कांग्रेस-अकाली दल की सरकारों में शुरू हुए कृषि प्रोजैक्टों की होगी जांच: धालीवाल

punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 12:46 PM (IST)

जालंधर (अनिल पाहवा) : पंजाब में पंचायती जमीन खाली कराने का मामला हो या किसानों को समझाने का सिलसिला हो, हर बार एक शख्स  सरकार व प्रदर्शन करने वालों के बीच में दीवार का काम करता है। सरकार की समस्याओं को सुलझाने में अहम भूमिका निभाता है और वह शख्स है पंजाब के पंचायत व कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल। धालीवाल ने विशेष बातचीत के दौरान जहां सरकार की आने वाली योजनाओं के बारे में बताया, वहीं उन्होंने कृषि के क्षेत्र में होने वाले कार्यों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। पेश हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:-

रावी दरिया पार 700 एकड़ जमीन के घपले पर क्या कहेंगे आप?
दरअसल पंजाब की किस्मत खराब है, मैं कई बार सोचता हूं कि पंजाब का कोई भी मालिक नहीं है। 6-7 दिन पहले किसी बुजुर्ग मजदूर ने मुझे बताया कि रावी दरिया के पार कंटीली तार के पार हमारी जमीन है, मैं इस बात पर हैरान हुआ, मैंने जांच की तथा मौके पर पहुंचा। अमृतसर के राजासांसी इलाके के अरानिया गांव में मैं गया। 2008 में प्रकाश सिंह बादल की सरकार में इस तरह के भी घपले हो सकते हैं, हैरानी की बात है। वहां पर बी.एस.एफ. का गेट है, जहां अनुमति लेकर जाना होता है। बी.एस.एफ. की किश्तियों में हमने रावी दरिया पार किया और वह उस जमीन पहुंचे जो बादल सरकार ने 2008 में बीज फार्म के बहाने वो जमीन ली थी। उस पर कृषि कैसे करनी है, मेरी तो समझ से बाहर था। वहां पर आने-जाने का कोई साधन नहीं, 3 फुट से ऊपर ऊंची खेती नहीं कर सकते तो फिर वहां होना क्या था। जांच में पता चला कि यह 700 एकड़ से ज्यादा जमीन थी, जो 30 करोड़ से ज्यादा कीमत की है। यह उस समय के कलैक्टरेट 1 लाख 15 हजार रुपए था, जबकि रजिस्ट्री 4.50 लाख रुपए के हिसाब से की गई।

क्या अधिकारी भी हैं घपले में शामिल?
मैं मामले की जांच कर रहा हूं क्योंकि मुझे यह जानकारी अधिकारियों से नहीं मिली, बल्कि एक आम व्यक्ति ने दी। इस संबंध में मैं फाइल तलब करूंगा तथा जो लोग भी इसमें शामिल होंगे, उन पर एक्शन लिया जाएगा। उस समय अमृतसर में काहन सिंह पन्नू डी.सी. थे, उन्होंने दबाव में आकर यह कैसे किया, यह भी जांच का विषय है। हैरानी की बात है कि पंजाब में लाखों एकड़ जमीन यूं ही पड़ी है, जो सरकार के खाते की है, वह सारी जमीन छोड़कर दरिया पार जाकर बीज फार्म के नाम पर जमीन खरीदने का क्या मतलब था। इसमें यह बड़ा संदेहास्पद मामला है, इसकी जांच होगी।

अन्य सरकारी कृषि प्रोजैक्ट क्या जांच में नहीं?
पंजाब में सरकारी जमीन छोड़कर करोड़ों रुपए की दरिया पार जमीन खरीदना कोई मामूली मामला नहीं है, इसकी तो जांच होगी ही, साथ ही पंजाब में जितने भी कृषि फार्म हैं, वे भी सवालों के घेरे में आ गए हैं। सभी फार्म कैसे खरीदे गए, कितने की जमीन खरीदी गई और किससे खरीदी गई, इन सभी मामलों की जांच होगी। कितनी ही सरकारी जमीन जिसका पता ही नहीं, किसे बेच दी, उसकी भी जांच होगी। हो सकता है कि पंजाब के अन्य हिस्सों में भी घपले किए गए हों।

दरिया किनारे कब्जों पर क्या सरकार की योजना?
अकसर दरिया का पानी नीचे होने पर इसकी जमीन पर कुछ लोग कब्जा कर लेते हैं। इनमें दो तरह के लोग हैं, जिनमें से एक अफसरशाही या राजनीति से संबंधित लोग हैं, जिन्होंने कई एकड़ में फार्महाऊस बनाए हैं, जबकि कुछ ऐसे हैं, जो छोटे किसान हैं, जो 2 से 3 किले में खेती कर रहे हैं। जो 1950 के बाद वे लोग यहां काम कर रहे हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इन लोगों को लीज भरनी होगी और कलैक्टर रेट से भी कम पर जमीन की मलकीयत दे दी जाएगी, जबकि जो बड़े लोग हैं, उनसे जमीनें वापस ली जाएंगी, चाहे इसके लिए कितनी भी जद्दोजहद करनी पड़े।

जब घपलों की फाइलें आती हैं तो क्या सोचते हैं?
प्रो. पूर्ण सिंह ने लिखा है कि पंजाब गुरुओं और पीरों-फकीरों की धरती है। मैं ये फाइलें देखता हूं तो उदास हो जाता हूं। मुझे लगता नहीं कि पंजाब का कोई मालिक है, जितने भी आए, सब लूटकर ले गए। जितनी भी सरकारें आई, सबने सिर्फ लूटने का ही काम किया, यहां तक कि रोडवेज, अस्पताल और सर्किट हाऊस तक बेच दिए। जब भी फाइलें देखता हूं तो यही होता है कि अधिकारी को चार्जशीट कर दो या सस्पैंड कर दो। दुख होता है कि 10 गुरुओं, बाबा बुल्लेशाह, हाशिम, प्रो. पूर्ण सिंह, वारिस, प्रो. मोहन सिंह जैसे लोगों का पंजाब था, उसका क्या हाल कर दिया। जब राजनीतिक लोग चोर-लुटेरे थे, तो अफसशाही तो वैसी बन ही जाएगी।

पंचायती जमीन को खाली कराने की मुहिम कमजोर हो गई, क्यों?
हमने मई और जून के महीने में पंचायती जमीन पर कब्जों की मार्किंग करवाई थी, उस समय में पंजाब में धान की रोपाई का काम शुरू हो जाता है। अब फिर से इस पर काम शुरू किया है, पिछले हफ्ते में ही 800-900 एकड़ जमीन खाली करवाई गई है। दिसम्बर तक कुल 2600 एकड़ जमीन खाली करवा लिए जाने का लक्ष्य रखा गया है। करीब 1 लाख एकड़ जमीन कब्जों की चपेट में है। कई मामलों में कानूनी प्रक्रिया आड़े आ रही है, जिस पर साथ-साथ काम चल रहा है। डेढ़ वर्ष में हजारों एकड़ सरकार को वापस दिलवा दी जाएगी।

जमीन खाली करवा कार्पोरेट कंपनियों को देने की चर्चाओं पर क्या कहेंगे?
जो पंचायती जमीन कब्जे में है, उसे लेकर कई कब्जाधारी लोग मेरे पास आ रहे हैं तथा कीमत अदा करने के लिए तैयार हैं। लोगों को हम लीज पर देने के लिए आफर दे रहे हैं, गांवों का विकास करना जरूरी है। सरकारी जमीन आजाद करवा कर किसी कार्पोरेट को देने की योजना नहीं है, बल्कि गांवों का विकास होगा। गांवों में स्टेडियम, स्कूल, अस्पताल तथा जिम बनाए जाएंगे। यह कार्पोरेट घरानों की सरकार नहीं, आम आदमी की सरकार है।

सरकार पर यू-टर्न माहिर होने के आरोप लगते हैं, क्या कहेंगे आप?
जहां तक पराली का मुद्दा है, हम पहले दिन से कह रहे हैं कि पराली के मामले में केंद्र को सहयोग करना चाहिए। किसान को सजा की नहीं, सहयोग की जरूरत है। किसान को इस काबिल बनाया जाए कि वे पराली को संभाल सके। हम सजा से सहमत नहीं थे, लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के बाद सख्त कदम उठाने पड़े। यू टर्न तो तब होगा, अगर वे आदेश हमने जारी किए हों। हम तो इस मामले में सदा किसानों के साथ सकारात्मक रवैया अपनाने के लिए तैयार रहते हैं।

प्रदूषण के मामले में किसानों से ज्यादा सरकार जिम्मेदार नहीं?
यह बात सही है कि हमने सही समय पर पराली की संभाल के लिए मशीनरी समय पर उपलब्ध करवाई, लेकिन हम चाहते थे कि 2500 रुपए किसान को दिया जाए ताकि लागत पूरी हो सके। हमने वह प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भेजी तथा उन्हें 1500 रुपए सहयोग देने को कहा। पहले तो वह मान गए, लेकिन बाद में केंद्र पलट गया। हमने अपनी तरफ से कोशिशें कीं और परिणाम के तौर पर 30 प्रतिशत पराली जलाने के मामले कम हो गए।

पराली के लिए स्प्रे का विकल्प क्यों नहीं?
स्प्रे एक अच्छा विकल्प है और मैंने इसे खुद देखा है, लेकिन इसमें समय को लेकर समस्या है, जिस कारण किसान उसका प्रयोग नहीं कर रहे हैं। धान तथा गेहूं की बिजाई के बीच किसान ज्यादा समय नहीं डालता। लेकिन जो स्प्रे है, वह अपना काम करने में 15 से 20 दिन लेता है। अगली बार हम इस स्प्रे को तैयार करवा कर पंजाब में प्रयोग करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। अगली बार 80 प्रतिशत पराली जलाने के मामले कम हो जाएंगे। बहुत सारी कंपनियां बायोगैस यूनिट तथा अन्य प्रकार के आफर राज्य सरकार को दे रही हैं, जिस पर पूरा साल काम चलेगा।

मंत्रियों के वी.आई.पी. कल्चर में कटौती पर क्या कहेंगे आप?
मंत्रियों को कोई दिक्कत नहीं आएगी, मैं जबसे मंत्री बना हूं, सिर्फ दो बार किसी होटल में गया और कॉफी पी। मैंने कभी भी स्टे नहीं किया। मैं तो खुद फाइव स्टार कल्चर के खिलाफ हूं। हमारा कोई भी मंत्री वी.आई.पी. कल्चर में विश्वास नहीं रखता। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जो आदेश जारी किया है, वह बिल्कुल सही है।

पंजाब में धरने लोगों के लिए परेशानी बन गए, क्या कहेंगे आप?
जल्द ही पंजाब में धरनों का सिलसिला खत्म हो जाएगा। पंजाब के लोग बेबस हैं और पिछली सरकारों के सताए हुए हैं। हम समय मांग रहे हैं, क्योंकि समय किसी भी समस्या के समाधान के लिए जरूरी है। राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देशों पर समय पर बिजली सप्लाई, धान खरीद, मूंगी बिजाई पर एम.एस.पी. सहित किसानों को हर संभव फायदा दिया गया। गन्ने का 300 करोड़ रुपया बकाया कैप्टन अमरेंद्र सिंह छोड़कर गए थे, वह किसानों को दिया गया। मुआवजे जो देने वाले हैं, वे 31 दिसम्बर तक दे दिए जाएंगे। नई सरकार है तो समय तो लगता ही है। हम किसान परिवार से हैं और किसानों के दर्द को समझते हैं। जल्द ही लोगों को समझ आ जाएगा कि धरने लगाने की बजाय बैठकर बात करना ही बेहतर होगा। बाकी जो धरना लगाना चाहते हैं, वे लगाएं, क्योंकि हमने तो पूरे पंजाब के लोगों से वोट लिए हैं, सिर्फ धरना लगाने वालों से नहीं। इन लोगों को भी जल्द ही समझ आ जाएगा कि धरना लगाने का कोई फायदा नहीं होने वाला। लेकिन बड़ी बात यह है कि सड़कें जाम न की जाएं, आम लोगों को परेशान न किया जाए, क्योंकि जनता का कोई कसूर नहीं है। धरने लगाने हैं तो मंत्रियों या अफसरों के घरों के बाहर भी लगाए जा सकते हैं।

बिजली-पानी के बिल जीरो, फिर कमाई कहां से?
सुबह से लेकर शाम तक बिजली-पानी को छोड़कर हम जो भी चीजें इस्तेमाल करते हैं, उन सब पर टैक्स लगता है। वह टैक्स सरकार की जेब में जाता है। सरकारें सही काम करें तो टैक्स ही इतना हो जाएगा कि सरकार को फालतू के बोझ लोगों पर डालने की जरूरत ही न पड़े। सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं क्योंकि नीयत साफ है।

अगर पैसा है तो कर्ज क्यों उठा रही सरकार?
हम जो कर्ज उठा रहे हैं या आगे उठाएंगे, यह तो उन महापुरुषों की बदौलत है, जो हमें 3 लाख करोड़ का कर्ज सौंप गए हैं। उस कर्ज को खत्म करने और किश्ते उतारने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। हमने 7-8 महीने की सरकार में अपनी स्थिति ठीक रखी है। पिछली सरकारें दो-दो हाथों से पंजाब को लूटती गईं और पंजाब के हर व्यक्ति के सिर पर कर्जा छोड़ गए, उसे उतारने के लिए ही कोशिश कर रहे हैं।

विरोधी आप पर उंगली उठा रहे हैं, क्या कहेंगे आप?
विरोधी कौन हैं, 'इक बाजवा, इक मजीठिया'। दोनों के समय में पंजाब की जनता का बुरा हाल हुआ और यह हमें सुझाव दे रहे हैं। इन लोगों के होते हुए जेलें भी टूटीं और लोगों के कत्ल भी हुए। हमें गाइड करने की जरूरत नहीं है, बस शांति से बैठे। पंजाब में अमन-कानून की स्थिति भी बनेगी और खुशहाली भी आएगी।

धर्म परिवर्तन पर केंद्र के अदालत में दिए हल्फनामे पर क्या कहेंगे?
सभी धर्म एक समान हैं, हरेक को अपने धर्म में आस्था रखने का अधिकार है। किसी के धर्म के मामले में दखलंदाजी नहीं की जा सकती। केंद्र सरकार जो कर रही है, वह गलत है। राज्य के अधिकारों में दखलंदाजी करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाजपा की सदा यह नीति रही है। सभी राज्यों में सरकारें अपना काम कर रही है, लेकिन भाजपा राज्यों के अधिकार खत्म करना चाहती है जोकि संभव नहीं है।


शिकायत निवारण नंबर पर 2 लाख शिकायतें और 20 का निपटारा?
शिकायत निवारण नम्बर की एक व्यवस्था है, जो शिकायतें आती हैं, उससे संबंधित जिले या अधिकारी को भेज दी जाती है। उस शिकायत के निपटारे में एक से दो महीने लग जाते हैं तो संभवत बाकी मामलों में प्रक्रिया चल रही होगी। शिकायत निवारण व्यवस्था सही चल रही है और इसके जल्द ही बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।

बेअदबी मामलों पर क्या न्याय मिलेगा?
एस.आई.टी. बन चुकी है और वह अपना काम कर रही है। सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने बेहतर आफिसर एस.आई.टी. में लगाए हैं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। जो भी गुरु साहिब के अंगों की बेअदबी में शामिल होंगे, उन्हें निश्चित तौर पर सजा मिलेगी, चाहे जो भी हो जाए।


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Content Writer

Vatika

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