Punjab: गर्मी ने तोड़ी पोल्ट्री उद्योग की कमर, कारोबारियों की हालत खराब

punjabkesari.in Saturday, Jun 14, 2025 - 09:42 PM (IST)

गुरदासपुर (हरमन): हीट स्टरैस ने जहां अन्य व्यापारियों के व्यवसाय और आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है, वहीं 42 डिग्री से ऊपर पहुंच चुके तापमान में हीट स्ट्रेस की मार पोल्ट्री उद्योग की भी कमर तोड़ रही है। हालात ऐसे बन गए हैं कि पोल्ट्री का काम करने वाले कई युवा और किसान आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं, जिन्हें गर्मी के दिनों में चूजे पालने का खर्च भी निकालना मुश्किल हो गया है। दूसरी ओर, चूजे खरीदकर आगे मीट बेचने वालों की इस समय चांदी हो रही है, क्योंकि बाजार में मीट के दाम गर्मी के कारण आसमान छू रहे हैं। इस बड़े संकट और परेशानी के चलते कई पोल्ट्री फार्म मालिकों ने अपने पोल्टरी फार्म खाली कर दिए हैं, ताकि उन्हें आर्थिक नुकसान न हो।

दामों की क्या है स्थिति?

अगर बाजार में इस समय मुर्गे के मीट की बात करें, तो पिछले कुछ दिनों से मीट का दाम 200 से 220 रुपये प्रति किलोग्राम तक रहा है, जबकि मुर्गों का दाम 120 रुपये प्रति किलोग्राम है। इस तरह, मुर्गे खरीदकर उनसे मीट तैयार करके बेचने वाले विभिन्न दुकानदारों को इस समय ज्यादा नुकसान होता नजर नहीं आ रहा है। लेकिन जो पोल्ट्री फार्मिंग वाले लोग मुर्गे तैयार कर रहे हैं, उन्हें इस समय बड़ी मुश्किल से 70 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम का दाम मिल रहा है।

वहीं, गर्मी के दिनों में विभिन्न चूजों और मुर्गों की मृत्यु दर भी बेहद बढ़ जाती है और मुर्गों को बचाने का खर्च भी बढ़ जाता है। अगर चूजे पालने से बेचने तक के सभी खर्चों का आकलन किया जाए, तो पोल्ट्री फार्मिंग करने वालों के खर्च भी पूरे नहीं होते। गुरदासपुर में मीट बेचने का काम करने वाले विभिन्न दुकानदारों ने बताया कि आम तौर पर सर्दियों के दिनों में उन्हें मुर्गे 80 से 90 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिल जाते हैं, जिसके बाद वे करीब 150 से 160 रुपये तक मीट बेचते हैं। लेकिन गर्मी के दिनों में मुर्गों का दाम भी बढ़ जाता है और आपूर्ति में कमी होने के कारण मीट महंगे दाम पर बिकता है।

पोल्ट्री फार्मिंग करने वालों को मिल रही निराशा

पोल्ट्री फार्मिंग करने वाले विभिन्न व्यापारियों की यूनियन के अध्यक्ष दिलबाग सिंह, गगनदीप सिंह और गुरबचन सिंह सहित अन्य लोगों ने बताया कि पोल्ट्री का कारोबार अब कई तरह की चुनौतियों से घिरा हुआ है। दिलबाग सिंह ने बताया कि पहले तो पोल्ट्री फार्मिंग करवाने वाली विभिन्न वेट कंपनियां भी कथित तौर पर कई तरह की अनावश्यक शर्तें और नियम बनाकर पोल्ट्री फार्मिंग करने वालों का कथित शोषण करती हैं। उन्होंने कहा कि ये कंपनियां तो मोटी कमाई कर रही हैं, लेकिन जिन युवाओं ने अपनी कीमती जमीनों पर भारी खर्च करके शेड बनाए हैं और विभिन्न तरह का साजो-सामान इकट्ठा करके कड़ी मेहनत करते हुए अपना रोजगार स्थापित किया है, उन्हें निराशा के अलावा कुछ नहीं मिल रहा।

खास तौर पर अब जब गर्मियों के दिनों में चूजों को पालना बेहद मुश्किल काम है, तो इन दिनों में भी सारा नुकसान पोल्ट्री फार्म के मालिक पर ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि कंपनियां तो किसी न किसी तरीके से अपने खर्च निकाल लेती हैं, लेकिन कड़ी मेहनत करने के बावजूद पोल्ट्री फार्मिंग करने वालों को निराशा के अलावा कुछ नहीं मिलता। इसी कारण बहुत से लोग अब यह काम छोड़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पोल्ट्री फार्मिंग वालों की आवाज को बुलंद करने के लिए पंजाब स्तर पर संबंधित अधिकारियों और मंत्रियों के साथ कई बैठकें भी की हैं और विभिन्न मांग पत्र सौंपकर ये सभी मसले हल करने की अपील की है। लेकिन अभी तक उनकी सुनवाई पूरी तरह नहीं हुई है और अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में यह कारोबार पूरी तरह ठप होकर रह जाएगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न निजी कंपनियों ने इस कारोबार को पूरी तरह कॉरपोरेट-अनुकूल बना दिया है, जिसमें किसी भी तरह से मेहनत करने वाले किसानों को ज्यादा कुछ नहीं मिलता।

हीट स्ट्रैस के कारण ज्यादातर शेड पड़े हैं खाली

गुरदासपुर से संबंधित गुरबचन सिंह नाम के एक व्यक्ति ने बताया कि गर्मी के दिनों में होने वाले नुकसान के कारण उन्होंने इन महीनों में शेड खाली ही रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर वे चूजे लेकर मुर्गे तैयार भी करते हैं, तो भी उन्हें नुकसान ही होता है, क्योंकि गर्मी के कारण बहुत सारे चूजे मर जाते हैं, जिस कारण उनका खर्च भी पूरा नहीं होता और जो कंपनी उनसे कॉन्ट्रैक्ट करके चूजे देती है, वह भी खुद नुकसान झेलने के बजाय सीधे-असीधे रूप में सारा नुकसान पोल्ट्री मालिक के सिर पर ही थोप देती है। जिस कारण कोई भी साधारण पोल्ट्री मालिक इतनी हिम्मत नहीं करता कि वह अत्यधिक गर्मी के दिनों में पोल्ट्री का काम करके अपने सिर पर बड़ा आर्थिक बोझ डालकर जोखिम ले सके। इसी कारण ही गर्मी के दिनों में कई पोल्ट्री फार्मिंग वाले अपने शेड खाली रखना बेहतर समझते हैं।

गर्मी से बचाव के लिए क्या किया जाए?

विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी के दिनों में छोटे चूजों की मृत्यु दर बहुत बढ़ जाती है क्योंकि वे हीट स्ट्रेस को सहन नहीं कर पाते। इसके साथ ही पोल्ट्री फार्म के नजदीकी खेतों में धान की रोपाई होने के कारण उमस भी बढ़ जाती है, जिस कारण छोटे चूजे और भी प्रभावित होते हैं। गर्मी के असर के कारण जहां मृत्यु दर बढ़ती है, वहीं अंडों का उत्पादन, मीट उत्पादन और मीट की गुणवत्ता भी बड़े पैमाने पर प्रभावित होती है।
ऐसी समस्या से बचाव के लिए चूजों की ऐसी किस्मों का चुनाव करने की आवश्यकता है जो हीट स्ट्रेस को सहन कर सकें। इसके साथ ही, समय पर पानी और बढ़िया खुराक देने के साथ-साथ मुर्गों के शेड में कूलिंग सिस्टम लगाना चाहिए, ताकि मुर्गों को ज्यादा नुकसान न हो।


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Content Editor

Subhash Kapoor

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