जा रहे स्मार्ट सिटी के करोड़ों के घोटाले

punjabkesari.in Thursday, Dec 29, 2022 - 12:28 PM (IST)

जालंधर(खुराना): केंद्र और पंजाब सरकार ने जालंधर शहर को स्मार्ट बनाने के लिए पिछले समय दौरान करोड़ों रुपए की ग्रांट जारी की परंतु पिछले करीब 3 साल से स्मार्ट सिटी के ज्यादातर प्रोजैक्टों में करोड़ों रुपए के घपले हुए। इस कार्यकाल के दौरान स्मार्ट सिटी के ज्यादातर प्रोजैक्टों के कांट्रेक्ट अपने चहेते ठेकेदारों को दिए गए। फील्ड में जाकर ठेकेदारों के किसी काम की जांच तक नहीं की गई और अफसरों को निर्धारित कमीशन देने के बाद ठेकेदारों ने खूब घटिया काम किए। कामों की क्वालिटी की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया।

पंजाब और जालंधर निगम में तब कांग्रेस की सरकार थी परंतु स्मार्ट सिटी की अफसरशाही ने कांग्रेसी नेताओं को पूरी तरह से ‘सैट’ कर रखा था जिस कारण किसी अफसर का बाल तक बांका नहीं हुआ। केंद्र की मोदी सरकार का करोड़ों रुपया लगा होने के बावजूद भाजपा नेताओं ने भी स्मार्ट सिटी के ज्यादातर घोटालों को प्रमुखता से नहीं उठाया। भाजपा के लोकल लैवल के लीडरों ने अगर कोई घोटाला उठाया भी तो उनकी पंजाब या केंद्र स्तर पर कोई सुनवाई ही नहीं हुई। 

एक बार केंद्र सरकार की मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने जालंधर में जाकर स्मार्ट सिटी के घोटालों बाबत लंबे चौड़े दावे किए परंतु उनसे भी कुछ ना हो सका। करीब 9 माह पहले जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो जालंधर स्मार्ट सिटी के घोटाले प्रमुखता से उठाए जाने लगे। इस सरकार ने स्मार्ट सिटी के सभी 64 प्रोजैक्टों की विजिलेंस ब्यूरो से जांच करवाने के निर्देश दे तो दिए परंतु करीब 5 महीने का समय बीत जाने के बावजूद भी विजिलेंस ब्यूरो के जालंधर यूनिट ने आज तक इस दिशा में कोई काम ही नहीं किया। इस कारण अब जालंधर स्मार्ट सिटी के ज्यादातर घोटाले दबते हुए प्रतीत हो रहे हैं।

स्मार्ट सिटी में पिछले समय दौरान रहे अफसरों ने जहां ज्यादातर चीजों को मैनेज कर लिया है, वहीं घटिया काम करने वाले ठेकेदारों ने भी रिपेयर इत्यादि के काम करके घोटालों पर पर्दा डाल लिया है इसलिए अब माना जाने लगा है कि अगर स्मार्ट सिटी जालंधर के प्रोजैक्टों की विजिलेंस जांच होती भी है तो कुछ खास नहीं निकल पाएगा क्योंकि समय बीतने के साथ-साथ सब कुछ मैनेज होता जा रहा है।

अब तोड़े जा चुके हैं करोड़ रूपया लगाकर स्मार्ट बनाए गए दो चौराहे

स्मार्ट सिटी जालंधर में पिछले 3 साल में रहे अधिकारियों ने शहर के 11 चौराहों को 21 करोड़ रूपए की लागत से सुधारने का जो प्रोजेक्ट शुरू किया था, उसके तहत वर्कशॉप चौक और कपूरथला चौक (मेजर रमन दादा चौक) को एक-एक करोड़ रुपया लगाकर स्मार्ट बनाया जा चुका है हालांकि यह पैसा कहां लगा किसी को पता नहीं है। अब इस घोटाले को दबाने के लिए इन दोनों चौराहों को बुरी तरह तोड़ा जा चुका है। सरफेस वाटर प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी के अलावा स्मार्ट रोड प्रोजेक्ट के दायरे में आने के बाद यह दोनों चौराहे अब पहले से भी ज्यादा बुरी हालत में आ चुके हैं और ट्रैफिक के लिए लगभग बंद से हैं। इसलिए अब विजिलेंस अगर इन चौराहों पर जाकर एक-एक करोड़ रुपए लगाने संबंधी पैमाइश करेगी तो उसके हाथ कुछ नहीं आएगा।

विजिलेंस के पास नहीं है टेक्निकल टीम

पता चला है कि जांच शुरू करने के लिए विजिलेंस ब्यूरो जालंधर के अधिकारी कई बार स्मार्ट सिटी ऑफिस और निगम जा चुके हैं परंतु उन्हें समझ नहीं आ रहा कि जांच शुरू कहां से करें। गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी के ज्यादातर काम कन्स्ट्रक्शन से संबंधित हैं परंतु विजिलेंस ब्यूरो के पास टेक्निकल टीम ही उपलब्ध नहीं है जो कन्स्ट्रक्शन से संबंधित कामों की जांच इत्यादि करके रिपोर्ट दे सके। विजिलेंस ने पंजाब सरकार को लिखकर दे रखा है कि उसे टेक्निकल टीमें उपलब्ध करवाई जाएं ताकि जांच शुरू हो सके परंतु इस मामले में पंजाब सरकार के संबंधित अधिकारी भी ना जाने क्यों चुप्पी साधे बैठे हैं।

अफसरों ने टैंडर के उल्ट जाकर मर्जी से करवाए काम 

स्मार्ट सिटी जालंधर में पिछले समय दौरान रहे अधिकारियों ने उस समय के कांग्रेसी नेताओं को खुश करने का हर संभव प्रयास किया जिसके चलते टैंडर के उल्ट  जाकर कई काम करवाए गए। एल.ई.डी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट की बात करें तो 50 करोड़ रूपए लगाकर सिर्फ पुरानी लाइटों को ही बदला जाना था और नई जगह पर कोई लाइट नहीं लगनी थी परंतु अफसरों ने कुछ स्थानों पर ब्लैक स्पॉट दूर करने के नाम पर नई लाइटें भी लगवा दी। अभी तक ना तो स्मार्ट सिटी, ना नगर निगम और ना ही विजिलेंस को जानकारी मिल पा रही है कि कंपनी ने आखिर कितनी लाइटें लगाई इसलिए इस प्रोजेक्ट की जांच ही शुरू नहीं हो पा रही है।

पिछले समय में रहे अफसरों की पेंशन व भत्ते इत्यादि रोक सकती है सरकार

इस समय चंडीगढ़ में बैठे कई अधिकारियों को सब पता है कि जालंधर स्मार्ट सिटी में पिछले समय दौरान किस प्रकार करोड़ों के घोटाले हुए। स्मार्ट सिटी जालंधर में घोटाले करने वाले ज्यादातर अफसर ना केवल पंजाब सरकार से पेंशन प्राप्त कर रहे हैं बल्कि कुछेक की पेंशन भी लगने वाली है। अगर आने वाले समय में जालंधर स्मार्ट सिटी के घोटाले सामने आते हैं तो पंजाब सरकार सबसे पहले ऐसे अफसरों की पेंशन और भत्तों इत्यादि पर रोक लगा सकती है और उन्हें जवाबदेह भी बनाया जा सकता है।

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Content Writer

Sunita sarangal

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